SCERT AP Board 7th Class Hindi Solutions निबंध-लेखन Notes, Questions and Answers.
AP State Syllabus 7th Class Hindi निबंध-लेखन
1. पुस्तकालय (గ్రంథాలయము)
ग्रन्थालय में अनेक प्रकार की पुस्तकें रखी जाती हैं। कुछ पुस्तकों से केवल मनोविनोद होता है। कुछ पुस्तकों को पढ़ने से ज्ञान प्राप्त होता है। पुस्तकें अच्छे मित्र के समान जीवन भर काम आती हैं।
साधारणतया पुस्तकालय में सभी दैनिक पित्रकाओं के साथ कई विशेष पत्रिकाएँ और बडे-बडे ग्रन्थों के साथ सभी आवश्यक किताबें इतिहास, भूगोल विज्ञान आदि किताबों के अतिरिक्त, कहानियाँ, उपन्यास, नाटक आदि किताबों का इन्तज़ाम होता है। जो लोग इन सब किताबों को खरीदकर नहीं पढ़ सकते हैं, उनके लिए ग्रन्थालय अत्यन्त लाभदायक है।
हमारे देश में तंजावूर के सरस्वती ग्रन्थालय अत्यन्त महत्व का है। ऐसे ग्रन्थालय देश में कई स्थानों पर स्थापित करने की अत्यन्त आवश्यकता है। साधारणतः हर एक गाँव में छोटे-छोटे ग्रन्थालयों के होने की अत्यंत आवश्यकता है।
2. समाचार-पत्र (వార్తాపత్రిక)
आजकल दुनियाँ में समाचार पत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है। इनसे हमें संसार के सभी प्रातों के समाचारों के अतिरिक्त राजनैतिक टीका-टिप्पणी, अच्छे-अच्छे लेख, वस्तुओं के भाव कई प्रकार के विज्ञापन और सिनेमा संबंधी सचित्र विज्ञान आदि प्रकाशित होते हैं।. संसार के सभी प्रांतों के समाचार शीघ्र ही पहुंचाते हैं।
समाचार पत्र कई प्रकार के होते हैं। इनमें दैनिक पत्रों की बड़ी माँग होती है। इसके अलावा साप्ताहिक, मासिक और पाक्षिक पत्र भी देश की विभिन्न भाषाओं में निकलते हैं। दैनिक पत्रों में राजनीति, समाज और विज्ञापन संबंधी सुन्दर लेख प्रकाशित होते हैं। सुन्दर कहानियाँ और धारावाहिक उपन्यास भी प्रकाशित होते रहते हैं। आजकल व्यापार, अर्थशात्र, सिनेमा आदि क्षेत्रों में विशेष पत्र, पत्रिकाएँ भी निकली हैं। मन बहलाव और ज्ञान -विज्ञान के लिये ये समाचार पत्र बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं।
3. सिनेमा से लाभ और हानि (సినిమా లాభ-నష్టములు)
सिनेमा या चलन-चित्र से हमें कई लाभ हैं। एक गरीब आदमी घूम फिरकर संसार के सभी सुन्दर दृश्य नहीं देखे सकता । लेकिन इनके द्वारा आसानी से थोडा समय और थोडे पैसों से देख सकता है। हम काम करते-करते थक जाते हैं। इसलिए मनोरंजन के बिना अपने काम अधिक समय तक नहीं कर .. सकते हैं। थोडे से मनोरंजन से हम में स्फूर्ति आती है और काम करने का नया उत्साह पैदा होता है। इन चलन चित्रों से हम बहुत विषय सीख सकते हैं। कई चलनचित्रों के द्वारा राष्ट्रीय भाषाओं का प्रचार भी हो रहा है। देश भक्ति संबन्धी कई प्रकार के दृश्य दिखाये जा रहे हैं। इसके ज़रिए समाज सुधार का काम आसानी से हो सकता है। समाज के दुराचार दिखाकर उनको दूर करने का प्रयत्न किया जा सकता है।
सिनेमाओं से बहुत हानियाँ भी हैं। पैसा कमाने के उद्देश्य से आजकल के निर्माता उत्तम चित्र नहीं बनाते | ताकि दुष्परिणामों का असर युवकों पर पड़ता है और वे बिगडे जा रहे हैं। सिनेमाओं को अधिक देखने से आँखों के रोग बढ जाते हैं।
4. विद्यार्थी जीवन (విద్యార్థి జీవితము)
