AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

10th Class Hindi Chapter 4 कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 19)

प्रश्न 1.
गाँधीजी क्या – क्या करते थे ?
उत्तर:
गाँधीजी अपने आश्रम में सूत कातते थे। कपडे बुनते थे। अनाज के कंकर चुनते थे और चक्की पीसते थे।

प्रश्न 2.
गाँधीजी के अनुसार पूजनीय क्या है ?
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार श्रम ही पूजनीय है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 3.
हमारे जीवन में श्रम का क्या महत्व है?
उत्तर:
हमारे (मानव) जीवन में श्रम का बहुत बड़ा महत्व है। श्रम ही सफलता की कुंजी है। सफलता हासिल करने और सुखमय जीवन बिताने श्रम ही एकमात्र आधार है। श्रम करने से ही सभी काम संपन्न होते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 20)

प्रश्न 1.
भाग्यवाद का छल क्या है?
उत्तर:
दूसरों की संपत्ति को अपना भाग्य समझकर भोगना भाग्यवाद का छल है। भाग्यवाद के नाम पर धोखे बाज श्रम धन भोगते हैं। वे उसे छल से भोगते हैं।

प्रश्न 2.
नर समाज का भाग्य क्या है?
उत्तर:
श्रम करने का महान गुण और भुजबल ही नर समाज का भाग्य है। नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 3.
श्रमिक के सम्मुख क्या – क्या झुके हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर श्रमिक का ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस महान श्रमिक के सम्मुख सारीधरती और आसमान नतमस्तक हुए हैं।

प्रश्न 4.
श्रम जल किसने दिया?
उत्तर:
श्रम जल श्रमिक ने दिया।

प्रश्न 5.
मनुष्य का धन क्या है?
उत्तर:
प्रकृति में रखी हुई सारी संपत्ति मनुष्य का धन है।

प्रश्न 6.
कण – कण का अधिकारी कौन है?
उत्तर:

  • नर – समाज का भाग्य श्रम है। अर्थात् भुज बल है।
  • जो श्रम करता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।
  • श्रम के हासिल पर जो जीता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
भाग्य और कर्म में आप किसे श्रेष्ठ मानते हैं? क्यों?
उत्तर:
भाग्य और कर्म में मैं कर्म को ही श्रेष्ठ मानता हूँ। क्योंकि भाग्य पर कोई भरोसा नहीं है। भाग्य से आलसी बनजाते। असफल रहजाते। उससे कुछ भी हो सकता है। कर्म (श्रम) तो सफलता पाने का एकमात्र साधन है। इसका फल सदा अच्छा और सुखदायी ही होता है। श्रम करनेवाला कभी हारता नहीं है। लक्ष्य प्राप्ति अवश्य होती है। श्रम से ही संपत्ति, सुख, यश, स्वावलंबन, संतुष्टि, आत्मतृप्ति आदि ज़रूर प्राप्त होते हैं। कर्मशील व्यक्ति कभी किसी की परवाह भी नहीं करता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 2.
श्रम के बल पर हम क्या – क्या हासिल कर सकते हैं?
उत्तर:
मानव जीवन में श्रम का ही महत्व अधिक है। श्रम से ही हम इच्छित फल प्राप्त कर सकते हैं। भाग्य की
अपेक्षा श्रम के बल पर जीत, सफलता, सुख,चैन, ओहदा, संपत्ति, यश आदि हासिल कर सकते हैं। असंभव को भी संभव बनाकर विजय हासिल कर सकते हैं। अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जीवन को
उज्ज्वल बना सकते हैं।

आ) कविता पढकर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
इस कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
इस कविता (कण – कण का अधिकारी) के कवि हैं डॉ. रामधारी सिंह दिनकर।

प्रश्न 2.
कविता का यह अंश किस काव्य से लिया गया है?
उत्तर:
कविता का यह अंश “कुरुक्षेत्र” काव्य के सप्तम सर्ग से लिया गया है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 3.
सबसे पहले सुख पाने का अधिकार किसे है? ।
उत्तर:
खूब श्रम करनेवाले श्रमिक को ही सब से पहले सुख पाने का अधिकार है।

प्रश्न 4.
कण – कण का अधिकारी किन्हें कहा गया है और क्यों ? ।
उत्तर:
श्रम के बल पर मानव सब कुछ हासिल कर सकता है। श्रम (मेहनत) करनेवाले के लिए असंभव कुछ भी नहीं है। प्रकृति के कण – कण के पीछे उसी का श्रम है। भाग्य पर भरोसा न करके अपने श्रम पर ही वह निर्भर रहता है। अतः मेहनत (श्रम) करनेवालों को ही कण – कण का अधिकारी कहा गया है और यह सच ही है।

इ) निम्नलिखित भाव से संबंधित कविता की पंक्तियाँ चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
धरती और आकाश इसके सामने नतमस्तक होते हैं।
उत्तर:
जिसके सम्मुख झुकी हुई,
पृथ्वी, विनीत नभ – तल है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 2.
प्रकृति में उपलब्ध सारे संसाधन मानव मात्र के हैं।
उत्तर:
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है,
वह मनुज मात्र का धन है

ई) नीचे दिया गया पद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

क़दम – क़दम बढ़ाए जा, सफलता तू पाये जा,
ये भाग्य है तुम्हारा, तू कर्म से बनाये जा,
निगाहें रखो लक्ष्य पर, कठिन नहीं ये सफ़र,
ये जन्म है तुम्हारा, तू सार्थक बनाये जा।

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार सफलता किस प्रकार प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:
कवि के अनुसार सफलता, मिलजुलकर आगे बढते हुए श्रम करने से ही सफलता प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 2.
हमारा सफ़र कब सरल बन सकता है?
उत्तर:
लक्ष्य पर निगाहें रखकर आगे बढने पर हमारा सफर सरल बन सकता है।

प्रश्न 3.
इस कविता के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
“कर्म का महत्त्व” इस कविता के लिए उचित शीर्षक है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि मेहनत करनेवालों को सदा आगे रखने की बात क्यों कर रहे हैं?
उत्तर:
कवि दिनकर जी मनुष्य के श्रम का समर्थन करते हैं। वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रकृति कभी भी भाग्यवाद के सामने नहीं झुकती है। आलसी लोग ही भाग्यवाद पर विश्वास रखते हैं। परिश्रमी लोग अपने माथे के पसीने से सब कुछ हासिल कर सकते हैं। काल्पनिक जगत का साकार देनेवाला वही है। उनके सामने पृथ्वी, आकाश, पाताल तक झुक जाते हैं । अतः श्रम करनेवालों को ही सुख भोगने का मौका मिले। सुख भोगने का अधिकार भी उन्हीं को है। विजीत प्रकृति में स्थित कण – कण का अधिकारी वे हीहैं। इसीलिए कवि मेहनत करनेवालों को सदा आगे रखने की बात कर रहे हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 2.
अनुचित तरीके से धन अर्जित करनेवाला व्यक्ति सही है या श्रम करनेवाला ? अपने विचार बताइए।
(या)
आप किसे श्रेष्ट व्यक्ति मानते हैं? अनुचित तरीके से धन अर्जित करनेवाले को या उचित तरीके से धन अर्जित करने वाले को? “कण – कण का अधिकारी’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव जीवन में श्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। श्रम करने से ही मानव इच्छित सुख जीवन बिता सकता है। जीवन यापन के लिए धन की तो आवश्यकता है। पर ऐसे अमूल्य धन को धर्म और न्याय मार्ग से अर्जन करना उत्तम है। इसके विपरीत अनुचित मार्ग से या अनुचित तरीके से धन अर्जित करना कभी भी न्यायोचित नहीं है। ये कानुनन के अपरध हैं। अनुचित तरीके से कमाये धन से सुख की अपेक्षा दुःख ही प्राप्त होता है। किसी भी हालत में यह सही नहीं है। श्रम करके कमानेवाला ही सच्चा और महान व्यक्ति है। अतः मेरे विचार में श्रम करके कमानेवाला और श्रम करनेवाला ही सही व्यक्ति है।

आ) कवि ने मजदूरों के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कविता का नाम : कण – कण का अधिकारी
कवि का नाम : डॉ. रामधारी सिंह दिनकर
उपाधि : राष्ट्र कवि
जीवन काल : 1908 – 1974
पुरस्कार : ज्ञानपीठ (उर्वशी पर)
रचनाएँ : कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, रेणुका, परशुराम की प्रतीक्ष, रसवंती आदि।
पद्मश्री दिनकर की रचनाएँ देश भक्ति और राष्ट्रीय भावना से भरी हुई हैं। “कण – कण का अधिकारी” नामक कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है। इसमें आपने श्रम का महत्व स्पष्ट करते हुए मज़दूरों के अधिकारों पर प्रकाश डाला है।

1) कवि कहते हैं कि मेहनत और भुज बल ही मानव समाज के एक मात्र अधार हैं। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाले व्यक्ति कभी नहीं हारते। वे हमेशा सफल होते हैं। सारा संसार उनका आदर करता है। उनके सम्मुख पृथ्वी और आकाश भी झुक जाते हैं।
2) श्रम ही जीवन की असली संपत्ति समझनेवाले मज़दूरों को सुखों से कभी ‘वंचित नहीं करना चाहिए खून, पसीना एक करनेवाले श्रमिकों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है। इसलिए उनको पहले सुख प्राप्त करने देना है। उनको कभी पीछे नहीं रहने देना है। प्रकृति में जो भी वस्तु रखी हुयी है, वह समस्त मानवों की संपत्ति है।

प्रकृति के कण – कण पर मानव का ही अधिकार है। खासकर श्रम करनेवाले व्यक्तियों द्वारा ही संपत्ति संचित होती है। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है।

अतः श्रम करनेवाले मज़दूरों को कोई अभाव नहीं रहनी है। उनको कभी पीछे छोड़ना नहीं चाहिए। सारी संपत्ति पर सबसे पहले उनको ही सुख पाने का अधिकार है। यह अक्षरशः सत्य है। तभी मानवजाति सुख समृद्धियों से अक्षुण्ण रह सकती है।

विशेषता : इस कविता शक्ति के बारे में बताया गया है।

इ) नीचे दिये गये प्रश्नों के आधार पर सृजनात्मक कार्य कीजिए। |

1. कविता में समान अधिकारों की बात की गयी है। ‘समानता” से संबंधित कोई घटना या कहानी अपने शब्दों में लिखिए।
2. अपने शब्दों में लिखी गयी घटना या कहानी से कुछ मुख्यांशों का चयनकर लिखिए।
3. चयनित मुख्यांशों में से मूल शब्द पहचानकर लिखिए।
4. लिखे गये मूल शब्दों में से कुछ शब्दों का चयनकर उस पर छोटी सी कविता लिखिए।
5. लिखी गयी कविता का संदेश या सार एक वाक्य में लिखिए और उससे संबंधित कुछ नारे | बनाइए।
उत्तर:
1. लड़की की जीत (कहानी)
एक गाँव में सोमय्या नामक एक किसान रहता था। उसके दो लडके और एक लडकी थी। सोमय्या के नौ एकड़ की भूमि थी। वह अपने लडकों के सहारे खेतीबारी करके जीवन यापन करता था।

उसके दोनों लडके बडे हो गये। उन दोनों लडकों की शादी दो खूबसूरत लडकियों से धूम-धाम से की। कुछ सालों के बाद लडकी की शादी भी एक बड़ी होटेल के मेनेजर से करवाया।

जब वह बूढ़ा हो गया तब अपने नौ एकड भूमि को अपने तीनों बच्चों को समान रूप से तीन – तीन . – तीन एकड देकर बाँट दिया।

उसके दोनों बेटों को यह अच्छा नहीं लगा। उनकी राय में स्त्री को पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। इसलिए वे अपनी बहिन और बाप को खूब कष्ट देने लगे।

विवश होकर लडकी ने अदालत में न्याय के लिए मुकद्दमा पेश किया तो अदालत में उसकी जीत हुई। भारत संविधान के अनुसार स्त्री – पुरुष बिना भेद – भाव पिता की संपत्ति के समान अधिकारी हैं। स्त्रियों को भी पुरुषों के साथ समान अधिकार प्राप्त हुए हैं।

शासन की दृष्टि में स्त्री – पुरुषों को समान अधिकार हैं। पिता और बहिन दोनों को कष्ट देने के कारण दोनों लडकों को पाँच – पाँच साल कारावास की सज़ा दी गयी।

नीति : अपने पिता की संपत्ति पर जितना अधिकार बेटों का है उतना ही अधिकार बेटियों का भी हैं।

2. कहानी के मुख्यांश

  • संविधान के अनुसार स्त्री – पुरुषों के बीच में कोई भेदभाव नहीं। सब एक हैं।
  • स्त्री – पुरुषों को समान रूप से पिता की संपत्ति पर अधिकार हैं।
  • जब किसान बूढा हो गया तब उसने अपने तीनों संतान को समान रूप से तीन – तीन एकड़ की
  • भूमि बाँट दी। लडकी ने न्याय के लिए अदालत में मुकद्दमा पेश किया।
  • स्त्रियों को भी समान अधिकार प्राप्त हुए हैं।
  • पिता और बहिन को कष्ट देने के कारण दोनों लडकों को पाँच – पाँच साल कारावास की सज़ा दी गयी।

3. मूल शब्द
समानता, अधिकार, भेद – भाव, खेतीबारी, अदालत, संपत्ति, स्त्री – पुरुष, कारावास, संविधान, सज़ा आदि।

4. चयनित शब्द
समानता, अधिकार, स्त्री – पुरुष, संविधान, सज़ा, भेद – भाव, अदालत, कारावास आदि।
छोटी सी कविता
स्त्रियों को भी हैं आज
समानता का अधिकार
स्त्री भी आगे बढ़ती
सभी क्षेत्रों में इन्हें पाकर।
भेदभाव के बिना सब
सम अधिकारों को पाकर
जिएँ जग में स्त्री – पुरुष
सभी मिल – जुलकर ||

5. संदेश या सार स्त्री को भी पुरुषों के साथ ही पिता की संपत्ति में (पर) समान अधिकार है। नारे

  • आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक समानता व्यर्थ है।
  • समानता का अधिकार – जनतंत्रता का आधार।
  • स्त्री – देश की उन्नति का आधार।
  • सामाजिक समानता उन्नति का सूचक है।
  • स्त्री और पुरुष दोनों बराबर हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

ई) ‘नर समाज का भाग्य एक है, वह श्रम, वह भुजबल है।’ जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(या)
श्रामिक कण – कण का अधिकारी है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • नर समाज का भाग्य एक है। वह श्रम है। वह भुजबल है।
  • हमारे जीवन की सफलता का मार्ग भी श्रम ही है।
  • श्रम के बल पर हम अपने जीवन को सुंदर बना सकते हैं।
  • श्रम के बल पर ही हम खूब कमा कर अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
  • श्रम करके हम दूसरों का भी पथ प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • श्रमिक जीवन ही सच्चा जीवन है।
  • श्रम करनेवाले व्यक्तियों का सभी आदर करते हैं।
  • श्रम करनेवाले के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
  • श्रम के बल पर ही हम अपने भाग्य को और विजयों को भी हासिल कर सकते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है।

भाषा की बात

अ) कोष्टक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
जन, पृथ्वी, धन (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
जन – आम सभा में असंख्य जन उपस्थित हुए हैं।
पृथ्वी – भारत देश का पृथ्वी पर प्रमुख स्थान है।
धन – धन से ही सब कुछ होता नहीं है।

पर्याय शब्द
जन – लोग, जनता, प्रजा
पृथ्वी – भूमि, धरा, ज़मीन,
धन – संपत्ति, अर्थ, वित्त

प्रश्न 2.
पाप, सुख, भाग्य (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
सुख × पुण्य
पाप × दुख
भाग्य × दुर्भाग्य।

वाक्य प्रयोग
पाप – पुण्य कार्य करने से हमें सद्गति मिलती है।
सुख – धैर्यवान कभी दुःख से नहीं डरता है।
भाग्य – साधारणतः हर व्यक्ति अपने भाग्य पर इठलाते हैं और दुर्भाग्य पर दुखित होते हैं।

प्रश्न 3.
जन – जन, कण – कण (पुनरुक्ति शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
जन – जन – वर्षा के कारण जन – जन का मन हर्ष से भर गया है।
कण – कण – कण – कण का अधिकारी जन – जन है।

प्रश्न 4.
मज़दूर मेहनत करता है। (वाक्य का वचन बदलिए।)
उत्तर:
मज़दूर मेहनत करते हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य, मज़दूर (भाववाचक संज्ञा में बदलकर लिखिए।)
उत्तर:
मनुष्यता, मज़दूरी

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
अधिकार – अधिकारी, भाग्य – भाग्यवान (अंतर बताइए।)
उत्तर:

  • अधिकार का अर्थ है हक। यह भाववाचक संज्ञा है।
  • अधिकारी का अर्थ है अधिकार को भोगनेवाला (हकदार)। ‘ई प्रत्यय जुडा है। विशेषण है।
  • भाग्य का अर्थ है नसीब – यह भाववाचक संज्ञा शब्द है।
  • भाग्यवान का अर्थ है नसीबवाला, भाग्यवादी ‘वान’ प्रत्यय जुडने से भाग्यवान बना। यह विशेषण शब्द है।

प्रश्न 2.
यद्यपि – पर्यावरण (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
यदि + अपि, परि + आवरण

प्रश्न 3.
अंम – जल, नभ – तल, भुजबल (समास पहचानिए।)
उत्तर:

  • श्रम – जल → बहुव्रीहि समास
  • नभ – तल → द्वन्द्व समास
  • भुजबल → तत्पुरुष समास .

