AP State Syllabus AP Board 8th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 9 मैं सिनेमा हूँ Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं सिनेमा हूँ

8th Class Hindi Chapter 9 मैं सिनेमा हूँ Textbook Questions and Answers

AP Board 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं सिनेमा हूँ.... 1
प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखायी दे रहा है?
उत्तर:
चित्र में एक नाटक प्रदर्शन, उसको देखने वाले बच्चे और बड़े – बड़े लोग आदि दिखायी दे रहे हैं।

प्रश्न 2.
वे क्या – क्या कर रहे हैं?
उत्तर:
कुछ छात्र नाटक प्रदर्शन कर रहे हैं। एक औरत केमेरा से विड़ियों शूठ कर रही हैं। और बाकी सभी लोग नाटक को देख रहे हैं।

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प्रश्न 3.
नाटक में क्या बताया जा रहा होगा?
उत्तर:
यह नाटक विश्व साक्षरता दिवस के उपलक्ष्य में प्रसारित कर रहे हैं। इसीलिए इसमें साक्षरता का संदेश ही बताया जा रहा होगा।

सुनो – बोलो

प्रश्न 1.
चित्र के बारे में बातचीत करो।
उत्तर:
चित्र में सिनेमाघर में बैठे तरह – तरह के लोग दिखाई दे रहे हैं। चित्र की एक ओर दादा साहब फाल्के और दूसरी ओर अवार्ड दिखाई दे रहे हैं।

प्रश्न 2.
सिनेमा देखना तुम्हें कैसा लगता है? क्यों ?उत्तर:
उत्तर:
सिनेमा देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि एक ही जगह बैठकर दुनिया के मनोरंजन दृश्य, सजीव पात्रों के माध्यम से तकनीकी शब्दों सहित सुन और देख सकते हैं।

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प्रश्न 3.
किसी देखे हुये सिनेमा की कहानी सुनाओ।
उत्तर:
बच्चे स्वाति बूंदों की तरह शुद्ध और स्वच्छ होते हैं। आजकल प्रायः घर-घर में टॉपर्स और “रॉकर्स” तैयार करने की कोशिश की जा रही है। कई लोग यह नहीं सोचते कि बच्चों के मन में क्या है ? वे क्या सोचते हैं और उनके विचार क्या हैं?

इन प्रश्नों का जवाब आमिर खान अपने फ़िल्म ‘तारे ज़मीं पर’ में दिखाया। फ़िल्म की कहानी इस प्रकार है।

आठ वर्षीय ईशान अवस्थी का मन पढ़ाई के बजाय कुत्तों, मछलियों को पकड़ने में, पेंटिंग में लगता है। माता – पिता चाहते हैं कि वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। ईशान घर पर माता-पिता की डॉट खाता है और स्कूल में अध्यापकों की । वे ईशान की मन के बारे में सोचने के बजाय ईशान को बोर्डिंग स्कूल में भेज देते हैं।

बोर्डिंग स्कूल में ईशान हमेशा उदास रहता है। वहाँ के कला अध्यापक रामशंकर निकुंभ, ईशान के बारे में सोचते हैं और पता कर लेते हैं कि वह ‘डिसलेक्सिया’ की समस्या से पीडित है। उसे अक्षरों को पढ़ने में तकलीफ़ होती है। निकुंभ सर अपनी प्यार और दुलार से ईशान के अंदर छिपी प्रतिभा को सबके सामने लाते हैं। कहानी तो सरल है कुछ दृश्य देखने से कई लोगों को अपने बचपन की याद आती है। अंत में ईशान को चित्रकारी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिलता है। इस चित्र में ईशान को देखकर हमें ऐसा लगता है कि उसने नवरसों को अपने चेहरे में दिखाया है।

प्रश्न 4.
हमें सिनेमा कहाँ देखना चाहिए? क्यों?
उत्तर:
हमें सिनेमा सिनेमाघर में ही देखना चाहिए | क्योंकि पाइरेटेड (चोरी की हुई फ़िल्म) रूप देखना गैर कानूनी है | इस कानूनी अपराध के लिए कारावास की सज़ा भी दी जाती है। सिनेमाघर में सिनेमा देखकर उसे जिंदा रखना हमारा कर्तव्य है।