जो बालक विद्या का आर्जन करता है उसे विद्यार्थी कहते हैं। जो विद्यार्थी महान व्यक्तियों से अच्छी बातों को सीखना चाहता है। वही आदर्श विद्यार्थी बन सकता है। आदर्श विद्यार्थी को अपने हृदय में सेवा का भाव रखना चाहिए। उसको अच्छे गुणों को लेना चाहिये। उसको विनम्र और आज्ञाकारी बनना चाहिए। उसको शांतचित्त से अपने गुरु के उपदेशों को सुनना चाहिए। उसको सरलता और सादगी की ओर ध्यान देना चाहिए। उसको स्वच्छ पवित्र जीवन बिताना चाहिए। उसको स्वावलंबी बनना चाहिये। उसको अपने कर्तव्य को निभाना चाहिए। उसको समाज और देश का उपकार करना चाहिए। महापुरुषों की जीवनियों से प्रेरणा लेनी चाहिए | उसको समय का सदुपयोग करना चाहिये। आदर्श विद्यार्थी को सच्चा और सदाचारी बनना चाहिए।
5. किसी राष्ट्रीय त्योहार (జాతీయ పండుగ) (पन्द्रह अगस्त ) (ఆగష్టు 15)
हमारे भारत में कई तरह के त्योहार मनाये जाते हैं। जैसे दीपावली, दशहरा, क्रिसमस, रमज़ान आदि। इनके अतिरिक्त कुछ ऐसे त्योहार हैं जिनका राष्ट्रीय महत्व होता है। उन त्योहारों को सभी धर्मों के लोग. समान रूप से मनाते हैं। भारत का गणतंत्र दिवस, अगस्त पन्द्रह का स्वतंत्र दिवस आदि राष्ट्रीय त्योहार है।
हमारे स्कूल में इस वर्ष अगस्त पन्द्रह का स्वतंत्र दिवस बडे धूम-धाम से मनाया गया । विद्यालय में सर्वत्र रंग -बिरंगे झण्डे फहराये गये। सब लडके प्रातःकाल की प्रार्थना के लिए निकल पड़े । आठ बजे राष्ट्रीय झण्डे की वंदना की गयी । स्काऊट तथा एन. सी. सी. संबन्धी विन्यास हुए। इस अवसर पर खेल-कूद की प्रतियोगिताएँ हुयी। विजेताओं को पुरस्कार बाँटी गयीं। दोपहर को सभा हुई। हमारे प्रधानाध्यापक महोदय और अन्य अध्यापक महोदयों ने राष्ट्रीय त्योहारों के महत्व एवं विद्यार्थियों में देशभक्ति और सेवा की भावनाएँ जागृत की हैं। इन त्योहारों से हमारे नेता और उनकी कुर्बानियों की याद बनी रहती है।
6. राष्ट्रभाषा हिन्दी (జాతీయభాష హిందీ)
भारत एक विशाल देश है। इसमें अनेक राज्य हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी प्रादेशिक भाषा होती हैं। राज्य की सीमा के अंदर प्रादेशिक भाषा में काम चलता हैं। परंतु राज्यों के बीच में व्यवहार करने के लिए एक सामान्य संपर्क भाषा की आवश्यकता है। देश की प्रादेशिक भाषाओं में जिसे अधिक लोग बोलते और समझते हैं वही देश की राष्ट्र भाषा बन सकती है। इन सभी गुणों के होने के कारण प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से पूर्ण होने के कारण हिन्दी भाषा राष्ट्रभाषा घोषित की गयी है।
इसलिए देश के करोड़ों लोगों से बोली जानेवाली हिन्दी को हमारे संविधान ने राष्ट्रभाषा घोषित की अंतर प्रांतीय और अखिल भारतीय व्यवहारों के लिए हिन्दी का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक राज्य में वहाँ की प्रादेशिक भाषा, राज्यभाषा बनी।
7. समय का मूल्य (సమయము యొక్క విలువ)
हमारे जीवन में जो समय बीत गया है फिर नहीं आयेगा। जो समय का मूल्य नहीं जातने हैं, वे समय का दुरुपयोग करते हैं। जो बचपन में पढाई से जी चुरा लेते हैं उन्हें आगे चलकर पछताना पड़ता है। जो समय का सदुपयोग करते हैं, वे जीवन में उन्नति अवश्य पाते हैं। जो सुस्त रहते हैं वे समय का दुरुपयोग करते हैं और आज का काम कल पर डालते रहते हैं, समय का महत्व नहीं जानते हैं। जो समय का महत्व जानते हैं वे समय का सदुपयोग करते हैं। महात्मा गाँधीजी समय के बडे पाबन्द थे।