प्रश्न 4.
एक मनुज संचित करता है, अर्थ पाप के बल से, और भोगता उसे दूसरा, भाग्यवाद के छल से। (पद परिचय दीजिए।)
उत्तर:
एक – निश्चित संख्यावाचक विशेषण – पुंलिंग, एक वचन, मनुज का विशेष्य और – अव्यय, संयोजक, समुच्चय बोधक शब्द, दो वाक्यों को मिलाता है।

प्रश्न 5.
जिसने श्रम – जल दिया उसे पीछे मत रह जाने दो। (कारक पहचानिए।)
उत्तर:
ने, वह + को = उसे

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

इ) इन्हें समझिए। सूचना के अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो (संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग समझिए।)
उत्तर:

  • यहाँ जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो का प्रयोग आज्ञानार्थक शब्दों के रूप में प्रयोग किया गया है।
  • जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो आदि शब्द संयुक्त क्रियाएँ हैं। जब दो क्रियाओं का संयोग होता हैं उन्हें संयुक्त क्रियाएँ कहते हैं।
  • ये अनुमति बोधक (आज्ञाबोधक) शब्द हैं।

प्रश्न 2.
एक – पहला, प्रथम, दो – दूसरा, द्वितीय (अंतर समझिए।)
उत्तर:

  • एक : पूर्णांक वाचक विशेषण है।
  • पहला : क्रम वाचक विशेषण है।
  • प्रथम : क्रम संख्यावाचक विशेषण है।
  • दो : पूर्णांक वाचक विशेषण है।
  • दूसरा : क्रम वाचक विशेषण है।
  • द्वितीय : क्रम संख्यावाचक विशेषण है।
  • एक, पहला, दो, दूसरा हिंदी के विशेषण शब्द हैं।
  • प्रथम तथा द्वितीय संस्कृत के विशेषण शब्द हैं।
  • एक और दो अंक के लिए प्रथम और द्वितीय श्रेणी के लिए और पहला, दूसरा स्थान के लिए प्रयोग । किया जाता है।

प्रश्न 3.
अभाग्य, दुर्भाग्य, सुभाग्य (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
अभाग्य – अ
दुर्भाग्य – दुर
सुभाग्य – सु

प्रश्न 4.
प्राकृतिक, अधिकारी, भाग्यवान (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
प्राकृतिक – इक
अधिकारी – ई
भाग्यवान – वान

प्रश्न 5.
पुरुष श्रमिक के रूप में मेहनत करते हैं। (लिंग बदलकर वाक्य लिखिए।)
उत्तर:
स्त्रियाँ श्रमिक के रूप में मेहनत करती हैं।

ई) नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।

जैसे – जिसने श्रम – जल दिया उसे पीछे मत रह जाने दो।
श्रम जल देने वाले को पीछे मत रह जाने दो।

प्रश्न 1.
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है, वह मनुज मात्र का धन है।
उत्तर:
प्रकृति में न्यस्त धन मनुज मात्र का है।

प्रश्न 2.
जो मेहनत करता है वही कण – कण का अधिकारी है।
उत्तर:
मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 3.
जो परोपकार करता है वही परोपकारी कहलाता है।
उत्तर:
परोपकार करनेवाला ही परोपकारी कहलाता है।

परियोजना कार्य

विश्व श्रम दिवस (मई दिवस) के बारे में जानकारी इकट्ठा कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
पहली मई का दिन समूचे विश्व में ‘मई दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मई दिवस यानी मज़दूरों का दिन। काम करने वाले, खासकर श्रम से जुड़े लोगों के लिए तो यह एक वार्षिक पर्व है इसलिए इसे ‘श्रम दिवस’ तथा ‘मज़दूर दिवस’ भी कहा जाता है।

मई दिवस के आयोजन के पीछे मज़दूरों के लम्बे संघर्ष व आंदोलन और सफलता की लम्बी दास्तान है। यह कहानी 19 वीं सदी की है जब अमेरिका में मजदूरों पर गोलियाँ बरसाई गई थीं। तथा बड़ी संख्या में निर्दोष मज़दूर मारे गये थे और जब मज़दूरों की काम के निश्चित घंटों की मांग पूरी हुई थी तब से उसी संघर्ष और उन्हीं मजदूरों की शहादत की याद में पूरे विश्व में मई दिवस मनाया जाने लगा।

इस संघर्ष की शुरुआत 1838 में हुई थी । उन दिनों अमेरिका सहित तमाम यूरोपीय देशों में कारखानों में मज़दूरों के लिए काम का निश्चित समय निर्धारित नहीं था। मज़दूरों से इतना काम लिया जाता था कि अक्सर मजदूर बेहोश होकर गिर पड़ते थे। यदा – कदा उसके विरुद्ध आवाज़ भी उठी पर लगभग दो दशक तक कारखानों के मालिकों का यही रवैया रहा। इस कारण मज़दूरों का धैर्य धीरे – धीरे चुकने लगा तथा उन्होंने संगठित होकर शोषण के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी।

अमेरिका की नैशनल लेबर यूनियन ने अगस्त 1866 में अपना अधिवेशन में पहली बार यह माँग रखी कि मज़दूरों के लिए दिन में सिर्फ आठ घंटे काम के रखे जाएँ। यूनियन की इस घोषणा से मज़दूरों के संघर्ष को बल मिला। धीरे – धीरे अमेरिका सहित अन्य देशों में भी यह माँग जोर पकड़ने लगी।

1886 को 3 मई के दिन शिकागो शहर में लगभग 45000 मज़दूर एक साथ सड़कों पर निकल आए। पुलिस ने हल्की झड़प के फौरन बाद मज़दूरों पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी जिससे तत्काल 8 मज़दूर मारे गये और अनेक घायल हो गए। भीड़ में से किसी ने पुलिस पर बम फेंक दिया जिससे एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई तथा कुछ घायल हो गए। इससे पुलिस वालों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को गोलियों से छलनी कर दी। आंदोलनकारी नेताओं को उम्र भर की सज़ा दी गई और कुछ को फाँसी पर लटका दिया गया। लेकिन इतना कुछ होने पर भी यह आंदोलन और तेज़ होता गया।

14 जुलाई 1889 को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी मज़दूर कांग्रेस की स्थापना हुई। इसी दिन इसने काम के 8 घंटे की माँग को दोहरा दिया। अपनी माँग जारी रखने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी मज़दूर कांग्रेस ने मई 1890 को विश्वभर में ‘मज़दूर दिवस’ मनाने का आह्वान दिया।

कण-कण का अधिकारी Summary in English

If one earns money and accumulates it by immoral and vicious ways, the other enjoys it on the name of fortune by deceiving him.

The fortune of the human society is nothing but toil i.e, hard work. This earth, the sky, and the abyss all of these will be modest to the hard work and salute it.

He who works hard should not be lagged behind. He alone should be allowed to have comforts in this triumphant nature.

What is available in this nature is nothing but the human being’s money. O Dharmaraja! The people are the masters of every particle of it. They who work hard alone have the right to enjoy it.

कण-कण का अधिकारी Summary in Telugu

ఒక మనిషి పాపము చేసి ధనమును సంపాదించి ప్రోగుచేస్తే దాన్ని మరొకడు అదృష్టము (భాగ్యవాదము) అనే ముసుగులో అనుభవిస్తున్నాడు.

శ్రమ, భుజబలమే మానవ సమాజ భాగ్యము (అదృష్టము). దాని ముందు భూమి, ఆకాశము కూడా తలవంచుతాయి. చెమటోడ్చి శ్రమపడేవారిని ఎన్నడూ నిరాశపరచకూడదు. (వెనకబడి ఉండనివ్వకూడదు) జయించబడిన ప్రకృతి నుండి ముందుగా వారినే సుఖాన్ని అనుభవించనివ్వాలి.

ఆ ప్రకృతిలో లభించే సంపద అంతా మానవునిదే. దాని అణువణువు మీద మానవునికే అధికారము ఉన్నది.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
दिनकरजी ने श्रमिकों को सदा आगे रखने की बात क्यों कही है? लिखिए।
उत्तर:
यह प्रश्न ‘कण-कण का अधिकारी’ कविता पाठ से दिया गया है। इसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं। मेहनत करनेवाला सदा आगे बढ़ता है। सफलता प्राप्त करता है। वह समाज का निर्माता होता है। वही अन्नदाता है। सुखदाता है। उसी से विकास होता है। इसलिए प्राप्त सुखों में मेहनत करनेवालों को भागीदारी बनाना चाहिए। क्योंकि दाता न रहे तो, हम भी नहीं।

प्रश्न 2.
कविवर रामधारी सिंह दिनकर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
डॉ. रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रसिद्ध कवियों में एक हैं। आपका जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर में हुआ। आप हिंदी के राष्ट्र कवि कहे जाते हैं।

रचनाएँ : उर्वशी, रेणुका, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि।
पुरस्कार : आपको उर्वशी काव्य ग्रंथ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
समाज में मेहनत करने वालों को दिनकर जी ने अग्रस्थान क्यों दिया हैं?
उत्तर:

  • समाज में मेहनत करनेवालों को दिनकर जी ने अग्रस्थान दिया हैं | क्योंकि
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता ।
  • जो मेहनत करता है वह हमेशा सफल होता है ।
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला मेहनत करने वाला ही है ।

प्रश्न 2.
मेहनत करने से जीवन में क्या प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:

  • मेहनत करने से हम जीवन में सब कुछ पा सकते हैं |
  • मेहनत सफलता की कुंजी है ।
  • मेहनत करने वाला कभी भी नहीं हारता |
  • भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी यही कहते हैं कि सपनों को साकार करने के लिए अधिक मेहनत करना है।
  • मेहनत करने से हम जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ।
  • मेहनत के द्वारा ही हम अपने जीवन को बदल सकते हैं ।
  • जीवन को सुखमय बनाने के लिए मेहनत करना ही है ।
  • मेहनत करने से समाज का आदर भी हमें प्राप्त होता है ।

प्रश्न 3.
मेहनत करनेवाला कभी भी नहीं हारता – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:

  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है | मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता |
  • परिश्रम ता मेहनत करनेवाला हमेशा सफल होता है ।
  • जो मेहनत करते हैं वे ही काल्पनिक जगत को साकार रूप देने वाले हैं ।
  • हर कण के पीछे उसी का श्रम है।
  • जो मेहनत करता है वही कण – कण का अधिकारी है।
  • समाज ही नहीं पृथ्वी, विनीत नभ – तल भी मेहनत करने वाले के सामने झुकता है ।
  • मेहनत करने वालों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है ।
  • उसे ही हर जगह आदर, सम्मान मिलता है।
    इसलिए कवि दिनकर जी ने ऐसा कहा होगा कि मेहनत करनेवाला कभी भी नहीं हारता |

प्रश्न 4.
मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है । कैसे?
उत्तर:

  • मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है ।
  • श्रम और भुज – बल के सहारे ही मानव का जीवन यापन होता है ।
  • श्रम करनेवाला कभी नहीं हारता | श्रम के सहारे ही मानव समाज में आदर पाता है |
  • काल्पनिक जगत का साकार रूप श्रम के द्वारा ही होता है ।
  • श्रम करनेवाला भाग्यवाद पर भरोसा न रखकर धन कमाता है ।
    इसलिए हम कह सकते हैं कि मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है |

प्रश्न 5.
मेहनत ही सफलता की कुंजी है । अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर:

  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी भी नहीं हारता | मेहनत करनेवाला हमेशा सफल होता है ।
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देने वाला मेहनत करने वाला ही है ।
  • कण – कण के पीछे मेहनत करने वाले का ही श्रम निहित है ।
  • जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है ।

प्रश्न 6.
जीवन की सफलता श्रम पर निर्भर है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • जीवन की सफलता श्रम पर निर्भर है।
  • जो सुखमय जीवन चाहता है वह श्रम ज़रूर करता है ।
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है | श्रम और मेहनत करने वाला कभी नहीं हारता ।
  • श्रम के सहारे ही हम जीवित रहते हैं।
  • अपने – अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे जीवन में श्रम का ही सहारा लेना पडेगा |
  • हम श्रम के सहारे अपने जीवन में काल्पनिक जगत को साकार रूप दे सकेंगे।
  • श्रम करनेवाले भाग्यवाद पर विश्वास नहीं करते । अपने भुज – बल के द्वारा ही श्रम – जल देकर जीवन को सफल बनाते हैं।

प्रश्न 7.
दिनकर जी के अनुसार ‘काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रमिक है’ – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • दिनकर जी के अनुसार ‘काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रमिक ही है।
  • यह कथन बहुत सच है | मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • श्रमिक अपने श्रम के कारण कभी नहीं हारता | श्रमिक हमेशा सफल ही होता रहता है ।
  • कण – कण के पीछे श्रमिक का ही श्रम है । श्रमिक ही कण – कण का अधिकारी है ।
  • श्रमिक अपने श्रम द्वारा काल्पनिक जगत को साकार रूप देता है।
  • श्रमिक भाग्यवाद पर विश्वास नहीं रखता ।
  • नर – समाज का भाग्य श्रम, भुजबल ही है – यह श्रमिक का विश्वास है ।

प्रश्न 8.
डॉ. रामधारी सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
‘कण – कण का अधिकारी कविता के कवि के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • डॉ. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं।
  • उनका जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर में हुआ तथा निधन सन् 1974 में हुआ।
  • इन्हें हिन्दी का राष्ट्रकवि भी कहा जाता है।
  • ‘उर्वशी’ कृति के लिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • रेणुका, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“कण – कण का अधिकारी” कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “कण – कण का अधिकारी” है।
कवि का नाम : “डॉ. रामधारी सिंह दिनकर” है। प्रस्तुत कविता में भीष्म पितामह, कुरुक्षेत्र युद्ध से विचलित धर्मराज को कार्यरत होने के लिए उपदेश देते हुए कहते हैं –