प्रश्न 5.
सिनेमाघर कैसा होता है? बताओ।
उत्तर:
सिनेमाघर निश्चित स्थान पर मज़बूत चार दीवरों के बीच में एक पर्दे के आगे बैठने के लिए सीट होते हैं और पीछे प्रोजेक्टर होता है इसके सहारे सिनेमा चलता रहता है।

पढ़ो

अ) पाठ में आये अंग्रेज़ी शब्द ढूँढ़ो। शब्दकोश में उनके अर्थ ढूँढ़ो । वाक्य में प्रयोग करो।
जैसे : प्रोजेक्टर – प्रक्षेपक ; प्रक्षेपक की सहायता से परदे पर सिनेमा दिखायी देता है।
उत्तर:
सिनेमा – चलचित्र
आजकल चलचित्र जल्दी-जल्दी तैयार हो रहे हैं।

पैरसी – चोरी
चोरी से निकाले हुए चित्र मत देखना चाहिए।

कैमेरामन – छाया ग्राहक
चलचित्र बनाने के कार्य में छायाग्राहक की भूमिका अच्छी होनी चाहिए।

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आ) पाठ का चौथा अनुच्छेद पढ़ो। उसके आधार पर प्रश्न और उत्तर बनाओ।
जैसे : प्रश्न – मेरा जन्म कहाँ हुआ? उत्तर – मेरा जन्म विदेश में हुआ ।
उत्तर: प्रश्न :
प्रश्न 1.
भारत में मुझे लाने का श्रेय किसे जाता है?
उत्तर:
भारत में मुझे लाने का श्रेय मेरे पितामह दादा साहेब फाल्के को जाता है।

प्रश्न 2.
सन् 1913 में उन्होंने किस नाम से मुझे आपके सामने लाया?
उत्तर:
सन् 1913 में उन्होंने ‘राजा हरिश्चंद्र’ के नाम से मुझे आपके सामने लाया।

प्रश्न 3.
“मेरी खुशी का ठिकाना न रहा” इस प्रकार किसने कहा ?
उत्तर:
“मेरी खुशी का ठिकाना न रहा” इस प्रकार सिनेमा ने कहा ।

प्रश्न 4.
दादा साहेब फाल्के ने मेरा भविष्य क्या कर दिया?
उत्तर:
दादा साहेब फाल्के ने मेरा भविष्य उज्ज्वल कर दिया |

इ) राजा हरिश्चंद्र भारत की पहली मूक फ़िल्म थी । उसी तरह पहली बोलती फ़िल्म थी – ‘आलम आरा।’ अब नीचे दिखाये गये पोस्टर के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दो ।
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उत्तर:

  1. सिनेमाघर का नाम मैजेस्टिक सिनेमाघर है।
  2. पात्रों के नाम जुबेदा, विट्ठल और पृथ्वीराज कपूर हैं।
  3. सिनेमा देखने का समय शाम 5.30, 6.00 और रात 10.30. बजे।
  4. मूक फ़िल्म में शब्द नहीं होते । केवल दृश्य होते हैं। केवल संकेतों के माध्यम से विषय को ग्रहण करना पडता है। बोलती फ़िल्म में शब्दों के माध्यम से सिनेमा सुन और देख सकते हैं।

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ई) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखो ।

प्रश्न 1.
दादा साहेब फाल्के कौन थे?
उत्तर:
भारत में सन् 1913 में सिनेमा को राजा हरिश्चंद्र नामक सिनेमा से प्रप्रथम लोगों के सामने लाये हुए व्यक्ति दादा साहब फाल्के थे।

प्रश्न 2.
सिनेमा में कैसे भाव देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
सिनेमा में सभी प्रकार के भाव देखने को मिलते हैं जैसे हास्य, दुःख, कल्पना और प्रेरणा आदि।

प्रश्न 3.
निर्देशक क्या करता है?
उत्तर:
सिनेमा को बनाने में तथा पूरा करवाने के लिए निर्माता, निर्देशक की सहायता लेता है। वास्तव में सिनेमा का केंद्र बिंदु निर्देशक ही है। निर्देशक सिनेमा के निर्माण से जुड़े सभी लोग जैसे नायक-नायिका, पात्र, संगीत निर्देशक, कथाकार, संवाद लेखक, कैमरा मेन आदि को एक सूत्र में बाँधकर सिनेमा को साकार रूप देता है।