छात्रों को समय पालन की बडी आवश्यकता है उन्हें व्यायाम, अध्ययन सैर सपाटे आदि के लिए समय निश्चित कर लेना चाहिए। समय निश्चित करना पर्याप्त नहीं है। नियमपूर्वक उसका पालन करना अत्यन्य आवश्यक है। बचपन से समय पालन करना अत्यंत आवश्यक है। जो समय पालन का अच्छा अभ्यास करते हैं, वे आगे चलकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
8. व्यायाम से लाभ (వ్యాయామం వలన లాభాలు)
व्यायाम से बहुत लाभ हैं। व्यायाम शक्ति देने वाला है और सफलता का साधन भी है। इसीलिए व्यायाम स्वास्थ्य और सफलता की कुंजी कहलाता है। नियम के अनुसार व्यायाम करेंगे तो हमेशा नीरोग रहते हैं। तंदुरुस्ती बनी रहती है।
व्यायाम करने की बहुत रीतियाँ हैं। कुस्ती लडना, कसरत करना, खेलना-कूदना, दन्ड-बैठक आदि व्यायाम के भेद माने जाते हैं। टहलना और घूमना भी एक प्रकार का व्यायाम है। व्यायाम करने से श्वासक्रिया खूब होती है। उससे शरीर का रक्त शुद्ध होता है। शुद्ध रक्त से स्वास्थ्य बना रहता है और जल्दी कोई बीमारी नहीं होती । व्यायाम करने से पाचन शक्ति बढती है और शरीर में स्फूर्ति आती है।
9. जनवरी 26 (జనవరి 26)
जनवरी को गणतंत्र दिवस कहते हैं। 1950 में इसी दिन पहले-पहल स्वतंत्र भारत का नया संविधान बनाया गया था | उसकी यादगार में इस दिन सारे देश में आनंद और उत्साह से मनाते हैं क्योंकि 26 जनवरी को ही देश को पूर्ण स्वाधीन की शपथ ली गयी थी । इसके पहले “स्वाधीनता दिवस” नाम से मनाया जा रहा था।
यह गणतंत्र दिवस सारे भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन हमारी राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा निराली होती है। इस दिन सभी को छुट्टी मिलती है। बाज़ार बन्द रहते हैं। दिल्ली में जल, स्थल और वायुसेना के टुकड़ियाँ राष्ट्रपति को वंदना करती है। इस समारोह को देखने के लिए दूर-दूर से लोग दिल्ली पहुंचते हैं।
इस दिन राष्ट्रपति सजधजकर अभिवादन स्वीकार करते हैं। प्रधान मंत्री राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं।
10. दूरदर्शन (టెలివిజన్)
दूरदर्शन को ‘टेलिविज़न’ भी कहते हैं। “टेली”का अर्थ है दूर और “विज़न” का अर्थ है प्रतिबिंब। जिस यन्त्र की सहायता से दूर-दूर के दृश्यों का प्रतिबिंब हम घर बैठे देख सकते हैं उसे दूरदर्शन कहते हैं। देखने में यह रेडियो जैसा होता है। इसमें एक परदा लगा रहता है। परदे पर सारे दृश्य दिखायी देते हैं। फ़िल्म और नाटक भी देख सकते हैं। इसमें दृश्य और ध्वनि दोनों का समन्वय प्रसार किया जाता है। इन्हें प्रसारित करने का साधन रेडियो स्टेशन के समान होता है | इसकी महानता का श्रेय महान वैज्ञानिक डॉ. भाभा के प्रयत्नों से हैं।
दूरदर्शन से बहुत लाभ हैं। व्यापार, सामाजिक कार्य, वाद-विवाद, खेल, कृषि विज्ञान, नृत्य आदि इसके द्वारा दिखाये जा सकते हैं। दिन -ब -दिन इसकी माँग बढ रही है। अब गाँवों में भी इसका प्रसार अच्छी तरह हो रही है। इसके सुधार में वैज्ञानिक रात – दिन काम कर रहे हैं।
11.त्योहार (दीपावली) (దీపావళి)