  • हे धर्मराज ! एक मनुष्य पाप के बल से धन इकट्ठा करता है।
  • दूसरा उसे भाग्यवाद के छल से भोगता है।
  • मानव समाज का एक मात्र आधार या भाग्य “श्रम और भुजबल” है।
  • श्रमिक के समाने पृथ्वी और आकाश दोनों झुक जाते हैं।
  • जो परिश्रम करता है, उसे सुखों से कभी वंचित नहीं करना चाहिए।
  • जो पसीना बहाकर श्रम करता है, उसी को पहले सुख पाने का अधिकार है।
  • प्रकृति में जो भी वस्तु है, वह मानव मात्र की संपत्ति है।
  • प्रकृति के कण-कण का अधिकारी जन – जन हैं।

प्रश्न 2.
मेहनत करनेवाला ही ‘कण-कण का अधिकारी’ है । पाठ के आधार पर अपने विचार बताइए ।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “कण – कण का अधिकारी है।
कवि का नाम : “डॉ. रामधारी सिंह दिनकर” है।

  • मेहनत की सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता। वह हमेशा सफल होता है क्योंकि काल्पनिक जगत् को साकार रूप देने वाला वही है। इसके कण – कण के पीछे उसी का श्रम है। इसलिए वही कण – कण का अधिकारी है।
  • कुछ लोग पाप करके धन कमाते हैं।
  • उस धन को कुछ लोग “भाग्यवाद” की आड़ में भोगते हैं। नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल ही है।
  • श्रमिक के सम्मुख भूमि और आकाश झुकते हैं।
  • प्रकृति में छिपी संपदा ही मनुष्य का धन है।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 3.
‘कण – कण का अधिकारी’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
उत्तर:
श्रम और भुजबल ही मानव समाज का एक मात्र आधार है। भाग्य है। हमारे जीवन में, मानव समाज में श्रम का बड़ा महत्व है। जीवन में सफलता पाने के लिए श्रम करना अनिवार्य है। श्रम ऐसा प्रयास है जिससे असंभव कार्य को भी संभव में आसानी से बदला जा सकता है। हर प्रकार की प्रगति की जा सकती है। मानव समाज और देश को उन्नति के मार्ग में अग्रसर किया जा सकता है। श्रम करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ (उच्च) स्थान पाता है। हम कह सकते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। श्रम करने वाला कभी भी जीवन में हारता (पराजित) नहीं है। न ही कभी निराश होता है।

सदैव आत्म विश्वास के साथ निरंतर श्रम करते हुए (सर्वोच्च) सर्वश्रेष्ठ स्थान को प्राप्त करता है। श्रम करने वाला ही काल्पनिक जगत को साकार रूप देने में सक्षम होता है। इसलिए जो श्रम करता है वही प्रकृति के हर एक कण का अधिकारी है। मनुष्य का महान गुण है श्रम करना। श्रम करने से यश, संपत्ति, जीवन यापन के लिए आवश्यक सुख – सुविधाएँ, इज्जत (आदर), गौरव, मान – सम्मान आदि प्राप्त होते हैं। जो व्यक्ति कार्य को पूर्ण करने के लिए श्रम करता है वही सुख पाने का सच्चा अधिकारी है। श्रम करनेवाला आस्था के साथ प्रगति पथ पर बढ़ता ही चला जाता है। यह भाग्य पर विश्वास न करके कर्म पर श्रम पर विश्वास करता है। श्रम करनेवाला हर कठिनाई को अपने परिश्रम से अपने अनुकूल बना लेता है।

इसलिए श्रम का बड़ा महत्व है। श्रम ही सफलता की कुंजी है। जिसके सम्मुख पृथ्वी भी झुक जाती है।

प्रश्न 4.
परिश्रम करनेवाले व्यक्ति को प्रकृति से पहले सुख पाने का अधिकार क्यों मिलना चाहिए ?
उत्तर:
मानव जीवन बहुत मूल्यवान है। श्रम करके सफलता प्राप्त करना मानव का जन्म सिद्ध गुण है। श्रम के आगे कोई असंभव नहीं है। इसलिए आरंभ से ही मानव कर्मरत हो सफलता प्राप्त कर रहा है। मेहनत करनेवालों से ही सब लोगों को आवश्यक चीजें सुविधाएँ मिल रही हैं। सृष्टि में अनेक आवश्यक और जीवनोपयोगी चीजें निक्षिप्त हैं। निस्वार्थ भाव से श्रम करनेवालों को ही प्रकृति वशीभूत होती है। अतः वे लोग ही महान और भाग्यवान होते हैं। वे ही आदर्शवान और महत्वपूर्ण हैं। ऐसे लोगों को सदा आगे रखने की बात कवि कह रहे हैं।

प्रश्न 5.
डॉ. रामधारीसिंह दिनकर ने ‘कण – कण का अधिकारी’ कविता के माध्यम से आज के समाज को क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
‘कण – कण का अधिकारी’ नामक कविता के कवि हैं श्री रामधारी सिंह दिनकर | यह कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है । आप इस कविता में श्रम तथा श्रामिक के बडप्पन तथा महत्व के बारे में बताते हैं । कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है । कवि कहते हैं कि एक मनुष्य अर्थ पाप के बल पर संचित करता है तो दूसरा भाग्यवाद के छल पर उसे भोगता है।

कवि कहते हैं कि नर समाज का भाग्य श्रम ही है । वह भुजबल है | श्रमिक के सम्मुख पृथ्वी और आकाश झुक जाते हैं । नतमस्तक हो जाते हैं।

कवि श्रम – जल देनेवाले को पीछे मत रहजाने को कहते हैं । वे कहते हैं कि विजीत प्रकृति से पहले श्रमिक को ही सुख पाने देना चाहिए | आखिर कवि बताते हैं कि इस प्रकृति में जो कुछ न्यस्त है वह मनुजमात्र का धन है । हे धर्मराज उस के कण – कण का अधिकार जन – जन हैं | मतलब यह है कि जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

संदेश : जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 6.
श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । इस कथन पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:

  • श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । इसमें कोई संदेह नहीं है ।
  • इसके कई कारण इस कथन का समर्थन कर सकते हैं।
  • श्रमिक शक्ति के सहारे ही देश में वस्तुओं की उत्पत्ति होती है ।
  • उन वस्तुओं को देश-विदेशों में बेचें तो विदेशी मारक द्रव्य आता है।
  • विदेशी मारक द्रव्य से व्यक्तिगत आय बढ़ता है ।
  • व्यक्तिगत आय बढने से जातीय आय भी बढता है ।
  • देश की उन्नति में श्रामिकों का बडा हाथ है।
  • इसलिए श्रमिकों की उन्नति के लिए सरकार को विविध कार्यक्रम चलाना चाहिए |
  • श्रमिकों को ही पहले – पहल सुख पाने देना चाहिए ।
  • श्रमिकों का देख-रेख, स्वास्थ्य आदि पर सरकार को ध्यान रखना चाहिए ।
  • श्रमिक जो हैं वे काल्पनिक जगत को साकार करने वाले हैं ।
  • श्रमिकों को अच्छे – से अच्छे वेतन देना है।
  • श्रमिकों के बिना यह संसार में प्रगति अधूरी है । इसलिए हम कह सकते हैं कि श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । क्योंकि जिस देश में श्रमिक अच्छा जीवन बिताते हैं, उन्नति पाते हैं, उस देश की उन्नति होगी।

प्रश्न 7.
‘कण – कण का अधिकारी’ कविता से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
कण – कण का अधिकारी कविता से हमें ये संदेश मिलते हैं –

  • श्रम और भुजबल नर समाज का भाग्य है ।
  • भाग्यवाद पर भरोसा मत रखना है ।
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है । ।
  • मेहनत करनेवाला कभी नहीं हारता |
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रामिक ही है ।
  • मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है ।
  • श्रम के सम्मुख पृथ्वी, विनीत नभ – तल झुकते हैं ।
  • श्रम – जल देनेवाले को पहले सुख पाने देना चाहिए ।

प्रश्न 8.
हमारे समाज में परिश्रम करनेवालों का जीवन स्तर निम्न क्यों होता है?
उत्तर:
परिश्रम और भुजबल मानव समाज का एक मात्र आधार तथा भाग्य है। श्रम के सामने आसमान, पृथ्वी, सब आदर से झुक जाते हैं। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है। श्रम के द्वारा ही सारी संपत्ति, सुखसुविधाएँ संचित होती हैं। श्रम करने से किसी को अभाव की शंका नहीं रहती ।

एक मनुष्य के श्रम का फल दूसरा व्यक्ति अनुचित रूप से अर्जित करता है। भाग्यवाद के नाम पर पूँजीवादी उस श्रम धन को भोगता है। छल, कपट से पाप के बल से धन संचित करता है। शारीरिक श्रम न करना पूँजीवाद वाद की पहचान माना जाता है।

वास्तव में प्राकृतिक संपदा सब की है न कि कुछ ही लोगों की। श्रमिक ही प्राकृतिक संपदा का सर्व प्रथम अधिकारी है। लेकिन भाग्यवाद के बल पर पूँजीवादी श्रमिकों के श्रम का फल भोग रहे हैं। उनकी नजर में ये श्रमिक सिर्फ मेहनत करने के लिए पैदा हुए हैं। इसलिए यथा शक्ति श्रमिकों के अधिकार दूर करके उनको पीछे पड़े रहने की हालत पैदा करते हैं। नादान श्रमिक अपना भाग्य इतना ही समझकर उनके करतूतों की शिकार बन रहे हैं। अविद्या, ज्ञान की कमी से श्रमिक कष्ट झेल रहे हैं। इसी कारण से अपने अधिकार और सुख प्राप्त करने में वे पीछे रह जाते हैं। परिश्रम करनेवाले का स्तर हमारे मानव समाज में निम्न ही रह जाता है। श्रम करनेवाला कभी सुख सुविधाओं की ओर ध्यान देता ही कम है।

प्रश्न 9.
धर्मराज को भीष्म पितामह द्वारा दिये गये संदेश पर आज के समाज को दृष्टि में रखकर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
धर्मराज को भीष्म पितामह के द्वारा श्रम के महत्व के बारे में संदेश दिया गया है। आज के समाज़ को दृष्टि में रखकर इस पर मेरे ये विचार हैं –

  • भाग्यवाद से कर्मवाद अच्छा है।
  • नरसमाज का भाग्य केवल एक ही है – वह श्रम है। वह भुजबल है।
  • भुजबल या श्रम – जल के सम्मुख पृथ्वी, विनीत नभ – तल झुकते हैं।
  • श्रम के बल पर हम सब – कुछ हासिल कर सकते हैं।
  • श्रम जल देनेवाले को पीछे मत रहने दो।
  • विजीत प्रकृति से पहले उसे सुख पाने देना चाहिए।
  • न्यस्त प्रकृति में जो कुछ है वह मनुज मात्र का धन है।
  • कण – कण का अधिकारी श्रमिक ही है।

प्रश्न 10.
‘श्रमयेव जयते’ – इस कथन को दिनकर जी ने किस प्रकार समझाया?
उत्तर:
‘कण – कण का अधिकारी’ नामक कविता के कवि हैं श्री रामधारी सिंह दिनकर | यह कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है । आप इस कविता में श्रम तथा श्रामिक के बडप्पन तथा महत्व के बारे में बताते हैं । कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है।

कवि कहते हैं कि एक मनुष्य अर्थ पाप के बल पर संचित करता है तो दूसरा भाग्यवाद के छल पर उसे भोगता है।

कवि कहते हैं कि नर समाज का भाग्य श्रम ही है । वह भुजबल है | श्रमिक के सम्मुख पृथ्वी और आकाश झुक जाते हैं । नतमस्तक हो जाते हैं ।

कवि श्रम – जल देनेवाले को पीछे मत रहजाने को कहते हैं । वे कहते हैं कि विजीत प्रकृति से पहले श्रमिक को ही सुख पाने देना चाहिए |

आखिर कवि बताते हैं कि इस प्रकृति में जो कुछ न्यस्त है वह मनुजमात्र का धन है । हे धर्मराज उस के कण – कण का अधिकार जन – जन हैं । मतलब यह है कि जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 3 हम भारतवासी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

10th Class Hindi Chapter 3 हम भारतवासी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 13)

प्रश्न 1.
नदियाँ किसमें विलीन होती हैं?
उत्तर:
नदियाँ समुद्र में विलीन होती हैं।

प्रश्न 2.
इसमें किस – किसको एक बताया गया है?
उत्तर:
इसमें मानव जाति, मानव धर्म तथा सारी दुनिया को एक बताया गया है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 3.
‘मानव जाति एक है।’ इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
मानव जाति एक है। जिस प्रकार अनेक स्थानों से बहनेवाली नदियाँ अंत में समुद्र में मिलती हैं। उसी प्रकार अलग – अलग धर्म में जन्म लिये मनुष्य भी अंत में परमात्मा के पास पहुँचते हैं। इसलिए हम कह । सकते हैं कि मानव जाति एक है उददश्य छात्रों में कविता, गीत आदि की रचना शैली का विकास करना और उनमें देशभक्ति के साथ-साथ विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सद्गुणों का विकास करना तथा भारत को और भी सशक्त कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रसर करने की प्रेरणा देना इस पाठ का मुख्य उद्देश्य है। विधा विशेष प्रस्तुत कविता देशभक्ति की भावना पर आधारित है। यह गेय कविता है। इसमें तुकांत शब्द प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया व सामान्य भविष्य में हैं। यह कविता बच्चों में सत्य, अहिंसा, त्याग और | समर्पण की भावना जागृत कर, उन्हें विश्वबंधुत्व की ओर कदम बढ़ाने की प्रेरणा देती है।

InText Questions (Textbook Page No. 14)

प्रश्न 1.
ऊँच – नीच का भेद मिटाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
ऊँच – नीच का भेद मिटाना हमारा प्रथम आशय व कर्तव्य है। इसके लिए अपनी ओर से हम भी कुछ कर सकते हैं।

  • सब लोगों से मिलजुलकर रहते एकता की भावना बढानी है।
  • सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करते नफ़रत की भावना को छोड देना है।
  • समानता का बीज बोते लोगों के दिलों में विश्वास भरना है।
  • जाति, धर्म, भाषा, प्रांत, जैसे भेद भावों को छोडते लोगों की सहायता करनी है।
  • सबका आदर – सम्मान करना है।
  • सबकी उन्नति में समान अवसर देना है।

प्रश्न 2.
हमें अपने जीवन में कैसा पथ अपनाना चाहिए?
उत्तर:
हमें जीवन में सदा सत्य और न्यायमार्ग पर चलना है। श्रद्धा और प्रेम का उत्तम भाव दिल में रखकर दीन – दुखियों की सेवा करनी है। खुद खुश रहते सब को सुखी रखने का न्याय पथ हमें अपनाना चाहिए। अहिंसा और धर्ममार्ग को अपनाना चाहिए। त्याग भावना को अपनाना चाहिए।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 3.
हम भटकने वालों को राह कैसे दिखा सकते हैं?
(या)
बेराहों को राह कैसे दिखा सकते हैं?
उत्तर:
भटकने वाले लोगों को जीवन की वास्तविकता समझाने का प्रयत्न करना है। सही मार्गदर्शन करते उनको खुशियाँ पाने का ज्ञान अवगत कराना है। न्याय और सत्य मार्ग पर आगे बढने ज्ञानपूर्ण सलाह देते भटकनेवालों को राह दिखा सकते हैं।