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प्रश्न 4.
सिनेमा का हमसे क्या निवेदन है?
उत्तर:
सिनेमा हम से इस प्रकार निवेदन करता है कि “मेरी अच्छाई को स्वीकार करो | मुझे सिनेमा घरों में ही देखो | पाइरेटेड (चोरी की हुई फ़िल्म) बिलकुल मत देखो । पैरेसी सी.डी को न तो खरीदे और न ही बेचे’|

लिखो

अ) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखो।
प्रश्न 1.
भारत में सिनेमा के आरंभ के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर:
भारत में सिनेमा को लागू करने का श्रेय पितामह दादा साहेब फाल्के को जाता है। इन्होंने सन् 1913 में प्रप्रथम मूक सिनेमा राजा हरिश्चंद्र के नाम से हमारे सामने लाया । इसके बाद ‘आलम – आरा’ नामक बोलती फ़िल्म सन् 1931 में दिखायी गई।

प्रश्न 2.
निर्देशक और सिनेमा एक – दूसरे से कैसे जुड़े रहते हैं?
उत्तर:
किसी भी सिनेमा का विजय निर्देशक पर ही निर्भर रहता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि निर्देशक ही सिनेमा का केंद्रबिंदु हैं। निर्देशक निर्माण से संबंधित सभी लोगों जैसे नायक-नायिका, पात्र, संगीत निर्देशक, कथाकार, संवाद लेखक, कैमेरा मेन और सेट असिस्टेंट को एक सूत्र में बांधकर सिनेमा को एक साकार रूप लाया जाता है।

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प्रश्न 3.
पाइरेटेड सिनेमा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पाइरेटेड का अर्थ यह है कि “चोरी की हुई फ़िल्म” सिनेमा को बनाने में हज़ारों लोगों की मेहनत जुडी होती हैं। सिनेमा से उनकी जीविका चलती है। इसलिए सिनेमा को सिनेमाघर में देखने से इन लोगों को “जीवनोपाधि” मिलती हैं। गैर कानूनी से व चोरी की हुई फ़िल्म देखने से इनकी भूख नहीं मिटती ।

आ) इस पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखो ।
(या)
“मैं सिनेमा हूँ” पाठ में सिनेमा ने अपने बारे में क्या बताया? लिखिए।
(या)
“मैं सिनेमा हूँ’ – पाठ में सिनेमा ने अपनी आत्मकथा बतायी । समझाइए
उत्तर:
”मैं सिनेमा हूँ…..” पाठ में सिनेमा आत्मकथा को हमारे सामने इस प्रकार पेश कर रहा है।

मैं सिनेमा हूँ। मैं प्रोजेक्टर के सहारे चलता हूँ। परदे पर दिखता हूँ। सभी लोगों का मनोरंजन करता हूँ। मेरा जन्म विदेश में हुआ किंतु भारत में मुझे लाने का श्रेय दादा साहेब फाल्के को जाता है। सन् 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र के नाम से मुझे सभी लोगों के सामने लाया। तब मुझ में बोलने की क्षमता नहीं है। सन् 1931 में आलम – आरा नाम से बोलने की क्षमता सहित आपके सामने आ गया हूँ । मेरी कितनी प्रशंसा होने पर भी मेरा निर्माता मनुष्य ही है। उसी ने मुझे निर्जीव से सजीव बनाया |

मुझ में सभी भाव देखने को मिलते हैं। जैसे हास्य, दुःख, कल्पना और प्रेरणा आदि। मुझे बनाने में कई लोगों का योगदान होता है। कहानीकार कहानी, लिखने के बाद निर्माता उसे खरीदता है। निर्माता यहाँ से लेकर मुझे सिनेमाघरों तक पहुँचाने वाला व्यक्ति है।

निर्माता अपने इस काम को पूरा करवाने के लिए निर्देशक की सहायता लेता है। वास्तव में मेरा केंद्र बिंदु निर्देशक ही है। निर्देशक निर्माण से जुडे नायक – नायिका, पात्र, संगीत निर्देशक, कथाकार, संवाद लेखक, कैमरामेन आदि को एक सूत्र में बाँधकर मुझे साकार रूप देता है। मुझ से उनकी जीविका चलती है।

संसार में जिस प्रकार अच्छाई और बुराई है उसी प्रकार मुझ में अच्छे और बुरे हैं। मेरा निवेदन है कि आप अच्छाई को ही स्वीकार करें। मुझे सिनेमाघरों में ही देखें। पैरसी सी.डी. न तो खरीदो और न तो बेचो | चोरी की हुई फ़िल्म देखना या दिखाना दोनों कानूनन अपराध है।