दीपावली एक राष्ट्रीय त्योहार है। यह किसी न किसी रूप में भारत भर में मनाया जाता है। दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। यह दक्षिण भारत में आश्विन मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह अन्धकार पर प्रकाश डालनेवाला त्योहार है। इस त्योहार के संबन्ध में एक कहानी प्रसिद्ध है कि प्राचीनकाल में नरकासुर नामक एक क्रूर राक्षस रहता था । वह सभी को बहुत सताता था। बहुत स्त्रियों को कारागार में बन्दकर दिया था। लोगों में त्राहि-त्राहि मच गई । सभी लोगों ने जाकर भगवान कृष्ण से प्रार्थना की हैं कि उस राक्षस को मारकर हमारी रक्षा कीजिए। श्रीकृष्ण ने सत्यभामा समेत जाकर नरकासुर को युद्ध में मार डाला । उस दिन की याद में लोग हर साल दीवाली मनाते हैं। उस दिन लोग घरों को साफ़ करके घर-घर में दीप जलाकर खुशी मनाते हैं। बच्चे नये कपडे पहनकर पटाखे आदि छोडते हैं। पकवान, खाते हैं। बन्धु लोग आते हैं। मंदिर में जाकर भगवान की पूजा करते हैं। खासकर लक्ष्मी की पूजा करते हैं। उस दिन से व्यापारी लोग पुराने हिसाब ठीक करके नये हिसाब शुरू करते हैं।
12. आपके प्रिय नेता (తమ ప్రియ నాయకుడు)
महात्मा गाँधीजी मेरे प्रिय नेता हैं। महात्मा गाँधीजी ‘जाति पिता’ के रूप में हम सबको मालूम हैं। आप देश की दास्यता को दूर करने के लिए सच्चे सेवक के रूप में काम किये थे।
महात्मा गाँधीजी अहिंसावादी थे। आप सदा सच ही बोले थे। आपके नेतृत्व में ही भारत आज़ादी को प्राप्त कर ली । आप हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए बहुत कोशिश करते थे । आप हरिजनोद्धरण के लिए बहुत प्रयत्न करते थे | आप कुटीर उद्योगों और स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन देते थे।
आपने सत्य और अहिंसा के द्वारा ही दक्षिण आफ्रिका को भी स्वतन्त्र दिलाये | देश को आज़ादी दिलाने के लिए आपको कई बार जेल जाना पड़ा | आपका समय पालन हमारे लिए अनुकरणीय योग्य बात है। 1948 जनवरी 30 वी. तारीख को आप गाड्से नामक एक व्यक्ति के हाथों मारे गये।
13. पर्यावरण और प्रदूषण (వాతావరణ కాలుష్యము)
पर्यावरण याने वातावरण है। पर्यावरण में संतुलन होना चाहिए। नहीं तो हमें कई हानियाँ होती हैं। पशु, पक्षी और हम सब मनुष्य हवा में से आक्सीजन लेते हैं और कार्बन-डाइ-आक्सइड छोडते हैं। यह इसी रूप में पर्यावरण में फैलता है। पेड-पौधों की सहायता से पर्यावरण संतुलित हो जाता है।
पर्यावरण के असंतुलन से मौसम समय पर नहीं आता और वर्षा नियमित रूप से नहीं होते । वर्षा हुई भी तो कहीं अतिवृष्टि कहीं अल्पवृष्टि होती है।
पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने में हम सब सहयोग दे सकते हैं। सबसे पहले तो हम गंदगी न फैलाएँ। अपने आसपास की नालियों को साफ़ रखें। कूडा – कचरा जहाँ-तहाँ न फेंकें। जंगल के वृक्ष न काटें। हमारे यहाँ पेड लगाना पुण्य कार्य माना गया है।
पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है। हमारे स्वस्थ जीवन का आधार साफ़-सुथरा पर्यावरण ही है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें उपर्युक्त कामों को करना चाहिए।
14. शिक्षक दिवस (अध्यापक दिवस) (ఉపాధ్యాయ దినోత్సవము)