प्रश्न 4.
सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिया महकाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
(या)
हम खुशियों की बगिया कैसे महकायेंगे?
उत्तर:
मानव सामाजिक प्राणी है। हमारे मानव जीवन में सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण, प्रेम आदि महान गुणों का विशेष महत्व है। ऐसे उत्तम गुणों की बगिया महकाने हम पहले दुनिया के सारे क्लेश मिटाने का प्रयत्न करेंगे। विश्व बंधुत्व का मूलमंत्र खुद अपनाते लोगों को श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे। इस तरह सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिया महका सकते हैं। धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
यह गीत आपको कैसा लगा ? अपनी पसंद और नापसंद का कारण बताइए।
उत्तर:
“हम भारतवासी” गीत मुझे बहुत पसंद आया। यह गीत सरल, सुबोध और प्रभावशाली है। देशभक्ति भावना जगाकर, विश्वबंधुत्व की ओर हमें अग्रसर होने की प्रेरणा देनेवाला है। भारतवासियों के सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि गुणों का समर्थन करते हुए दुनिया को पावन धाम बनाने की महत्वाकांक्षा रखती है। सारे विश्व के लोगों के विविध क्लेशों को मिटाकर एक धर्म कुटुंब बनने की प्रेरणा देनेवाला है। भारतीय संस्कृति की गरिमा बढाने वाला है। खासकर भारतीयों के धर्म, जाति, संप्रदाय रूपी विषमताओं को भगाकर सब में अपनापन जगानेवाला है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 2.
दुनिया को ‘पावन धाम’ बनाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
दुनिया को पावन धाम बनाने के लिए

  • ऊँच – नीच का भेद मिटायेंगे।
  • निराशा की भावना भगाकर विश्वास जगायेंगे।
  • उलझे लोगों को वास्तविकता बतायेंगे। बेराहों को राह दिखायेंगे।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण, विश्व बंधुत्व की भावना जगायेंगे।

आ) दिया गया पद्यांश पढ़िए और इसके मुख्य शब्द पहचान कर लिखिए।

मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे।
सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण की बगिया महकायेंगे।
जग के सारे क्लेश मिटाकर, धरती को स्वर्ग बनायेंगे।
विश्वबंधुत्व का मूल मंत्र हम, दुनिया में सरसायेंगे।

जैसे : श्रद्धा, …………………,
…………………………..,
…………………………..,
उत्तर:
प्रेम, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण, क्लेश, विश्वबंधुत्व के सहारे धरती को स्वर्ग बनाना।

इ) निम्नलिखित भाव से संबंधित कविता की पंक्तियाँ पहचानकर लिखिए।

प्रश्न 1.
संसार में व्याप्त सारे विवादों को मिटाकर, हम धरती को स्वर्ग बनायेंगे।
उत्तर:
जग के सारे क्लेश मिटाकर, धरती को स्वर्ग बनायेंगे।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 2.
जीवन पथ से भटके लोगों को रास्ता दिखाएँगे।
उत्तर:
भटक रहे जो जीवन पथ से, उनको राह दिखायेंगे।

प्रश्न 3.
हम भेदभाव दूर करेंगे। हम सब मिलजुलकर रहेंगे।
उत्तर:
ऊँच – नीच का भेद मिटाकर, दिल में प्यार बसायेंगे।

ई) नीचे दिया गया पद्यांश पढ़कर सही उत्तर पहचानिए।
आज़ादी अधिकार सभी का जहाँ बोलते सेनानी,
विश्व शांति के गीत सुनाती जहाँ चुनरिया ये धानी,
मेघ साँवले बरसाते हैं, जहाँ अहिंसा का पानी,
अपनी माँगें पोंछ डालती, हँसते – हँसते कल्याणी,
ऐसी भारत माँ के बेटे मान गँवाना क्या जाने,
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जानें।

1. धानी रंग की चुनरी कौन – सा गीत सुना रही है?
अ) अधिकार का
आ) आज़ादी का
इ) विश्वशांति का
ई) अहिंसा का
उत्तर:
इ) विश्वशांति का

2. भारत के लाल कैसे हैं?
अ) सजीले
आ) साँवले
इ) हठीले
ई) निराले
उत्तर:
इ) हठीले

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

3. सैनिक किसे सभी का अधिकार मानते हैं? ‘
अ) आज़ादी को
आ) शांति को
इ) अहिंसा को
ई) मान को
उत्तर:
अ) आज़ादी को

4. “मान” शब्द का विलोमार्थक है
अ) निरमान
आ) दुरमान
इ) अपमान
ई) स्वमान
उत्तर:
इ) अपमान

5. भारत माँ के बेटे क्या गाँवाना नहीं चाहते हैं?
अ) आज़ादी
आ) मान
इ) शीश
ई) अधिकार
उत्तर:
आ) मान

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
उलझनों से बचे रहने के लिए हमें कैसी सावधानियाँ लेनी चाहिए?
उत्तर:
उलझनों से बचे रहने के लिए

  • धार्मिक भेद – भाव न रखना चाहिए।
  • उत्तम मानवीय मूल्यों को बनाये रखना है।
  • पारस्परिक सहयोग की भावना होना है।
  • हमेशा सतर्क, जागरूक रहना है।
  • बौद्धिक विकास करना चाहिए।

प्रश्न 2.
निराशावादी और आशावादी के स्वभाव में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
निराशावादी में निराशा की भावना होती है। वह निष्क्रिय होता है। जीवन दुखद होता है। उलझा रहता है। आशावादी में आशा की भावना होती है। वह सक्रिय होता है। जागरूक रहता है। सत्य, अहिंसा, त्याग समर्पण होती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

आ) गीत में ‘धरती को स्वर्ग’ बनाने की बात कही गयी है। हम इसमें क्या सहयोग दे सकते हैं?
(या)
पूरे विश्व को स्वर्ग का धाम कैसे बना सकते हैं?
उत्तर:
कविता का नाम : हम भारतवासी
कवि का नाम : आर.पी.निशंक
हिंदी के विख्यात कवि हैं आर.पी. निशंक| इस कविता के ज़रिये कवि छात्रों में देश भक्ति, विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि महान सद्गुणों का विकास करना चाहते हैं।

“हम भारतवासी” कविता में धरती को स्वर्ग बनाने की बात पर प्रकाश डाला गया है। सच्चे भारतीय होने के कारण हम भी अपना पूरा सहयोग दे सकते हैं।

  • हम मानवों में भरे जाति – धर्म, वर्ग – वर्ण, ऊँच – नीच, अमीर – गरीब जैसे भेदभावों को दूर कर
  • सकते हैं। इससे एकता की भावना बढकर सब लोग प्रेम से रह सकते हैं।
  • सत्य, अहिंसा, सेवा, त्याग, प्रेम आदि का महत्व समझाकर विश्व बंधुत्व की भावना जगा सकते हैं।
  • स्वार्थ भाव से भरे लोगों को स्वार्थरहित, पक्षपात रहित और सहनशील बनाकर देश प्रेमी बना सकते हैं।
  • दुःख में धीरज धर लेने का आत्मविश्वास उनमें भरकर निराशावाद दूर भगाकर आशावादी बना सकते हैं।
  • जीवन पथ से भटके लोगों को मार्गदर्शन करके उन्हें सक्रिय मार्ग पर लगा सकते हैं।
  • हर्ष – विषाद आपस में बाँटकर अपनापन बढा सकते हैं। – एक दूसरे के प्रति आदर का भाव रखते, प्रेमालू बना सकते हैं।

एक बात में कहे तो वसुदैक कुटुंबकम बना सकते हैं। ऐसा करके हम भी धरती को स्वर्ग बनाने में अपना पूरा सहयोग दे सकते हैं।

विशेषता : इस कविता में देश भक्ति और नैतिक मूल्य बताये गये हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

इ) विश्वशांति की राह में समर्पित किस महान व्यक्ति का साक्षात्कार आप लेना चाहेंगे? साक्षात्कार में उनसे पूछे जाने वाले प्रश्नों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
विख्यात नेता से साक्षात्कार लेने के लिए मैं निम्न लिखित इस प्रश्नावली को तैयार करूँगा।
वे प्रश्न इस प्रकार हैं –

  • महोदय। विश्वशांति के लिए आप अविरल प्रयत्न कर रहे हैं। क्या आप यह बता सकते हैं कि विश्वशाँति माने क्या है? उसकी क्या आवश्यकता है?
  • आपको इस महत्वपूर्ण कार्य में पदार्पण करने का विचार क्यों और कैसे आया? इसके क्या कारण हो सकते हैं?
  • आपके इस पवित्र यज्ञ में किन-किन सज्जनों ने आपका सहयोग दिया ?
  • अपनी संकल्प सिद्धि के इस पावन काम में आपने कौनसे त्याग किये ? वे कहाँ तक फलदायी हुये हैं?
  • आपको इस काम में कहाँ तक सफलता मिली है?
  • आपके इस पुण्य कार्य में कौन-सी अडचनों का सामना करना पड़ा?
  • आगे आनेवाली पीढी को आपका संदेश क्या है?
  • सुना है कि इस विश्वशांति के पावन यज्ञ में सफल हुए व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करते हैं। आपको यह पुरस्कार मिले तो आप कैसा अनुभव करते ?

ई) सत्य, अहिंसा, त्याग आदि भावनाओं का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
उत्तर:
हमारे जीवन में सच्चाई से बढ़कर कोई तपस्या नहीं होती। सत्य से जीवन सुखद बनता है। इसके आचरण से सच्चरित्र और महान बनता है। समाज में वंदनीय और पूजनीय बनता है।

किसी को क्षमा करना और हर प्राणी पर दया करना मनुष्य का कर्तव्य होना चाहिए। अहिंसा से दया और भाईचारे का जन्म होता है।

त्याग भावना से प्रेम और भाईचारा भाव बढ़ता है। चारों ओर संतोष होता है। भोग से त्याग श्रेयस्कर होता है।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
दुनिया, अमृत, पावन (वाक्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
(जैसे – यह दुनिया बड़ी निराली है। विश्व, जग, संसार)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
अमृत : देव जाति के लोगों ने अमृत का पान किया है।
पावन : बापूजी का यह पावन उदेदश्य आदर्शनीय है।

पर्याय शब्द
अमृत – सुधा, पीयूष
पावन – पवित्र, पुनीत

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 2.
निराशा, त्याग, प्यार (विलोम शब्द लिखिए। उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
(जैसे – निराशा × आशा, हमें जीवन में आशा बढानी चाहिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
त्याग × स्वार्थ
प्यार × घृणा

वाक्य प्रयोग
त्याग : त्याग भावना उत्तम है, स्वार्थ भावना अधम है।
प्यार : प्यार से रहना चाहिए। ईर्ष्या या घृणा पाप है।

प्रश्न 3.
खुशी, बगीचा, भावना (वचन बदलिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
(जैसे – खुशी – खुशियाँ, बच्चों को खेलों से बहुत सारी खुशियाँ मिलती हैं।)
वचन वाक्य प्रयोग
उत्तर:
खुशी – खुशियाँ : वे सब मिलकर खुशियाँ मना रहे हैं।

बगीचा – बगीचे : बैगलूर में कई सुंदर बगीचे हैं।
भावना – भावनाएँ : हमें अपने दिलों में सदा अच्छी भावनाएँ रखनी हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
पवन, पावन, निराशा (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
संधि विच्छेद
पवन = पो + अन
पावन = पौ + अन
निराशा = निः + आशा

प्रश्न 2.
भारतवासी, जीवनज्योत (समास पहचानिए।)
उत्तर:
भारतवासी : → तत्पुरुष समास (भारत के वासी)
जीवनज्योत → कर्मधारय समास(जीवन रूपी ज्योत)

इ) इन्हें समझिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. खुशी
2. खुशियाँ
3. खुशियों में
उत्तर:

  1. वह खुशी मनाती है। यह खुशी संज्ञा शब्द है।
  2. त्यौहार के दिन लोग खुशियाँ मनाते हैं। खुशी का बहुवचन खुशियाँ हैं।
  3. अच्छे लोग सदा खुशियों की दुनिया में रहते हैं। संबंध बोध कारक हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

ई)1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी 1
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी 2

2. कविता में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखिकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. पावन धाम बनाना = पवित्र स्थल बनाना
हमें दुनिया को पावन धाम बनाना चाहिए।

2. अमृत रस सरसाना = प्रेम भावना जगाना
भारतवासी सभी लोगों के दिलों में अमृत रस सरसायेंगे।

3. विश्वास जगाना = यकीन दिलाना
निराशावादी लोगों में विश्वास जगाने की आवश्यकता है।

4. राह दिखाना = सही रास्ता दिखाना
अध्यापक छात्रों को राह दिखाते हैं।

5. दिल में प्यार बसाना = एकता बनाना
नेता लोगों के दिल में प्यार बसाते हैं।

6. तथ्य दीप समझाना = यथार्थ / वास्तव बताना
तथ्य दीप समझाने से अहित कार्य नहीं होते।

7. कुहासा तोडना = स्पष्ट करना
मन में व्याप्त कुहासा तोडने से सुखी रह सकते हैं ।

परियोजना कार्य

शांति के पथ पर समर्पित किसी महान व्यक्ति के बारे में जानकारी इकट्ठा कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जिम्मी कार्टर जिम्मी कार्टर का पूरा नाम जेम्स अर्ल कार्टर जूनियर है। (जन्म अक्तूबर 1, 1924) एक अमेरिकी राजनेता हैं जो 1976 से 1980 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 39 वें राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना में कार्यरत रहें, जॉर्जिया में सेनेटर रहे, और जॉर्जिया के गवर्नर भी रहे। राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद वे मानव अधिकार संस्थाओं एवं परोपकारी संस्थाओं के साथ जुड़े रहे। उन्हें 2002 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रारंभिक जीवन :
जिम्मी कार्टर का जन्म जॉर्जिया के प्लेन्स नामक शहर में वाइस क्लीनिक अस्पताल में हुआ था जहाँ उनकी माँ लिलियन कार्टर नर्स थीं। उनके पिता अर्ल कार्टर का खेत था जिसमें वे कपास एवं मूंगफली उगाया करते थे। 1926 में जिम्मी की छोटी बहन ग्लोरिया, 1929 में रूथ, और 1937 में छोटे भाई बिली का जन्म हुआ। 1941 में जिम्मी ने प्लेन्स हाई स्कूल से दसवीं कक्षा पास की । 1941 में जिम्मी ने अमेरिकन्स शहर में स्थित जॉर्जिया साउथवेस्टर्न कॉलेज में पढ़ाई शुरू की। 1942 में उन्होंने यह कॉलेज छोड़ जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टॅकनॉलोजी में दाखिला लिया। 1943 में उन्हें एनापोलिस , मैरीलैंड स्थित यू. एस नेवल अकैडमी में दाखिला मिल गया और वे 1946 में वहाँ से उत्तीर्ण हुए। उत्तीर्ण होने के पश्चात वे संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना की पहली परीक्षनात्मक पनडुब्बी में कार्यरत हुए।

जुलाई 7, 1947 को कार्टर ने बहन रूथ की सहेली एलानोर रोज़ालिन स्मिथ से विवाह कर लिया। 1947 में कार्टर के पुत्र जॉन विलियम का जन्म हुआ, 1950 में जेम्स अर्ल II का, 1952 में डॉनल जेफ़्फ़ी … का और 1967 में पुत्री एमी लिन का जन्म हुआ। 1953 में जिम्मी के पिता अर्ल की मृत्यु होने पर जिम्मी अपनी पत्नी के साथ जॉर्जिया वापिस लौट गए, पिता के खेती के कारोबार को संभालने के लिए।