शब्द भंडार

अ) निम्न लिखित शब्दों को वाक्य में प्रयोग करो।

1. मनोरंजन : सिनेमा से मनोरंजन मिलता है।
2. उत्सुक : वह गीत गाने में उत्सुक है।
3. विदेश : आम फल को विदेश लोग भी बहुत पसंद करते हैं।
4. श्रेय : तंदुरुस्ती के लिए टहलना श्रेय है।
5. प्रशंसा : अच्छे काम करने वालों की प्रशंसा करनी चाहिए।
6. भविष्य : आज के बच्चे ही भविष्य के नागरिक हैं।
7. उज्ज्वल : उज्ज्वल भविष्य के लिए खूब परिश्रम करना चाहिए।
8. सजीव : हमें सजीव रहने के लिए प्राण वायु आक्सीज़न की ज़रूरत होती है।
9. संगीत : संगीत से कुछ रोगों को दूर कर सकते हैं।
10. प्रेरणा : अल्लूरि सीतारामराजु को प्रेरणा उनके पिता से मिली है।

सजनात्मक अभिव्यक्ति

अ) नीचे दी गयी जानकारी से एक पोस्टर बनाओ।

फ़िल्म का नाम – मायाबज़ार (अपना मनपसंद नाम दे सकते हैं।)
प्रारंभ करने की तिथि – xxxxxx (अपना मनपसंद दिनांक डालो।)
पात्रों के नाम – ए.एन.आर.,एन.टी. रामाराव, सावित्रि (अपने मनपसंद पात्रों के नाम लिखो।)
निर्देशक का नाम – बि.एन.रेड्डि (अपने मनपसंद निर्देशक का नाम लिखो।)
सिनेमाघर का नाम – दुर्गा कलामंदिर (अपने मनपसंद सिनेमाघर का नाम लिखो।)
सिनेमा की विशेषता – रंगीन (अपनी ओर से सिनेमा की विशेषता लिखो।)
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प्रशंसा

अ) अपने मनपसंद सिनेमा के बारे में बाताओ।
उत्तर:
मेरा मनपसंद सिनेमा अल्लूरि सीतारामराजु है। इसमें टॉलीवुड् के नायक कुष्णा ने सीतारामराजू का वेश धारण किया । उस वेश में वे सचमुच सीता रामराजू की तरह दिखाई दिए | परदा उठते ही यह आवाज़ आती है कि काल की कठोर आवश्यकताएँ महापुरुषों को जन्म देती हैं। अंग्रेज़ों के अत्याचार चरम सीमा पर पहुँच गये। देश को आज़ाद करने के लिए देशभक्त वीरों की आवश्यकता है, जो ईंट का जवाब पत्थर से दे सकें। काल की इन कठोर अवश्यकताओं ने जिन महान देशभक्तों को जन्म दिया उनमें अल्लूरि सीतारामराजु भी एक है। इस प्रकार की आवाज़ आते समय निर्देशक हमें अंग्रेजों के अत्याचार और सीतारामराजु का जन्म आदि दृश्य दिखाते हैं।

यह सिनेमा रंगीन और ‘स्टीरियो फोनिक साऊंड’ का पहला चित्र होने के कारण सभी लोगों का मन मोह लिया। इसके बाद रामराजु के व्यक्तित्व, पिता की मृत्यु, चाचा के घर जाना, रामराजु के मन में देश प्रेम की भावना लहराना, योगाभ्यास, घुड सवारी में अधिक समय बिताना, सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा से स्वतंत्र संग्राम में कदम रखना, कुछ साल तपस्या के बाद एक महापुरुष के रूप में मण्यम प्रांत पहुँचना, उसीको अपने कार्य क्षेत्र के रूप में चुनना, मण्यम वासियों को युद्ध कला में शिक्षण देना, उन्हीं लोगों को अपना सेना बनाना, उनके सहारे छापामार लडाई लडना आदि को निर्देशक बहुत सुंदर ढ़ग से बनाए। इस चित्र में वाद-संवाद को अधिक प्रधानता दी गई । अंग्रेजों के आगे नायक कृष्णा का संवाद उन्हें अग्रस्थान में खडा करने का कारण बन गया । छाया चित्रकार भी सिनेमा ‘सूपर-डूपर’ बनने में अपना योगदान दिया। अंत में सीतारामराजु का मरण दृश्य सभी लोगों के आँखों में आँसू बहा दी।

भाषा की बात

अ) नीचे दिया गया अनुच्छेद पढ़ो ।
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‘प्रोजेक्टर से मैं चलता हूँ।
परदे पर मैं दिखता हूँ।
मनोरंजन सबका करता हूँ।
जल्दी बताओ कौन हूँ मैं?”