डॉ. सर्वेपल्लि राधाकृष्णन् भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति थे । वे अध्यापक के रूप में अपना जीवन प्रारंभ करके बाद में भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए। वे एक सफल अध्यापक थे । इसी कारण उनके जन्म दिन सितंबर 5 को शिक्षक दिवस (अध्यापक दिवस) के रूप में सारे देश में मनाया जाता है। इस दिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकार उत्तम अध्यापकों का चयन करके उनका सम्मान करती हैं। शिक्षा संस्थाओं में भी अध्यापकों का सम्मान किया जाता है। सरकार अध्यापकों के लिए उपयोगी और कल्याणकारी अनेक योजनाएँ प्रारंभ करती है। यह अध्यापकों के कल्याण के लिए एक निधि है। उससे संबंधित टिकट हर स्कूल में बेचे जाते हैं। उससे जो पैसे प्राप्त होते हैं, उन्हें अध्यापकों को विपत्ति के समय या बीमारी संबंधित कारणों के समय ऋण देते हैं।
इस प्रकार एक उत्तम अध्यापक की स्मृति में अध्यापक दिवस का मनाना समीचीन है। इससे विद्यार्थियों में अध्यापकों के प्रति भक्ति, गौरव, श्रद्धा भाव उत्पन्न होते हैं। समाज में अध्यापकों को उचित स्थान मिलता है। खेद की बात है कि – आजकल कुछ अध्यापकों में नैतिक गुणों का पतन दिखाई पड रहा है। यदि अध्यापक अपने कर्तव्य को ठीक तरह से नहीं निभाएँगे तो “शिक्षक दिवस’ मनाने से कोई लाभ नहीं होगा।
15. राष्ट्रभाषा हिन्दी (జాతీయ భాష హిందీ)
प्रस्तावना : भारत एक विशाल देश है। इसमें अनेक राज्य हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी प्रादेशिक भाषा होती है। राज्य के अंदर प्रादेशिक भाषा में काम चलता है। परंतु राज्यों के बीच व्यवहार के लिए एक संपर्क भाषा की आवश्यकता है। सारे देश के काम जिस भाषा में चलाये जाते हैं, उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं। राष्ट्रभाषा के ये गुण होते हैं।
- वह देश के अधिकांश लोगों से बोली और समझी जाती है।
- उसमें प्राचीन साहित्य होता है।
- उसमें देश की सभ्यता और संस्कृति झलकती है।
हमारे देश में अनेक प्रादेशिक भाषाएँ हैं। जैसे – हिन्दी, बंगाली, उडिया, मराठी, तेलुगु, तमिल, कन्नड आदि। इनमें अकेली हिन्दी राष्ट्रभाषा बनने योग्य है। उसे देश के अधिकांश लोग बोलते और समझते हैं। उसमें प्राचीन साहित्य है। तुलसी, सूरदास, जयशंकर प्रसाद जैसे श्रेष्ठ कवियों की रचनाएँ मिलती हैं। उसमें हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति झलकती है। यह संस्कृत गर्भित भाषा है। इसी कारण हमारे संविधान में हिन्दी राष्ट्रभाषा बनायी गयी। सरकारी काम – काज हिन्दी में हो रहे हैं। हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है। इस लिपि की यह सुलभ विशेषता है कि – इसमें जो लिखा जाता है वही पढ़ा जाता है।
उपसंहार :
भारतीय अखंडता और एकता के लिए हिन्दी का प्रचार और प्रसार अत्यंत अनिवार्य है। हर एक भारतीय को हिन्दी सीखने की अत्यंत आवश्यकता है। इसके द्वारा ही सभी प्रान्तों में एकता बढ सकती है। और आपस में मित्रता भी बढ़ सकती है।
16. कंप्यूटर (కంప్యూటర్)
प्रस्तावना :
यह विज्ञान का युग है। कुछ वर्ष पहले संसार के सामने एक नया आविष्कार आया उसे अंग्रेज़ी में कम्प्यूटर और हिन्दी में संगणक कहते हैं।
भूमिका (लाभ) :