कैरियर : 1962 में कार्टर को जॉर्जिया सेनेट में चुना गया। 1966 में उन्होंने जॉर्जिया को गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ा परन्तु जीत नहीं पाए। 1971 में वे फिर जार्जिया के गवर्नर पद के चुनाव में खड़े हुए और जीते। जिम्मी कार्टर, मेनाम बेगिन और अनवर अल-सदात 1978 में कैम्प डेविड में। 1977 में वे संयुक्त राज्य अमेरिका के 39 वे राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति के तौर पर इनके कार्यकाल में निम्न मुख्य घटनाएँ हुई।

1978 में कैम्प डेविड में कार्टर ने मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल – सदात और इजराइल के प्रधानमन्त्री मेनाखेम बेगिन के बीच समझौता करवाया जिसके नतीजे में 1979 में इज़राइल और मित्र के बीच में शान्ति कायम हुई।

1 जनवरी 1979 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीनी जनवादी गणराज्य को राजनयिक मान्यता दी और दोनों के बीच में राजनयिक संबंध कायम हुए। इसी के साथ चीनी गणराज्य की राजनयिक मान्यता रद्द कर दी गयी और राजनयिक संबंध औपचारिक रूप से तोड़ दिए गए यद्यपि दोनों देशों ने अनौपचारिक रूप से राजनयिक संबंध जारी रखे।

1979 में हुई ईरान की इस्लामी क्रांति के दौरान नवंबर में तेहान में स्थित अमेरिकी दूतावास पर उग्रवादी छात्रों ने कब्जा कर लिया और 50 से अधिक अमेरिकी बंधी बना लिए गए। जब ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका कोई कूटनीतिक समाधान नहीं कर सके तो 1980 में सैन्य बल पर बंदियों को . छुड़ाने की नाकाम कोशिश की गई जिसमें अमेरिकी सैनिकों की जान गई। अंत में बंधी 1981 में 444 दिनों के पश्चात छोड़े गए।

सोवियत संघ के अफ़गानिस्तान पर हमला करने पर कार्टर ने आदेश दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाड़ी मॉस्को में हो रहे 1980 ग्रीष्मकालीन ओलिम्पिक खेलों का बहिष्कार करेंगे। वे 1980 में राष्ट्रपति चुनाव में पुनः खड़े हुए परन्तु हार गए।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

राष्ट्रपति कार्यकाल के पश्चात :
राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद कार्टर ने मानव अधिकार संबंधित अनेक संस्थाओं, एवं अनेक परोपकारी संस्थाओं के साथ काम किया है। 1982 में कार्टर ने अटलांटा, जॉर्जिया स्थित एमरी विश्वविद्यालय में कार्टर प्रेसिडेंशियल सेंटर की स्थापना की जो लोकतंत्र और मानव अधिकार संबंधित कार्य करता है।

कार्टर ने राष्ट्रपति कार्यकाल के पश्चात अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं।
कार्टर को 2002 में नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

हम भारतवासी Sunnary in English

We are Indians. We transform India into a holy heaven. We show the marvellous images of care and love in our hearts.

We fill our hearts with love discarding the feelings of high and low, rich and poor etc. We sprinkle the sap of ambrosia removing the mist patches like jealousy and hatred. We dispel the despair, fill hope and dispense confidence. We are Indians. We transform the world into a holy heaven.

We make the people who are extrapped in problems and difficulties realise the fact. We show the proper way to the people are led astray from the path of life. We enkindle the lights of life with the lamps of joy.

We are Indians. We transform India into a holy heaven.

We show the marvellous images of care and love in our hearts. We grow the groves of truth, non-violence, sacrifice, dedication and devotion. We remove all the adversities from the world and make it a heaven. We chant the spell of fraternity, universal rapport and make others chant.

We are Indians. We transform India into a holy heaven. We show the marvellous images of care and love in our hearts.

हम भारतवासी Summary in Telugu

మేము భారతీయులం. మేము ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తయారుచేస్తాం. మనస్సుల్లో శ్రద్ధ మరియు ప్రేమల అద్భుత దృశ్యాలను చూపుతాము.

ఉన్నవారు – లేనివారు (ఉన్నతమైన – నిమ్నమైన) అనే భేదభావాలు లేక హృదయాలలో ప్రేమను నింపుకుంటాము. ఈర్ష్యా – ద్వేషం అనే మంచు తెరలను తొలగించి అమృతరసాన్ని చిలికిస్తాం. నిరాశను దూరం చేసి ఆశను నింపి విశ్వాసాన్ని రేకెత్తిస్తాం, మేల్కొలుపుతాం. మేము భారతీయులం. ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తీర్చిదిద్దుతాం.

సమస్యలలో చిక్కుకుని ఊగిసలాడుతున్న ప్రజలకు యదార్థాన్ని తెలియజేస్తాం. జీవన పథం నుండి దారి మళ్ళి తిరుగుతున్నవారికి దారి చూపిస్తాం. సంతోష దీపాలతో జీవన జ్యోతులను వెలిగిస్తాం.

మేము భారతీయులం. ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తీర్చిదిద్దుతాం.

మనస్సుల్లో శ్రద్ధ, ప్రేమల అద్భుత దృశ్యాలను చూపుతాం. సత్యం, అహింస, త్యాగం, సమర్పణ మొదలైన తోటలను పెంచుతాం. ప్రపంచంలోని అన్ని కష్టాలను తొలగించి భూమిని స్వర్గంలా తీర్చిదిద్దుతాం. విశ్వబంధుత్వ మూలమంత్రాన్ని ప్రపంచంలో జపింపజేస్తాం, జపిస్తాం.

మేము భారతీయులం. ప్రపంచాన్ని పావనధామంగా తయారుచేస్తాం. మనస్సుల్లో శ్రద్ధ మరియు ప్రేమల అద్భుత దృశ్యాలను చూపుతాం.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
दुनिया को ‘पावन धाम’ बनाने के लिए हम क्या – क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
मैं सच्चे भारतीय होने के कारण सारी दुनिया को पावन धाम बनाना चाहता हूँ। यह मेरा प्रमुख कर्तव्य है। इसके लिए मैं पहले अपने दिल में निर्मल और उत्तम भावनाएँ भर लूंगा। सबके दिलों में एकता और सौभ्रातृत्व भावना जगाने का प्रयत्न करूँगा। प्रेम भाव का महत्व समझाते लोगों को भेद – भावों से दूर रहने का आग्रह करूँगा। सारी मानव जाति एक है – यह नारा देते भक्ति और धर्मयुक्त जीवन बिताने बाध्य करूँगा। खुद सत्य, अहिंसा, त्याग, आत्म समर्पण जैसे उत्कृष्ट गुणों का प्रचार करते लोगों को रास्ता दिखाऊँगा।

प्रश्न 2.
आर.पी. निशंकजी के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
उत्तर:

  • आर.पी.निशंक आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में विशिष्ट स्थान रखते हैं।
  • इनकी रचनाओं का मुख्य प्रतिपाद्य देश भक्ति है। समर्पण, नंवकुर, मुझे विधाता बनना है, तुम भी मेरे साथ चलो, जीवन पथ में, कोई मुश्किल नहीं आदि उनकी चर्चित काव्य रचनाएँ हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
निराशा को दूर करने के क्या – क्या उपाय हैं?
उत्तर:
निराशा को दूर करने के लिए ये उपाय हैं –

  • मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखाने से निराशा दूर हो जाती है ।
  • दिल में प्यार बसाने से निराशा दूर कर सकेंगे |
  • हम दूसरों में विश्वास जगायें तो निराशा दूर हो जायेगा ।
  • ऊँच – नीच के भेद – भावों को मिटाने से भी निराशा दूर हो जायेगी।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 2.
विश्व बंधुत्व का अर्थ क्या है?
उत्तर:

  • एक ही परिवार के सभी लोग जिस प्रकार बंधुत्व भाव से रहते हैं, उसी प्रकार विश्व भर के लोगों से बंधु भावना से रहना ही विश्व बंधुत्व है । केवल भारतीयों और भारत देश में ही विश्व बंधुत्व की भावना प्राचीन काल से आज तक चल रही है।
  • हम हर हमेशा कहते भी हैं कि सर्वेजना सुखिनो भवंतु |
  • जिस प्रकार हम प्रांतीय एवं जातीय भावना से रहते हैं उसी प्रकार विश्व बंधुत्व की भावना से भी रहना है।
  • सारे विश्व की मंगल भावना ही विश्व बंधुत्व भावना है ।

प्रश्न 3.
ऊँच – नीच का भेद भाव मिटाने के लिए हमें क्या करना है?
उत्तर:

  • ऊँच – नीच का भेद मिटाने के लिए हमें सबके प्रति श्रद्धा और प्रेम को दिखाना है ।
  • सबके दिलों में प्यार बसाना है ।
  • नफ़रत के कुहासे को तोडना है ।
  • सामाजिक, आर्थिक , राजनीतिक एकता से हम ऊँच – नीच के भेद -भावों को मिटा सकते हैं ।
  • दूसरों के निराशा को दूर करने से भी कुछ हद तक भेद भाव मिटा सकेंगे।
  • हमारे पास जो कुछ आवश्यकता से अधिक है उसे ज़रूरतमंदों को दे देने से भी भेदभावों को हटा सकेंगे।

प्रश्न 4.
किसी काम को आत्मविश्वास के साथ क्यों करना है?
उत्तर:

  • हम जो भी करें आत्मविश्वास के साथ करें तो वह काम ज़रूर पूरा होगा | सफल होगा |
  • आत्मविश्वास में अद्भुत शक्ति निहित है ।
  • आत्मविश्वास से हम जितने भी कष्ट से कष्ट एवं मुश्किल काम को भी बहुत आसानी के साथ कर सकते हैं।
  • आत्मविश्वास हम में जीने की शक्ति को बढ़ाता है ।

प्रश्न 5.
जीवन पथ से भटकने वालों को हम कैसे राह दिखा सकते हैं?
उत्तर:

  • मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखाकर हम जीवन पथ में भटकने वालों को राह दिखा सकते हैं।
  • उलझन में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझाकर राह दिखा सकेंगे |
  • हम खुशियों के दीप जलाकर जीवन ज्योत जलाकर जीवन पथ से भटकने वालों को राह दिखा सकते हैं।

प्रश्न 6.
विश्व शांति से आपका अभिप्राय क्या है?
उत्तर:

  • विश्व बंधुत्व भावना ही विश्वशांति है ।
  • सारी दुनिया भर में शांति स्थापना ही विश्व शांति है ।
  • देश भर के लोग मन में श्रद्धा तथा प्रेम के अद्भुत दृश्यों के साथ रहेंगे तो वही विश्व शांति है ।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि भावों से हम रहेंगे तो विश्वशांति अवश्य होगी।
  • युद्ध, दुख, लालच और सभी पीडाओं को मिटाने का एक मात्र साधन है – विश्वशांति ।
  • जहाँ शांति है वहाँ सुख है, जहाँ सुख है वही स्वर्ग है । यह सब विश्व शांति के द्वारा ही साध्य है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
भारत की संस्कृति सारे विश्व को लुभाती है। इस कथन पर व्याख्या कीजिए|
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “हम भारतवासी” है।
कवि का नाम : “आर.पी.निशंक’ है।

  • भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ ये हैं कि
  • भारतीय संस्कृति में ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसाने की शक्ति है।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण जैसे सद्गुणों का विकास करने की शक्ति है।
  • जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनाने की शक्ति है।
  • विश्व के सारे लोगों में प्रेम और शांति की स्थापना कर सकती है।
  • विश्व बंधुत्व रूपी मूलमंत्र दुनिया में सरसाने की शक्ति इस संस्कृति में है।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत की संस्कृति सारे विश्व को लुभाती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 2.
“भारतीय, विश्वशांति और विश्वबंधुत्व की पवित्र भावनाओं से दुनिया को पवित्र धाम बनायेंगे” हम भारतवासी कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “हम भारतवासी” है।
कवि का नाम : “आर.पी.निशंक” है।

  • हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे। मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे।
  • हम सब में ऊँच-नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे।
  • हम नफ़रत को दूर कर अमृत बरसायेंगे।
  • हम सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिया को महाकायेंगे।
  • जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनायेंगे।
  • विश्व बंधुत्व रूपी मूल मंत्र हम दुनिया में सरसायेंगे।
  • इस प्रकार भारतीय विश्वशांति, विश्व बंधुत्व की भावनाओं से दुनिया को पवित्र धाम बनायेंगे।

प्रश्न 3.
विश्वशांति और विश्वबंधुत्व की भावना भारतवासी कैसे फैलायेंगे?
उत्तर:

  • हम भारतवासी कविता के कवि श्री आर.पी. निशंक है।
  • ये महान हिंदी साहित्यकार है, इनकी कविताओं का मुख्य विषय देश भक्ति है।
  • प्रस्तुत कविता ‘मातृभूमि के लिए ‘संग्रह’ से लिया गया है।
  • इस कविता में भारतीयों के लक्षणों के बारे में बताया गया है।
  • भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे।
  • श्रद्धा और प्रेम से दुनिया का मार्ग निर्देशन करेंगे।
  • ऊँच – नीच का भेद मिटायेंगे, सब से प्यार करेंगे।
  • नफ़रत मिटाकर अमृत रस सरसायेंगे, निराशा दूर भगाकर विश्वास जगायेंगे।
  • उलझन में फंसे लोगों को राह दिखायेंगे, जीवन पथ से भटके लोगों को राह दिखायेंगे।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि भावों से भरा समाज बनायेंगे।
  • इस तरह विश्वशांति और विश्वबंधुत्व की भावना फैलायेंगे।

प्रश्न 4.
हम भारतवासी कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
आर.पी. निशंक कृत “हम भारतवासी” पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हम भारतवासी
कविता का नाम : हम भारतवासी
कवि का नाम : श्री आर. पी. निशंक
रचनाएँ : समर्पण, नवंकुर,जीवन पथ में, मुझे विधाता बनना हैं, तुम भी मेरे साथ चलो, कोई मुश्किल नहीं आदि।
पुरस्कार : पद्म श्री

सारांश :
आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में आर.पी. निशंक जी विशिष्ट स्थान रखते हैं। अपनी इस कविता में आप छात्रों में देश भक्ति भावना के साथ विश्व बंधुत्व विश्वशांति, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं।

कवि कहते हैं कि हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे। हम अपने मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे। सब में ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे। नफ़रत को दूर भगाकर अमृत बरसायेंगे। निराशा को दूर करके लोगों में विश्वास जगायेंगे। उलझनों में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझायेंगे।

जीवन पथ से भटकनेवालों को सच्चा राह दिखायेंगे। खुशियाँ रूपी दीप जलाकर जीवन ज्योत जलायेंगे। सत्य, अहिंसा, त्याग, और समर्पण की बगिया महकायेंगे।

जग के समस्त क्लेशों को मिटाकर शक्तिभर धरती को स्वर्ण बनायेंगे। वसुदैक कुटुबंम भावना हम दुनिया से सरसायेंगे।

ऐसे सच्चे आशय मन में रखकर हम दुनिया को पावन धाम बनाने में अपना पूरा जीवन लगा देंगे।