ऊपर दिये गये अनुच्छेद में चलता हूँ, दिखता हूँ, करता हूँ, बताओ, हूँ ये सारे शब्द किसी काम का होना प्रकट करते हैं। ऐसे शब्द ही क्रिया शब्द कहलाते हैं। क्रिया के दो प्रकार हैं। वे हैं –
1. अकर्मक क्रिया,
2. सकर्मक क्रिया

1. अकर्मक क्रिया :
जहाँ कर्ता के व्यापार का फल कर्ता पर पड़े उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे : मैं प्रोजेक्टर से चलता हूँ । ‘चलता हूँ’, क्रिया का व्यापार ‘मैं’ पर पड़ रहा है।
जैसेः
लड़का हँसता है। .
लड़का दौड़ता है।

2. सकर्मक क्रिया :
जहाँ कर्ता के व्यापार का फल कर्म पर पडे उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे : निर्माता उस कहानी को खरीदता है। ‘खरीदता है’ क्रिया का व्यापार कर्म ‘कहानी’ पर पड़ रहा है।

जैसेः राकेश चित्र बनाता है।
लड़की रोटी खाती है।

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आ) पाठ में आये हुए अन्य तीन क्रिया शन्द ढूँढो । वाक्य प्रयोग करो । उत्तर – पुस्तिका में लिखो।
जैसे : देखना – मैं सिनेमा देखना चाहता हूँ।
उत्तर:
1. स्वीकार – हमें हमेशा अच्छाई को स्वीकार करना है।
2. खरीदना – मैं ताज़े फल खरीदता हूँ।
3. बेचना – वह समाचार पत्र बेचता है।

परियोजना कार्य

अ) हिन्दी समाचार चैनल के पाँच मुख्य समाचार लिखो।
उत्तर:

  • करोना चीन से लौट सभी 406 लोगों की सैन्य अस्पताल से छुट्टी –
  • हैदराबाद – आधार पर 127 लोगों को UIDAI ने भेजा नोटिस –
  • मौलाना तौकीर बोले, मुल्क को नुकसान पहुँचाने का काम कर रहे फिरकापरस्त – CAA Protest
  • तेलंगाण सरकार भी सीएए के खिलाफ लाएगी प्रस्ताव
  • केसीआर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ करेंगे चर्चा

मैं सिनेमा हूँ Summary in English

in this lesson “I am the Cinema’, cinema explains to us its autobiography.

I am the cinema. I run with the help of a projector. I appear on the silver screen. I entertain everybody. I am born in a foreign country. It is Dada Saheb Phalke who had got the credit of bringing me to India. He brought me before the people with the title ‘Raja Harischandra’ in 1913. Initially I did not have sound. I, the first Talkie movie in Hindi Alam Ara’ was released in 1931. Though I am great, the man himself created me. He alone transformed me from lifeless to live (Mookie to Talkie).

Every feeling i.e., humour, grief, imagination and inspiration etc., is seen in me. Many people partake in making me. After the writer completes writing a story, a producer buys it. The producer is the one who takes me to the theatre from here.

The producer takes the help of a director to complete this task. In fact, my centre of attention is none but the director. The director coordinates all the people who are concerned with the making of cinema viz., hero, heroine other characters, music director, story writer, dialogue writer, camera man etc., and gives me proper form. They are all getting livelihood because of me.

Just as the world contains good and evil, I too have both of them. What my appeal is to receive the good only. Watch me only in theatres. Never buy and sell piracy CDs. It is illegal to watch or show the pirated films.