आज के युग को हम कम्प्यूटर युग कह सकते हैं। आजकल हर क्षेत्र में इसका ज़ोरदार उपयोग और प्रयोग हो रहा है। चाहे व्यापारिक क्षेत्र हो, राजनैतिक क्षेत्र हो, यहाँ तक कि विद्या, वैद्य और संशोधन के क्षेत्र में भी ये बडे सहायकारी हो गये हैं। इसे हिन्दी में “संगणक” कहते हैं। गणना, गुणना आदि यह आसानी से कर सकता है। मनुष्य की बौद्धिक शक्ति की बचत के लिए इसका निर्माण हुआ है। आधुनिक कम्प्यूटर के निर्माण में चार्लस बाबेज और डॉ. होवर्ड एकन का नाम मशहूर हैं।
विषय प्रवेश :
परीक्षा पत्र तैयार करना, उनकी जाँच करना – इसके सहारे आजकल पूरा किया जा रहा है। जिस काम के लिए सैकडों लोग काम करते हैं, उस काम को यह अकेला कर सकता है। हम जिस समस्या का परिष्कार नहीं कर पाते हैं, उसे यह आसानी से सुलझा सकता है।
विश्लेषण :
चिकित्सा के क्षेत्र में भी इसका उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसके द्वारा यह सिद्ध हो गया कि – ” सब तरह के काम यह कर सकता है।”
उपसंहार :
इसकी प्रगति दिन – ब – दिन हो रही है। रॉकेटों के प्रयोग, खगोल के अनुसंधान में इसके . ज़रिये कई प्रयोग हो रहे हैं। यह वैज्ञानिकों के लिए एक वरदान है। हर छात्र को इसका प्रयोग करना सीखना है। इसके द्वारा देश.की अभिवृद्धि अवश्य हो सकती है। लेकिन बेरोज़गारी बढने की संभावना है।
17. अपना गाँव (మా గ్రామం)
मेरा गाँव ईमनी है। यह आँध्रप्रदेश राज्य में गुंटूर जिले में दुग्गिराला मंडल में स्थित है। हमारे गाँव में लगभग दस हजार लोग रहते हैं। यह बडा गाँव है। हमारे गाँव में कई मंदिर हैं। हमारे गाँव में विविध धर्मों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। यहाँ कई गिरिजाघर भी हैं। हमारे गाँव में कई पाठशालाएँ भी हैं। यहाँ के ज्यादानर लोग खेतीबारी करके जीवन यापन करते हैं। हमारा गाँव बहुत सुंदर है। हर साल हमारे गाँव में उत्सव आदि मनाते हैं।
18. अपना परिवार (మా కుటుంబం)
मेरा परिवार बहुत बड़ा है। मेरे परिवार में दादाजी, दादीजी, चाचा, चाची, मेरे पिताजी, माताजी, मैं और अपने दो भाई और एक बहिन है। मेरे पिताजी एक पाठशाला में अध्यापक है। माताजी गृहिणी है। दादाजी तो नौकरी से अवकाश प्राप्त किया है। मेरे परिवार के सारे सदस्य खूब पढ़े – लिखे हैं। दादा और दादीजी हमें हर रोज अच्छी – अच्छी कहाँनियाँ सुनाते हैं। मेरा घर भी बहुत बड़ा है। हम सब मिलजुलकर रहते हैं।
19. वृक्ष हमारे साथी (వృక్షాలు మన మిత్రులు)
प्रस्तावना :
वृक्ष या पेड हमारे साथी हैं। जीवन की राह में वे हमारी मदद करते ही रहते हैं। वे न केवल हमारे साथी हैं, बल्कि पशु पक्षी के भी साथी हैं। वृक्ष महान होते हैं। उन्हीं के नीचे सिद्धार्थ ने ज्ञान प्राप्त कर लिया है। वे मानव समाज के अनादि से मित्र हैं। प्रकृति की शोभा इनसे ही बढ़ती है। वृक्ष हमारे साथी हैं। वे सदा हमें अपनी छाया प्रदान कर ये लाभ पहुंचाते हैं। मानव को फूल-फल और छाया देते हैं। इंधन देते हैं। अनेक प्रकार की उपयोगी चीजें इनसे मिलती हैं।
विश्लेषण :
जैसे दरवाजें, कुर्सियाँ, गाडियाँ इत्यादि। अपनी हरियाली से पर्यावरण को संतुलित रखते हैं। प्राणवायु प्रदान करते हैं। गृह निर्माण में काम आते हैं।
उपसंहार :
हमें वृक्षारोपण कर पर्यावरण को बनाये रखना चाहिए। वृक्षों का संरक्षण करना चाहिए। वृक्षों की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि वे हमारे साथी हैं। हम इनकी रक्षा करें तो वे हमारी रक्षा करेंगे।
वृक्षो रक्षति रक्षितः