विशेषताएं:
1. इस कविता में देश भक्ति, विश्व बंधुत्व, विश्व शांति, अहिंसा, त्याग अदि भाव व्यक्त किये गये हैं।
2. यह प्रेरणादायक कविता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 5.
“हम भारतवासी” कविता विश्व – बंधुत्व की ओर कदम बढाने की प्रेरणा देती है। – समझाइए।
उत्तर:
कवि : रमेश पोखरियाल निशांक’
जन्म : 15 अगस्त 1958
रचनाएँ : समर्पण, नवंकुर, मुझे विधाता बनाना है, तुम भी मेरे साथ चलो, जीवन पथ में, कोई मुश्किल नहीं आदि।
रचना का मुख्य विषय : देशभक्ति

एक ही परिवार के सभी लोग जिस प्रकार बंधुत्व भाव से रहते हैं उसी प्रकार विश्वभर के लोगों से बंधु भावना से रहना ही विश्व बंधुत्व है। सारे विश्व की मंगल कामना भारतीयों में आदिकाल से ही निहित है। इसी भावना के अन्तर्गत भारतवासी कहते हैं कि –

  • हम भारतवासी दुनिया को पवित्र स्थल बनाएँगे।
  • श्रद्धा और प्रेम से दुनिया का मार्गदर्शन करेंगे।
  • लोगों में ऊँच – नीच भेद मिठाकर सब में प्यार भरेंगे।
  • लोगों के बीच में हुई नफरत का भाव मिटाकर अमृत रस सरसाएँगे। उनके निराशा को दूर भगाकर उनमें विश्वास जगाएँगे।
  • उलझन में फसे और जीवन पथ से भटके लोगों को सही राह दिखाएँगे।
  • समाज को सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि भावों से भरेंगे।

इन भावनाओं से हमें पता चलता हैं कि यह कविता विश्व बंधुत्व की ओर कदम बढाने की प्रेरणा जरूर देती है।

प्रश्न 6.
धरती को स्वर्ग कैसे बना सकते हैं?
(या)
भारतवासी किन पवित्र भावनाओं से धरती को स्वर्ग बनाना चाहते हैं? विवरण दीजिए ।
उत्तर:

  • विश्वशांति से धरती को स्वर्ग बना सकते हैं।
  • आपस में प्रेम, श्रद्धा और प्यार आदि भावों को जगाकर धरती को स्वर्ग बना सकते हैं ।
  • दिल में ऊँच – नीच के भेदभावों को दूर करके धरती को स्वर्ग बना सकेंगे।
  • वैर भाव, ईर्ष्या, द्वेष आदि के बिना आपस में सहयोग के साथ रहकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे।
  • विश्व बंधुत्व भावना से रहकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे।
  • सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सर्वोन्मत अंशों को प्रधानता देकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे ।
  • मनुष्यों में निराशा को दूर भगाकर आशा दीप जलाकर धरती को स्वर्ग बना सकेंगे ।

प्रश्न 7.
निशंक जी किन भावनाओं से दुनिया को पावन धाम बनाना चाहते हैं?
उत्तर:
“हम भारतवासी” नामक कविता के कवि हैं श्री आर. पी. निशंक | “हम भारतवासी” नामक कविता में कवि देश भक्ति के साथ – साथ विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सद्गुणों का विकास छात्रों में करते हैं।

कवि कहते हैं कि हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे | मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे । हम सबमें ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे | नफ़रत नामक कुहासे को तोड़कर हम अमृत सरसायेंगे | हम खुशी में निराशा को दूर भगाकर विश्वास जयायेंगे ।

कवि और कहते हैं कि उलझनों में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझायेंगे | जीवन पथ से भटकते रहने वालों को राह दिखायेंगे | हम खुशियों के दीप जलाकर जीवन ज्योत जलायेंगे ।

कवि और कहते हैं हम सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिये को महकायेंगे | जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनायेंगे | विश्वबंधुत्व रूपी मूलमंत्र को हम दुनिया में सरसायेंगे |

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 3 हम भारतवासी

प्रश्न 8.
‘वसुधैक कुटुंबम” की भावना को आर. पी. निशंक जी ने अपनी कविता में सुंदर ढंग से व्यक्त किया है – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“हम भारतवासी” नामक कविता के कवि हैं श्री आर. पी. निशंक | “हम भारतवासी” नामक कविता में कवि देश भक्ति के साथ – साथ विश्वबंधुत्व, विश्वशांति, सत्य, अहिंसा, त्याग, समर्पण आदि सद्गुणों का विकास छात्रों में करते हैं।

कवि कहते हैं कि हम भारतवासी दुनिया को पावन धाम बनायेंगे | मन में श्रद्धा और प्रेम का अद्भुत दृश्य दिखायेंगे | हम सबमें ऊँच – नीच का भेद मिटाकर दिल में प्यार बसायेंगे | नफ़रत नामक कुहासे को तोड़कर हम अमृत सरसायेंगे | हम खुशी में निराशा को दूर भगाकर विश्वास जयायेंगे ।

कवि और कहते हैं कि उलझनों में उलझे लोगों को तथ्य दीप समझायेंगे | जीवन पथ से भटकते रहने वालों को राह दिखायेंगे | हम खुशियों के दीप जलाकर जीवन ज्योत जलायेंगे ।

कवि और कहते हैं हम सत्य, अहिंसा, त्याग और समर्पण की बगिये को महकायेंगे । जग के सारे क्लेशों को मिटाकर धरती को स्वर्ग बनायेंगे । विश्वबंधुत्व रूपी मूलमंत्र को हम दुनिया में सरसायेंगे |

‘वसुधैक कुटुंबम’ का अर्थ है विश्व बंधुत्व की भावना । इस प्रकार आर. पी. निशंक अपनी कविता में “वसुधैक कुटुंबम’ की भावना को अपनी कविता “हम भारतवासी” में उभारा है |

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 2 ईदगाह Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

10th Class Hindi Chapter 2 ईदगाह Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 5)

प्रश्न .1
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किससे मिलता है?
उत्तर :
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेडों से मिलता है। .

प्रश्न .2
खुशबू भरे फूल हमें क्या देते हैं?
उत्तर :
खुशबू भरे फूल हमें नव फूलों की माला देते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न .3
‘हम भी तो कुछ. देना सीखें’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर :
पथिकों को पेड दुपहर में छाया देते हैं। नव फूलों की माला में फूल हमें खुशबू देते हैं। वे परोपकारी हैं। उसी प्रकार हम भी उन्हें (पेड, फूलों को) देखकर त्याग भाव को अपनाकर दूसरों को कुछ देना है। इसीलिए कवि ने ऐसा कहा है कि “हम भी तो कुछ देना सीखें।

InText Questions (Textbook Page No. 6)

प्रश्न 1.
ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
(या)
ईदगाह पाठ में प्रकृति का चित्रण कैसे किया गया?
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। आज का सवेरा मनोहर और सुहावना है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अजीब रौनक है। आसमान पर लालिमा है। सूरज बहुत प्यारा और शीतल है तथा सबको ईद की शुभकामनाएँ दे रहा है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लडकों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?
उत्तर:
हामिद भोली सूरतवाला चार – पाँच साल का दुबला पतला लडका है। जो कुछ मिला है, उससे संतुष्ट रहनेवाला आशावादी लडका है। उसके माँ – बाप मर गये। उसकी दादी अमीना ही उसका पालन – पोषण कर रही है। दादी ने उससे कहा कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं और अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज़ है। इसी आश में डूबे हामिद ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है।

प्रश्न 3.
हामिद के खुशी का कारण क्या है?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप तो मर चुके हैं। दादी अम्मा ने उसे बताया कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी चीजें लाने गयी है। हामिद का दिल निर्मल और खुश है। वह ईद का मेला भी देखने जा रहा है। यही हामिद की खुशी का कारण है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 4.
हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?
(या)
हामिद ने दादी के लिए मिचटा खरीदा क्यों?
उत्तर:
हामिद अपनी दादी को बहुत चाहता है। हामिद की दादी के यहाँ चिमटा नहीं था। तवे से रोटियाँ उतारते वक्त उसके हाथ जल जाते थे। हामिद को ख्याल आया कि वह चिमटा ले जाकर दादी को दे देता तो उसके हाथ नहीं जलते। इसलिए अपनी दादी का कष्ट दूर करने हामिद चिमटा खरीदना चाहता था। खिलौनों की तुलना में चिमटा उपयोगी वस्तु है।

प्रश्न 5.
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थीं ?
उत्तर:
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों से दादी अम्मा बहुत प्रभावित हुई। उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। यह मूक स्नेह था, रस और स्वाद से भरा मार्मिक प्रेम था। हामिद के त्याग, सद्भाव, विवेक और खासकर दादी के प्रति अपार प्रेम की भावना याद कर दादी का मन गद्गद् हो गया । अपना आँचल फैलाकर हामिद को अनेक दुआएँ देने लगी। आँखों से खुशी की आँसू बहाने लगी।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया :

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
“ईदगाह’ कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार हैं मुंशी प्रेमचंद जी। आधुनिक हिंदी साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। ये । आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इन्हें उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है। इन्होंने लग भग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियों में भारत देश के ग्रामीण जीवन का जीता जागता चित्रण स्पष्ट नज़र आता है। नैतिक मूल्यों का विकास व जागरण ही इनकी रचनाओं का खास विषय है। आपकी कहानियाँ मानस सरोवर शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
बालक प्रायः अलग – अलग स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर बताइए कि हामिद का स्वभाव कैसा है?
उत्तर:
यह मानी हुयी और सच्ची बात है बालक प्रायः विभिन्न स्वभाव के होते हैं। हामिद तो अपने उत्तम और आदर्शमय स्वभाव से महान ठहरा । यह तो भोली सूरत का, चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। इसके माँ – बाप तो चल बसे थे। लेकिन यह विषय न जाननेवाला हामिद उनके लौट आने की आशा में सदा खुश रहता था। अपनी दादी के प्रति इसे बहुत प्यार था। इसीलिए ईदगाह जाते समय अपनी दादी – माँ को धीरज बँधाता | यह आशावादी लडका था। इसके मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, सहनशीलता संवेदनशीलता जैसी महान भावनाएँ घर कर बैठी थीं। मेले में सभी लड़कों ने अपने मनपसंद खाने और खेलने की चीजें खरीदीं तो हामिद ने अपनी दादी का ख्याल करके उसका कष्ट दूर करने अपने पास रहें पूरे तीन पैसे से चिमटा खरीदा। घर लौटकर उसे प्यार से दादी माँ को दिया। इस तरह हामिद मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, संवेदनशील भवानाएँ रखनेवाला उत्तम बालक था।

आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए।
1. हामिद के पास पचास पैसे थे ।
उत्तर:
नहीं

2. अमीना हामिद की मौसी थी ।
उत्तर:
नहीं

3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है।
उत्तर:
हाँ

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

4. हामिद खिलौने खरीदता है।
उत्तर:
नहीं

इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. अमीना का क्रोध तुरंत …………….. में बदल गया।
उत्तर:
स्नेह

2. क़ीमत सुनकर हामिद का दिल ……….. गया।
उत्तर:
बैट

3. हामिद ………… लाया ।
उत्तर:
चिमटा

4. महमूद के पास ………………. पैसे थे।
उत्तर:
बारह

ई) अनुच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बहुत समय पहले की बात है। श्रवण कुमार नामक एक बालक रहता था। उसके माता – पिता देख नहीं सकते थे। किंतु उन्हें इस बात का दुख नहीं था। उनका पुत्र सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहता था। एक दिन माता – पिता ने अपने पुत्र से चारधाम यात्रा की इच्छा व्यक्त की। पुत्र काँवर में बिठाकर अपने माता – पिता को चारधाम की यात्रा पर ले गया। रास्ते में माता – पिता को प्यास लगी। उनके लिए पानी लाने के लिए श्रवण कुमार तालाब के पास पहुंचा। उसी समय राजा दशरथ तालाब के पास वाले जंगल में शिकार कर रहे थे। श्रवण द्वारा तालाब में लोटा डुबाने की ध्वनि सुनकर वे हाथी समझ बैठे। शब्दभेदी बाण चला दिया। इस बाण से श्रवण परलोक सिधार गया। माता – पिता की सेवा में आजीवन आगे रहने वाला श्रवण, इतिहास में सदैव अमर रहेगा।

प्रश्न 1.
माता – पिता की सेवा में कौन तत्पर था?
उत्तर:
माता – पिता की सेवा में श्रवण कुमार तत्पर था।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
श्रवण कुमार के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
श्रवण कुमार माता – पिता की सेवा में तत्पर रहनेवाला आदर्श पुत्र था।

प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
सदा + एव = सदैव

प्रश्न 4.
अनुच्छेद के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
मातृ – पितृ भक्ति परायण श्रवण कुमार/आदर्श पुत्र।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?
उत्तर:
अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचने का महान स्वभाव वाला था हामिद। इसी स्वभाव से अपनी दादी का कष्ट दूर करने का ख्याल करके उसने चिमटा खरीद लिया। ___ मेरा भी हामिद के जैसा ही स्वभाव है। अपने सुख की परवाह न करके अपनों को सुख पहुँचाना चाहता हूँ। मुझे भी दादी है। वह ठीक तरह से देख नहीं सकती। इसलिए उसे डाक्टर के पास ले जाता और ऐनक खरीदता | उसकी आँखों में रोशनी देखना चाहता हूँ।

प्रश्न 2.
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ कैसी थीं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतल लडका था । वह अपनी दादी अमीना से बहुत प्यार करता था। सदा उसका ख्याल रखते उसे खुश रखना चाहता था। इसलिए जब मेले में भेजने वह डरने लगी तो हामिद ने मैं सबसे पहले आऊँगा बिलकुल न डरना कहकर धीरज बँधाया था। दादी ने उसे तीन पैसे दिये। मेले में मिठाइयों और खिलौनों की दुकानें थीं। सब लडके अपने मनपसंद चीजें खरीदकर खुश रहे। हामिद ने तो दादी माँ का कष्ट दूर करने चिमटा खरीदा। उसने सोचा कि चिमटा लेकर देने से दादी अम्मा बहुत खुश होंगी। उसके हाथ रोटियाँ उतारते कभी नहीं जलेंगे। वह मुझे हजारों दुआएँ देंगी। पडोसी औरतों को दिखाकर बहुत खुश होगी। कहेगी कि कितना अच्छा लड़का है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
ईदगाह कहानी मानवीय मूल्यों का प्रतिबिंब है। उसका सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी

सारांश :
हिंदी के उपन्यास सम्राट श्री प्रेमचंद की लिखी कहानी है ‘ईदगाह’ प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इस कहानी के ज़रिए आप छात्रों में त्याग, सद्भाव, विवेक जैसे उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं। साथ ही बडे बुजुर्गों के प्रति श्रद्धा व आदर की भावना रखने की बात पर ज़ोर देते हैं।

हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला, भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं, वह अपनी बूढी दादी अमीना की परिवरिश में रहता है। उससे कहा गया है कि उसके माँ – बाप उसके लिए बहुत अच्छी चीजें लायेंगे। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।

आज ईद का दिन है। सारी प्रकृति सुखदायी और मनोहर है। हामिद के महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। आमीना डर रही है कि अकेले हामिद को कैसे भेजे? हामिद के धीरज बँधाने पर वह हामिद को भेजने राजी होती है। जाते वक्त हामिद को तीन पैसे देती है। सब तीन कोस की दूरी परी स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो खिलौनों को ललचायी आँखों से देखता है, पर चुप रहता है। बाद लोहे की दुकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं, चिमटे को देखकर हामिद को ख्याल आता है कि बूढी दादी अमीना के पास चिमटा नहीं है। इसलिए तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसकी उंगलियाँ भी नहीं जलेंगी।

ऐसा सोचकर दुकानदार को तीन पैसे देकर वह चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मज़ाक उडाते हैं। हामिद तो इसकी परवाह नहीं करता। घर लौटकर दादी को चिमटा देते हैं तो पहले वह नाराज़ होती है। मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ तवे से जल जाती थीं। इसलिए मैं इसे लिवा लाया कहने पर उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और विवेक गुण से उसका मन गद्गद् हो जाता है। हामिद को अनेक दुआएँ देती है और खुशी के आँसू बहाने लगती है।

नीति : ईदगाह कहानी में दादी और पोते का मार्मिक प्रेम दर्शाया गया है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
हामिद और उसके दोस्त मोहसिन, महमूद और सम्मी सब मिलकर ईदगाह जाते हैं। वहाँ मेले में वे कुछ चीजें खरीदते हैं और आपस में इस प्रकार संवाद करने लगते हैं। (खिलौनों की दुकानों के पास)
मोहसिन : अरे! यह देखो। यह भिश्ती कितना सुंदर है ?