अर्थग्राह्यता -प्रतिक्रिया

पठित – गद्यांश

नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।

1. मेरा जन्म विदेश में हुआ। किंतु भारत में मुझे लाने का श्रेय मेरे पितामह दादा साहेब फाल्के को जाता है। सन् 1913 में उन्होंने राजा हरिश्चंद्र के नाम से मुझे आपके सामने लाया । देश – विदेश के समाचार पत्रों में मेरे लाड़ले दादा साहेब फाल्के की खूब प्रशंसा की गयी । मेरी खुशी का ठिकाना न रहा । उन्होंने मेरा भविष्य उज्ज्वल कर दिया ।
प्रश्न :
1. इस अनुच्छेद में कौन बोल रहा है?
उत्तर:
इस अनुच्छेद में सिनेमा बोल रहा है।

2. भारत में सिनेमा को लाने का श्रेय किसे जाता है?
उत्तर:
भारत में सिनेमा को लाने का श्रेय दादा साहेब फाल्के को जाता है।

3. देश-विदेश के समाचार पत्रों में किसकी प्रशंसा की गयी?
उत्तर:
देश – विदेश के समाचार पत्रों में दादा साहेब फाल्के की खूब प्रशंसा की गई।

4. सिनेमा के भविष्य को किसने उज्ज्वल कर दिया था?
उत्तर:
सिनेमा के भविष्य को दादा साहेब फाल्के ने उज्ज्वल कर दिया था।

5. “प्रशंसा’ – शब्द का विलोम पहचानिए।
उत्तर:
‘प्रशंसा’ शब्द का विलोम है – “निंदा”।

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2. बच्चो ! मेरी एक ही इच्छा है। वह है – सबको खुश देखना। दुनिया में अच्छाई और बुराई | दोनों भी हैं। उसी तरह मेरे अच्छे और बुरे दोनों रूप हैं। मेरा निवेदन है कि मेरी अच्छाई को स्वीकार करो। मुझे सिनेमाघरों में ही देखो। आजकल कुछ लोग मेरा पाइरेटेड (चोरी की हुई फिल्म) रूप दिखा रहे हैं। मुझे इस तरह से बिल्कुल न देखो। इस तरह देखना या दिखाना दोनों कानूनन अपराध है। इसलिए पैरेसी (चोरी) सी.डी. न तो खरीदो और न ही बचो।
प्रश्न :
1. सिनेमा की इच्छा क्या है?
उत्तर:
सिनेमा की एक ही इच्छा है “सब को खुश देखना”।

2. दुनिया में क्या – क्या हैं?
उत्तर:
दुनिया में अच्छाई और बुराई दोनों हैं।

3. कानूनन अपराध क्या है?
उत्तर:
पाइरेटेड सी.डी. (चोरी की गई फ़िल्म)देखना और दिखाना दोनों कानूनन अपराध हैं।

4. किसे न खरीदना और न बेचना चाहिए?
उत्तर:
पाइरेटेड (चोरी की गई फ़िल्म) सिनेमा को न खरीदना और न बेचना चाहिए।

5. सिनेमा का निवेदन क्या है?
उत्तर:
सिनेमा का निवेदन है कि उसकी अच्छाई को ही स्वीकार करना चाहिए।

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3. मुझे में सभी भाव देखने को मिलते हैं – मुझ में हास्य है तो दुख भी है। मुझ में कल्पना है, तो प्रेरणा भी है। किंतु मुझे बनाने में कई लोगों का योगदान होता है।

कहानीकार एक अच्छी कहानी लिखता है। निर्माता उस कहानी को खरीदता है। निर्माता मुझे बनाने से लेकर सिनेमाघरों तक पहुँचाने वाला महत्वपूर्ण व्यक्ति है।
प्रश्न :
1. सिनेमा को बनाने में कितने लोगों का योगदान होता है?
उत्तर:
सिनेमा को बनाने में कई लोगों का योगदान होता है।

2. सिनेमा में कल्पना के साथ और क्या है?
उत्तर:
सिनेमा में कल्पना के साथ प्रेरणा भी है।

3. कहानी को खरीदने वाला कौन है?
उत्तर:
निर्माता कहानी को खरीदनेवाला है।

4. एक अच्छी कहानी कौन लिखता है?
उत्तर:
कहानीकार एक अच्छी कहानी लिखता है।

5. सिनेमा में कौन – कौन से भाव देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
सिनेमा में सभी भाव देखने को मिलते हैं। सिनेमा में हास्य है तो दुख भी है।

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4. शाबाश ! तुम ने सही बताया। मैं सिनेमा हूँ। तुम सभी को मुझे देखना अच्छा लगता है न ! मुझे भी तुम से मुलाकात करना अच्छा लगता है। छुट्टी के समय में मुझे देखने के लिए उत्सुक रहते हो न ! मुझे भी तुम्हें आनंदित करना अच्छा लगता है।
प्रश्न :
1. उपर्युक्त इस गद्यांश में “मैं” कौन है?
उत्तर:
उपर्युक्त गद्यांश में “मैं” सिनेमा है।

2. सभी को किसे देखना अच्छा लगता है?
उत्तर:
सभी को सिनेमा देखना अच्छा लगता है।

3. हम सिनेमा को कब देखने के लिए उत्सुक रहते हैं?
उत्तर:
छुट्टी के समय में हम सिनेमा को देखने के लिए उत्सुक रहते हैं।

4. हमें आनंदित करना किसे अच्छा लगता है?
उत्तर:
हमें आनंदित करना सिनेमा को अच्छा लगता है।

5. उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त गद्यांश “मैं सिनेमा हूँ ….” पाठ से लिया गया है।

अपठित – गद्यांश

निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।

1. हमारे झंडे में तीन रंग हैं। सबसे ऊपर केसरी बीच में सफेद और नीचे हरा रंग। इन तीनों रंगों के कारण इसे तिरंगा भी कहते हैं। इसके मध्यभाग में 24 तीलियों वाला एक चक्र है। झंडे का यह रूप सन् 1931 में भारतीय कांग्रेस द्वारा स्वीकार किया गया था ।
प्रश्न :
1. हमारे झंडे में कितने रंग हैं?
A) चार
B) दो
C) तीन
D) कई
उत्तर:
C) तीन

2. तीन रंग क्रम में क्या – क्या हैं?
A) केसरी, सफ़ेद, हरा
B) हरा, केसरी, सफ़ेद
C) सफ़ेद, हरा, केसरी
D) केसरी, हरा, सफ़ेद
उत्तर:
A) केसरी, सफ़ेद, हरा

3. हमारे झंडे को क्या कहते हैं?
A) सतरंगा
B) तिरंगा
C) द्विरंगा
D) इंद्रधनुष
उत्तर:
B) तिरंगा

4. मध्यभाग के चक्र में कितने तीलियाँ हैं?
A) बीस
B) तीस
C) चौंतीस
D) चौबीस
उत्तर:
D) चौबीस

5. झंडे के रूप को कब भारतीय कांग्रेस द्वारा स्वीकार किया गया?
A) सन् 1928 में
B) सन् 1930 में
C) सन् 1931 में
D) सन् 1947 में
उत्तर:
C) सन् 1931 में

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2. मिजोराम जंगल में एक बारहसींगा रहता था। एक दिन वह तालाब के किनारे खडा स्वच्छ जल में अपनी परछाई देख रहा था। उसने मन ही मन सोचा – “मेरे सींग कितने सुंदर हैं। अन्य किसी जानवर के ऐसे सुंदर सींग नहीं है। किंतु अपने टांगों को देखकर मुझे बड़ा दुःख होता है ये कितनी पतली और कमजोर है। उसी समय उसने एक बाघ की गुर्राहट सुनी वह उससे कुछ ही दूर पर था ।
प्रश्न :
1. बारहसींगा कहाँ रहता था?
A) कान्हा जंगल
B) मदुमलाई जंगल
C) काजीरंगा जंगल
D) मिजोराम जंगल में
उत्तर:
D) मिजोराम जंगल में

2. बारह सींगा अपनी परछाई कहाँ देख रहा था?
A) धूप में
B) दर्पण में
C) जल में
D) चांदनी में
उत्तर:
C) जल में

3. बारह सींगा अपने सींगों के बारे में क्या सोचा?
A) सुंदर हैं
B) कुरूप हैं
C) तेज़ हैं
D) छोटे हैं
उत्तर:
A) सुंदर हैं

4. उसके टाँग कैसे हैं?
A) कमज़ोर
B) मज़बूत
C) सुंदर
D) लंबे हैं
उत्तर:
A) कमज़ोर

5. उसी समय उसने किसकी गुर्राहट सुनी?
A) शेर की
B) बाघ की
C) चीता की
D) भालू की
उत्तर:
B) बाघ की