महमूद : मेरे ये सिपाही और नूरे वकील को देखो। ये कितने अच्छे हैं और खूबसूरत हैं?

सम्मी . : हाँ! हाँ! मेरे इस धोबिन को देखिए। यह कैसा है ?

हामिद : (उन्हें ललचाई आँखों से देखते हुए) ये सब मिट्टी के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जायेंगे।
(वहाँ से मिठाइयों की दुकानों के यहाँ जाते हैं।)

मोहसिन : (रेवडी खरीदता है) “अरे! हामिद यह रेवडी ले ले कितनी खुशबूदार है।”

हामिद : “रखे रहो।, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?”

सम्मी : अरे, उसके पास तो तीन ही पैसे हैं, तीन पैसे से क्या – क्या लेगा?
(लोहे की दुकान के पास हामिद चिमटा खरीदता है।)

दोस्तों ने एक साथ सब
मज़ाक करते हुए : यह चिमटा क्यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

ई) बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए।
(या)
“हामिद में बड़े – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह की भावनाएँ थीं” – ईदगाह कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी

हमारे मानव जीवन में बडे – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का बड़ा महत्व है। बडे – बुज़ुर्ग लोग हमारे जीवनदाता और हमारे सुखमय जीवन के मूल स्तंभ हैं। खासकर हमारी आमूल्य भारतीय संस्कृति हमें सुसंस्कार सिखाती है। बडे – बुज़ुर्ग लोग अनेक कष्ट – सुख झेलकर हमें सुख जीवन बिताने के योग्य बनाते हैं। वे बड़े अनुभवी और कर्तव्य परायण होते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण बडे बुजुर्गों का ख्याल रखना, आदर देते उनकी सेवा करना हमारा धर्म और कर्तव्य है। वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं।

वे बूढे होकर काम नहीं कर सकते हैं। ऐसी हालत में हमें आदर के साथ उनकी सहायता करनी चाहिए। उनकी हर आवश्यकता की पूर्ति अपना भाग्य और कर्तव्य समझना है। वे संतुष्ट होकर जो आशीश हमें देते हैं। वे बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होते हैं। उनके बताये अनुभव हमारे सुखमय जीवन के सोपान हैं। हमारे आदर और श्रद्धापूर्ण कार्यों से उनको नयी शक्ति मिलती है। वे कष्टदायी बुढापे को भी हँसते बिता सकते हैं। बड़ों का आदर करना हमारा कर्तव्य है। आज के बालक कल के नागरिक बनते हैं। उनमें भी बडे – बुज़ुर्गों के प्रति आदर – श्रद्धा ,स्नेह भावनाएँ जगानी चाहिए।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
ईद, प्रभात, वृक्ष (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
ईद – ईद मुसलमानों का एक त्यौहार है। |
प्रभात – आज का प्रभात सुहावना है।
वृक्ष – वृक्ष मानव का परम मित्र हैं।

पर्याय शब्द
ईद – रमज़ान, पर्व, ईद – उल – फ़ितर, त्यौहार
प्रभात – प्रातःकाल, सवेरा
वृक्ष – पेड, तरु, पादप

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
अपराधी, प्रसन्न (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
अपराधी x निरपराधी
प्रसन्न x अप्रसन्न

वाक्य प्रयोग अपराधी : अपराधी को ही दंड देना चाहिए। निरपराधी को दंड देना दंडनीति नहीं है।
प्रसन्न : वह हर दिन प्रसन्न रहता है लेकिन आज ही वह किसी कारण अप्रसन्न दिख रहा है।

प्रश्न 3.
मिठाई, चिमटा, सड़क (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
वचन
मिठाई – मिठाइयाँ
चिमटा – चिमटे
सड़क – सड़कें

वाक्य प्रयोग
मिठाई : मेरे दादाजी हर साल 15 अगस्त के दिन सबको मिठाइयाँ बाँटते हैं।
चिमटा : लोहे की दूकान में कई चिमटे हैं।
सड़क : भारत देश में तीन प्रकार की सड़कें हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
बेसमझ, सद्भाव, निडर (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
बेसमझ – बे ; सद्भाव – सत् । निडर – नि

प्रश्न 2.
दुकानदार, भड़कीला, ग़रीबी (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
दुकानदार – दार ; भड़कीला – ईला ; गरीबी – ई

प्रश्न 3.
मीठा, प्रसन्न, बूढ़ा (भाववाचक संज्ञा में बदलिए।)
उत्तर:
मीठा – मिठास ; प्रसन्न – प्रसन्नता; बूढा – बुढापा

इ) इन्हें समझिए और अभ्यास कीजिए।
प्रश्न 1.
हामिद के बाज़ार से आते ही अमीना ने उसे छाती से लगा लिया।
उत्तर:
यहाँ अपादान कारक “से” का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 2.
हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की।
उत्तर:
इस वाक्य में “कि’ का प्रयोग जोडनेवाले शब्द समुच्चयबोधक के रूप में हुआ। “की” का प्रयोग संबंध कारक और क्रिया रूप में हुआ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

ई) 1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके आधार पर दिये गये वाक्य बदलिए।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह 1 AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह 2

2. पाठ में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. आह भरना = कष्ट या दुख के कारण ठंडी साँस भरना।
ठंडी आह भरते हुए वह वहाँ से चला गया।

2. सिर झुकाना = नतमस्तक हो जाना।
बड़ों के सामने हमें विनय से सिर झुकाना चाहिए।

3. गले मिलना = प्यार से गले लिपटना/आलिंगन करना
राम ने लक्ष्मण को गले मिला लिया।

4. मज़ाक करना = उपहास करना, परिहास करना
हमें कभी किसी का मज़ाक करना नहीं चाहिए।

5. धावा बोलना = आक्रमण करना
सब बच्चे मिठाई दुकानों पर धावा बोल देते हैं।

6. मन ललचाना = इच्छा करना
मिठाइयों को देखकर बच्चों का मन ललचाना स्वाभाविक ही है।

7. दिल कचोटना = दिल में वेदना होना/दुःखित होना
बूढी दादी अमीना का दिल कचोट रहा है।

8. गदगद हो जाना = प्रसन्नता से फूले न समाना
बूढ़ी माँ को देखकर बेटे का मन गद्गद हो गया ।

9. दिल बैठ जाना निराश होना
कीमत जानकर उसका दिल बैठ गया।

10. भेंट होजाना = मर जाना
गाडी बहुत तेज़ चलाने से चालक की भेंट हुई।

11. छाले पड़ना . = धिक्कत होना (चलते समय)
चप्पल के बिना चलने से छाले पडती हैं।

12. माथे पर हाथ रखना = शोक करना
पिता की मृत्यु पर उसने माथे पर हाथ रखा।

13. पीली पडना – = बीमार पड़ना
हरी सब्ज़ी न खाने से पीले पडजाते हैं।

14. परलोक सिधारना मरजाना
बीमारी के कारण उसने परलोक सिंधारा|

परियोजना कार्य:

वरिष्ठ नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर – सम्मान की भावना से जुड़ी कोई कहानी ढूँढकर लाइए। कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
“पित्रु भक्त बालक’
श्रवण कुमार का नाम इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए अमर रहेगा। ये कहानी उस समय की है जब महाराज दशरथ अयोध्या पर राज किया करते था बहुत समय पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार नाम का एक बालक था। श्रवण के माता – पिता अंधे थे। श्रवण अपने माता – पिता को बहुत प्यार करता था। उसकी माँ ने बहुत कष्ट उठाकर श्रवण को पाला था। जैसे – जैसे श्रवण बड़ा होता गया, अपने माता – पिता के कामों में अधिक से अधिक मदद करता गया।

सुबह उठकर श्रवण माता – पिता के लिए नदी से पानी भरकर लाता। जंगल से लकड़ियाँ लाता। चूल्हा जलाकर खाना बनाता। माँ उसे मना करतीं।

“बेटा श्रवण, तू हमारे लिए इतनी मेहनत क्यों करता है? भोजन तो मैं बना सकती हूँ। इतना काम करके तू थक जाएगा।”

“नहीं माँ, तुम्हारे और पिताजी का काम करने में मुझे जरा भी थकान नहीं होती। मुझे आनंद मिलता है। तुम देख नहीं सकतीं।रोटी बनाते हुए, तुम्हारे हाथ जल जाएँगे।”

“हे भगवान! हमारे श्रवण जैसा बेटा हर माँ – बाप को मिले। उसे हमारा कितना खयाल है।” माता – पिता श्रवण को आशीर्वाद देते न थकते।

श्रवण के माता – पिता रोज भगवान की पूजा करते। श्रवण उनकी पूजा के लिए फूल लाता, बैठने के लिए आसन बिछाता। माता – पिता के साथ श्रवण भी पूजा करता।

माता – पिता की सेवा करता श्रवण बड़ा होता गया। घर के काम पूरे कर, श्रवण बाहर काम करने जाता। अब उसके माता – पिता को काम नहीं करना होता।

एक दिन श्रवण के माता – पिता ने कहा –
“बेटा, तुमने हमारी सारी इच्छाएँ पूरी की हैं। अब एक इच्छा बाकी रह गई है।”

“कौन – सी इच्छा माँ? क्या चाहते हैं पिताजी? आप आज्ञा दीजिए। प्राण रहते आपकी इच्छा पूरी करूँगा।”

“हमारी उमर हो गई अब हम भगवान के भजन के लिए तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं बेटा। शायद भगवान के चरणों में हमें शांति मिले।”

“श्रवण सोच में पड़ गया। उन दिनों आज की तरह बस या रेलगाड़ियाँ नहीं थी। वे लोग ज्यादा चल भी नहीं सकते थे। माता-पिता की इच्छा कैसे पूरी करूँ, यह बात सोचते-सोचते श्रवण को एक उपाय सूझ गया। श्रवण ने दो बड़ी – बड़ी टोकरियाँ लीं। उन्हें एक मज़बूत लाठी के दोनों सिरों पर रस्सी से बाँधकर लटका दिया। इस तरह एक बड़ा काँवर बन गया। फिर उसने माता – पिता को गोद में उठाकर एक – एक टोकरी में बिठा दिया। लाठी कंधे पर टाँगकर श्रवण माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने चल पड़ा।

श्रवण एक – एक कर उन्हें कई तीर्थ स्थानों पर ले जाता है। वे लोग गया, काशी, प्रयाग सब जगह गए। माता – पिता देख नहीं सकते थे इसलिए श्रवण उन्हें तीर्थ के बारे में सारी बातें सुनाता। माता – पिता बहुत प्रसन्न थे। एक दिन माँ ने कहा -“बेटा श्रवण, हम अंधों के लिए तुम आँखें बन गए हो। तुम्हारे मुँह से तीर्थ के बारे में सुनकर हमें लगता है, हमने अपनी आँखों से भगवान को देख लिया है।”

“हाँ बेटा, तुम्हारे जैसा बेटा पाकर, हमारा जीवन धन्य हुआ। हमारा बोझ उठाते तुम थक जाते हो, पर कभी उफ़ नहीं करते।” पिता ने भी श्रवण को आशीर्वाद दिया।

“ऐसा न कहें पिताजी, माता – पिता बच्चों पर कभी बोझ नहीं होते। यह तो मेरा कर्तव्य है। आप मेरी चिंता न करें।”

एक दोपहर श्रवण और उसके माता – पिता अयोध्या के पास एक जंगल में विश्राम कर रहे थे। माँ. को प्यास लगी। उन्होंने श्रवण से कहा – बेटा, क्या यहाँ आसपास पानी मिलेगा? धूप के कारण प्यास लग रही है।

“हाँ, माँ। पास ही नदी बह रही है। मैं जल लेकर आता हूँ।”

श्रवण कमंडल लेकर पानी लाने चला गया।
अयोध्या के राजा दशरथ को शिकार खेलने का शौक था। वे भी जंगल में शिकार खेलने आए हुए थे। श्रवण ने जल भरने के लिए कमंडल को पानी में डुबोया। बर्तन में पानी भरने की आवाज़ सुनकर राजा दशरथ को लगा कोई जानवर पानी पीने आया है। राजा दशरथ आवाज़ सुनकर, अचूक निशाना लगा सकते थे। आवाज के आधार पर उन्होंने तीर मारा। तीर सीधा श्रवण के सीने में जा लगा। श्रवण के मुँह से ‘आह’ निकल गई।

राजा जब शिकार को लेने पहुंचे तो उन्हें अपनी भूल मालूम हुई। अनजाने में उनसे इतना बड़ा अपराध हो गया। उन्होंने श्रवण से क्षमा माँगी।

“मुझे क्षमा करना ए भाई। अनजाने में अपराध कर बैठा। बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?” “राजन, जंगल में मेरे माता – पिता प्यासे बैठे हैं। आप जल ले जाकर उनकी प्यास बुझा दीजिए। मेरे विषय में उन्हें कुछ न बताइएगा। यही मेरी विनती है।” इतना कहते – कहते श्रवण ने प्राण त्याग दिए।

दुखी हृदय से राजा दशरथ, जल लेकर श्रवण के माता – पिता के पास पहुँचे। श्रवण के माता – पिता अपने पुत्र के पैरों की आहट अच्छी तरह पहचानते थे। राजा के पैरों की आहट सुन वे चौंक गए।

“कौन है? हमारा बेटा श्रवण कहाँ है?” बिना उत्तर दिए राजा ने जल से भरा कमंडल आगे कर, उन्हें पानी पिलाना चाहा, पर श्रवण की माँ चीख पड़ी-

“तुम बोलते क्यों नहीं, बताओ हमारा बेटा कहाँ है?”
“माँ, अनजाने में मेरा चलाया बाण श्रवण के सीने में लग गया। उसने मुझे आपको पानी पिलाने भेजा है। मुझे क्षमा कर दीजिए।” राजा का गला भर आया।

“हाँ श्रवण, हाय मेरा बेटा” माँ चीत्कार कर उठी। बेटे का नाम रो – रोकर लेते हुए, दोनों ने प्राण त्याग दिए। पानी को उन्होंने हाथ भी नहीं लगाया। प्यासे ही उन्होंने इस संसार से विदा ले ली। सचमुच श्रवण कुमार की माता – पिता के प्रति भक्ति अनुपम थी। जो पुत्र माता-पिता की सच्चे मन से सेवा करते हैं, उन्हें श्रवण कुमार कहकर पुकारा जाता है। सच है, माता – पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।

कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढे माँ-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

ईदगाह Summary in English

It was the day of ‘Eid festival, after the completion of Ramzan month. That day was pleasant and wonderful with enchanting nature. In that village the arrangements to go to Idgah were being made with much enthusiasm and fervour. The atmosphere of the village is luminous with religious righteousness.