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3. छोटी – सी इंदिरा उन दिनों इलाहाबाद में अपने आनंद भवन नामक बड़े घर में रहती थीं। घर में क्रांतिकारी आते – जाते रहते थे। देश को आज़ाद कराने के लिए नई – नई योजनाएँ बनती रहती थीं। सभी लोग देश के लिए कुछ – न – कुछ कार्य करना चाहते थे। इंदिरा ने भी छोटे – छोटे बच्चों की टोली बनाई। उसे वह वानर सेना कहती थी।
प्रश्न :
1. छोटी सी इंदिरा कहाँ रहती थी?
A) दिल्ली में
B) हैदराबाद में
C) इलाहाबाद में
D) चेन्नै में
उत्तर:
C) इलाहाबाद में

2. घर में कौन आते – जाले रहते थे?
A) क्रांतिकारी
B) मज़दूर
C) नेता
D) भक्त
उत्तर:
A) क्रांतिकारी

3. नयी – नयी योजनाएँ क्यों बनती रहती थी?
A) आज़ादी के लिए
B) गुलामी के लिए
C) लूटने के लिए
D) मारने के लिए
उत्तर:
A) आज़ादी के लिए

4. सभी लोग किसके लिए कुछ न कुछ कार्य करना चाहते थे?
A) अपने लिए
B) दूसरों के लिए
C) रिश्तेदार के लिए
D) देश के लिए
उत्तर:
D) देश के लिए

5. बच्चों की टोली को वह क्या कहती थी?
A) यु सेना
B) नर सेना
C) वानर सेना
D) देव सेना
उत्तर:
C) वानर सेना

AP Board 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं सिनेमा हूँ....

4. शिवनेर के किले में सन् 1630 में बालक शिवा का जन्म हुआ था। उनके पिता शाहजी बिजापुर दरबार में एक नवाब के दरबारी थे। शिवा का बचपन माता जीजाबाई के साथ बीता। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था। माँ उन्हें वीर पुरुषों की कहानियाँ सुनाती।
प्रश्न :
1. बालक शिवा का जन्म कब हुआ?
A) 1630
B) 1632
C) 1316
D) 1930
उत्तर:
A) 1630

2. शिवा के पिताजी कहाँ के दरबारी थे?
A) शिवनेर
B) बिजापुर
C) बगदाद
D) शिवा के
उत्तर:
B) बिजापुर

3. शिवा का बचपन किसके साथ बीता?
A) भाई के साथ
B) पिता के साथ
C) माता के साथ
D) दोस्तों के साथ
उत्तर:
C) माता के साथ

4. शिवा का पूरा नाम क्या था?
A) शिवाजी भोंसले
B) जीजाबाई
C) शाहजी
D) शिवनेर
उत्तर:
A) शिवाजी भोंसले

5. माँ उन्हें क्या सुनाती ?
A) वीर पुरुषों की कहानियाँ
B) तेनाली राम की कहानियाँ
C) नीतिपरक कहानियाँ
D) कायर लोगों की कहानियाँ
उत्तर:
A) वीर पुरुषों की कहानियाँ

AP Board 8th Class Hindi Solutions Chapter 9 मैं सिनेमा हूँ....

5. आज से लगभग 500 वर्ष पहले की बात थी । इटली के जेनेवा नगर में कोलंबस का जन्म हुआ | था। बडा होने पर कोलंबस समुद्र – तट पर जाने लगा। वह घंटों समुद्र और समुद्र में चलती नावों को देखा करता था। वह सोचता था कि किसी नौका में बैठकर दूर – दूर तक समुद्र में घूम सकता तो कितना अच्छा होता?
प्रश्न :
1. कितने वर्ष पहले की बात थी?
A) 300
B) 400
C) 500
D) 600
उत्तर:
C) 500

2. कोलंबस का जन्म कहाँ हुआ था?
A) जेनेवा में
B) फ़्रांस में
C) जापान में
D) चीन में
उत्तर:
A) जेनेवा में

3. बडा होने पर कोलंबस कहाँ जाने लगा?
A) नदी के पास
B) तालाब के पास
C) हवाई अड्डे के पास
D) समुद्र तट पर
उत्तर:
D) समुद्र तट पर

4. वह घंटों तक किसे देखा करता था?
A) लोगों को
B) नावों को
C) मछुआरों को
D) लहरों को
उत्तर:
B) नावों को

5. समुद्र शब्द का पर्यायवाची शब्द पहचानिए।
A) लहर
B) पानी
C) सागर
D) नदी
उत्तर:
C) सागर