The children were happier than others. They wanted to enjoy the celebration themselves. Of them, Mahmood had got 12 paise with him and Mohasin had got 15 paise with him. The children wanted to buy toys, eatables etc., with the money they had. A boy named Haamid seemed very happy on that day. He was a poor and innocent boy. He was a thin, five – year old boy. His father died of cholera whereas his mother died while absconding for some reason. Haamid was living with his grandmother Ameena. He would think that his father had gone for earning money and his mother had gone to bring some good things from Allahmiya. So he was very happy. He had no sandals for his feet. He wore an old and dirty cap. Yet, he was happy.

On that day, his grandmother Ameena who was left destitute sat in her small room and was weeping. There were no food grains to cook. She felt sorry for her grandson Haamid. Every child in the village was taking part in the celebrations along with his father. She too wanted to take Haamid to see the celebrations but she stayed at home thinking who would cook Semiya if she didn’t stay at home.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

The procession started from the village towards the idgah. Haamid convinced his grandmother and went along with other children. The crowds, clad in new clothes, reached the place where the ‘Eid’ celebration was to be held. No sooner did they finish Namaz, than they ran towards toyshops. Mohasin, Mahamood, Noore and Sammee bought toys they liked. But Haamid was observing the toys with desirous looks. He had got only 3 paise with him. Later, the children bought eatables for them. They asked Haamid if he had got any money with him and made fun of him. Haamid kept quiet.

Passing by the utensil shops, Haamid wanted to buy a spatula for his grandmother with the intention that her fingers wouldn’t burn while taking rotis from the pan. He asked the shopkeeper what its price was. The shopkeeper said that its price was 6 paise, Haamid got disappointed. Yes, he bargained with the shopkeeper over the price of it and bought it with 3 paise that he had got with him. He felt proud of buying the spatula and came to his friends keeping it on his shoulders like a gun. On seeing this his friends laughed at him.

When Haamid reached home, Ameena fondled him with affection. She was startled on seeing a spatula in this hand. She asked him why he had bought it without drinking or eating with the money he had. He said that he had bought it for her sake because she was burning her fingers while taking rotis from the pan. Her anger disappeared and she felt very happy that her grandson showed a great concern for her safety. She shed tears for the sacrifice he had done even at a tender age.

ईदगाह Summary in Telugu

రంజాన్ పూర్తి నెల రోజుల తర్వాత ఈ రోజే ఈద్ పండుగ వచ్చింది. ఎంత మనోహరం, ఎంత ఆహ్లాదకరమైన ప్రభాతం (ఉదయం). చెట్లపై అద్భుతమైన పచ్చదనం ఉన్నది. పంట పొలాలలో అద్భుతమైన కాంతి ఉన్నది. ఆకాశంలో అద్భుతమైన ఎర్రదనం ఉంది. ఈ రోజు సూర్యుణ్ణి చూడండి, ఎంత అందంగా, ఎంత చల్లగా ఉన్నాడో. ప్రపంచానికి ఈద్ శుభాకాంక్షలు తెలియజేయుచున్నట్లున్నాడు. ఈద్ గాహ్ కు వెళ్ళడానికి ఏర్పాట్లు జరుగుచున్నవి.

పిల్లలు అందరికంటే సంతోషంగా ఉన్నారు. మాటమాటకి జేబుల్లోని ఖజానా తీసి లెక్కలేసుకుంటున్నారు. మహమూద్ లెక్క వేసుకుంటున్నాడు – ఒకటి – రెండు – పది – పన్నెండు. అతని వద్ద 12 పైసలు కలవు. మొహసిన్ వద్ద 15 పైసలు కలవు. దీంతో లెక్కలేనన్ని వస్తువులు తెస్తా – బొమ్మలు, మిఠాయిలు, ఈలలు, బంతి మరియు లెక్కలేనన్ని. వీరందరికంటే హామిద్ చాలా సంతోషంగా ఉన్నాడు. అతడు అమాయక ముఖం కల 4 – 5 సం||ల బక్కపలుచని బాలుడు. తన తండ్రి గత సం||రం కలరా వల్ల చనిపోయెను. తల్లి కారణం తెలియకుండా ఎందుకో పాలిపోతూ ఒక రోజు చనిపోయింది. చివరికి ఇలా ఎందుకు జరిగిందో ఎవరికీ తెలియదు. ఆమె కూడా పరలోక ప్రాప్తి చెందినది.

ఇప్పుడు హామిద్ తన పేద అమీనా నానమ్మ ఒళ్ళో నిద్రపోతూ అంతే సంతోషంగా ఉన్నాడు. తన అబ్బాజాన్ డబ్బు సంపాదించడానికి వెళ్ళాడు. అమ్మీజాన్ అల్లామియా ఇంటి నుండి అతనికి చాలా మంచి మంచి వస్తువులను తేవడానికి వెళ్ళింది. అందుకే హామిద్ చాలా సంతోషంగా ఉన్నాడు. హామిద్ కాళ్ళకు చెప్పులు లేవు. తలపై ఒకపాత టోపి ఉంది. అది కూడా నల్లగా మాసిపోయి ఉంది. అయినప్పటికీ అతడు సంతోషంగా ఉన్నాడు.

అభాగ్యురాలైన (నిర్భాగ్యురాలు) అమీనా తన చిన్న గదిలో కూర్చుని ఏడుస్తూ ఉంది. ఈ రోజే ఈద్ పండుగ రోజు. తన ఇంటిలో తిండి గింజలు కూడా లేవు. కానీ హామిద్ ! అతని లోపల ప్రకాశం ఉంది. బయట ఆశాకిరణం ఉంది. హామిద్ లోపలికి వెళ్ళి నానమ్మతో ఈ విధంగా అంటున్నాడు నీవేమి భయపడవద్దమ్మా ! నేను అందరి కంటే ముందలే వస్తా. ఏమీ భయపడవద్దు”.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

అమీనా హృదయం చివుక్కుమంటోంది. గ్రామంలోని పిల్లలు తమ తండ్రులతో వెళ్ళుతున్నారు. హామిద్ కి అమీనా తప్ప ఎవరున్నారు ? గుంపులో నుండి పిల్లవాడు ఎక్కడన్నా తప్పిపోతే ఏమవుతుంది? మూడు కోసుల దూరం ఎలా నడుస్తాడు ? పాదాలకు బొబ్బలెక్కుతాయి. చెప్పులు (బూట్లు) కూడా లేవాయె. పోనీ నేను కొంచెం దూరం వెళ్ళి, కొంచెం దూరం ఎత్తుకుని నడిస్తే బాగానే ఉంటుంది. కానీ ఇక్కడ సేమియా వండేది ఎవరు ? డబ్బులుంటే తిరిగి వచ్చేటప్పుడు అన్ని సరుకులు తీసుకువచ్చి, తయారుచేయవచ్చు.

గ్రామం నుండి తిరునాల (ఉత్సవం, ఊరేగింపు) బయలుదేరింది. పిల్లలతో హామిద్ వెళ్ళుచున్నాడు. పట్టణానికి చెందిన పర్వత శిఖర దిగువభాగం వచ్చింది. రోడ్డుకిరువైపులా ధనవంతుల తోటలున్నాయి. పెద్ద – పెద్ద ఇళ్ళు (కట్టడాలు), కోర్టులు, కాలేజీ, క్లబ్బు, ఇళ్ళు మొదలగునవన్నీ కనబడుతున్నవి. ఈ గాహ్ కు వెళ్ళే గుంపులు కన్పిస్తున్నాయి. ఒకరిని మించి మరొకరు విలువైన (ఖరీదైన) వస్త్రాలను ధరించియున్నారు. ఒక్కసారిగా ఈద్ గాప్ కన్పించింది. అక్కడే ఈద్ తిరునాల (ఉత్సవం) కన్పించింది. నమాజు పూర్తి కాగానే పిల్లలందరూ మిఠాయిలు ఆటబొమ్మల దుకాణాలపై విరుచుకుపడ్డారు. హామిద్ దూరంగా నిలబడి ఉన్నాడు. అతని వద్ద కేవలం మూడు పైసలు మాత్రమే ఉన్నాయి.

మొహసిన్ నీళ్ళు మోసే అమ్మాయి బొమ్మ కొంటాడు, మహమూద్ సిపాయి బొమ్మ కొంటాడు, నూరే లాయర్ బొమ్మను, సమ్మీ “చాకలి” (బట్టలు ఉతికే మనిషి) బొమ్మను కొంటారు. హామిద్ ఆశాపూర్వక దృష్టితో ఆ బొమ్మలను చూస్తాడు. అతడు తన్ను తానే ఈ విధంగా నచ్చచెప్పుకుంటున్నాడు. “అవన్నీ మట్టి బొమ్మలేగా. క్రిందపడితే పగిలిపోతవి” తర్వాత మిఠాయి దుకాణాలు వస్తాయి. ఒకరు మిఠాయి ఒకరు సోహన్ హల్వా, ఒకరు గులాబ్ జామున్, మరొకరు నువ్వుల జీడి కొన్నారు. మొహసిన్ ఒరే హామిద్ నువ్వుల జీడీలు తీసుకోరా ఎంత సువాసనగా ఉన్నాయో అని అన్నాడు. అప్పుడు హామిద్ ఉంటే ఉండనీయి. నా దగ్గర డబ్బులు లేవా ఏంటి ? అని అన్నాడు. అప్పుడు సమ్మీ ‘అబ్బో నీ దగ్గర మూడు పైసలేగా ఉన్నాయి. “మూడు పైసలతో ఏమేమి కొంటావ్?” అని ప్రశ్నించాడు. హామిద్ మౌనంగా ఉండిపోయాడు.

మిఠాయిల తర్వాత లోహపు పాత్రలు అమ్మే దుకాణాలు వస్తాయి. అక్కడ ఎన్నో అట్లకాడలు ఉన్నాయి. వాటిని చూడగానే “నానమ్మ దగ్గర అట్లకాడ లేదు. రొట్టెలు కాల్చేటప్పుడు చేతివేళ్ళు కాలుతున్నాయి. అనే విషయం హామిదకు గుర్తుకు వస్తుంది. ఒకవేళ అట్లకాడ కొని తీసుకువెళ్ళి నానమ్మకు ఇస్తే ఎంత సంతోషిస్తుంది ? మరల తన వేళ్ళు ఎప్పటికీ కాలవు కదా! నానమ్మ ఈ అట్లకాడ చూడగానే పరుగున వచ్చి నా దగ్గర నుండి లాక్కుని “నా కొడుకు నా కోసం అట్లకాడ తెచ్చాడు అని అంటుంది. దాన్ని ఇరుగు – పొరుగు ఆడవాళ్ళకు చూపుతుంది. వేలకొలది దీవెనలిస్తుంది. గ్రామం అంతా ఈ విషయం పై చర్చ జరుగుతుంది. హామిద్ అట్లకాడ తెచ్చాడు. ఎంత మంచి పిల్లవాడు. పెద్దల దీవెనలు సరిగ్గా అల్లా కోర్టుకి చేరతాయి. వెంటనే దేవుడు వింటాడు.’ అని అనుకుంటాడు. హామిద్ దుకాణదారుణ్ణి అట్లకాడ వెల ఎంత అని అడుగుతాడు దాని ధర “6” (ఆరు) పైసలు అని విన్న హామిదకు గుండె జారిపోతుంది.
కోరులు ప్వత శిఖర దిగువభారం ఉత్సవం, ఊరేగింపు

గుండె ధైర్యం తెచ్చుకుని హామిద్ “3” పైసలకిస్తావా? అని అడుగుతాడు. దుకాణదారుడు అలానే ఇస్తాడు. హామిద్ దానిని తుపాకీలా భుజంపై పెట్టుకుని గర్వంతో తన స్నేహితుల దగ్గరకు వస్తాడు. అప్పుడు స్నేహితులంతా ఎగతాళిగా “ఈ అట్లకాడ ఎందుకు తెచ్చేవురా, పిచ్చివాడా, దీన్ని ఏం చేసుకుంటావ్?” అని అంటారు, ఎగతాళి (హేళన) చేస్తారు.
ఇంటికి రాగానే అమీనా, హామిద్ మాట విని పరుగెత్తుకుంటూ వచ్చి ఒడిలోకి తీసుకుంటుంది. ప్రేమతో, ఒక్కసారిగా అతని చేతిలోని అట్లకాడ చూసి ఉలిక్కిపడుతుంది. ‘ఈ అట్లకాడ ఎక్కడిది? “తిరునాలలో కొన్నానమ్మా’ – ఎన్ని పైసలకు? మూడు పైసలకు.
అమీనా తన తలపై చేయి పెట్టుకుని బాధతో ఈ తెలివి తక్కువ పిల్లగాడెక్కడోడమ్మా? మధ్యాహ్నమైంది. ఏమీ తినలేదు. త్రాగలేదు. అట్లకాడ తెచ్చాడట. తిరునాల్లో ఇంకా నీకు ఏమి కన్పించలేదటగా, ఈ ఇనుప అట్లకాడ తెచ్చావు? అని అంది. అప్పుడు అపరాధభావంతో హామిద్ “అమ్మా పెనం మీద నుండి రొట్టెలు తీసేటప్పుడు నీ వేళ్ళు కాలుతూ ఉంటే చూడలేకపోతున్నానమ్మా! అందుకే తెచ్చాను’ అని చెప్పెను.
అమీనా కోపం వెంటనే స్నేహంగా మారిపోయింది. అది మూగస్నేహం. పిల్లల్లో ఎంత త్యాగం, ఎంత సద్భావన, ఎంత వివేకం ఉంటుంది. ఇతరులు ఆటబొమ్మలు కొనడం, మిఠాయిలు తినడం చూసి తన మనస్సు ఎంత ఆశకు గురి అయి ఉంటుంది ? అప్పుడు కూడా ఈ ముసలి నానమ్మ గుర్తుకు వచ్చింది. అమీనా మనస్సు గద్గదమై పోయినది. చేతులు జోడించి హామీద ను ఆశీర్వదిస్తూ కళ్ళవెంబడి పెద్ద పెద్ద కన్నీటి బిందువులను రాలుస్తుంది. హామిదకు దీని రహస్యం ఏమి అర్థమవుతుంది?

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
मेले में हामिद द्वारा खरीदे गये चिमटे को देखकर अमीना ने क्या कहा?
उत्तर:
मेले में हामिद द्वारा खरीदे गये चिमटे को देखकर अमीना ने कहा “यह कैसा बेसमझ लडका है कि दोपहर हुई, कुछ खाया न पिया । लाया, क्या, चिमटा ! सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया।”

प्रश्न 2.
लेखक ‘प्रेमचंद’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लेखक प्रेमचंद का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी में हुआ। गरीब परिवार के प्रेमचंद ने कई कष्टों को झेलते अपना विद्याध्ययन पूरा किया। हिंदी में आपने लगभग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियाँ प्रभावशाली और रोचक हैं। उनमें पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि प्रमुख हैं। अपने उपन्यासों में आपने सामाजिक कुरीतियों का खंडन किया। हिंदी साहित्य में आप उपन्यास सम्राट के नाम से मशहूर हुए हैं।

प्रश्न 3.
त्यौहार के दिन बच्चे अधिक खुश होते हैं। क्यों?
उत्तर:
त्यौहारों के समय बच्चे निम्नलिखित कारणों से अधिक खुश होते हैं –

  • बच्चों के माँ – बाप उनके लिए नये – नये कपडे लेते हैं।
  • घरों में अच्छे – अच्छे पकवान बनाते हैं। मित्र, बंधु – बांधव आदि से घर भर जाते हैं।
  • त्यौहारों के समय मेले – उत्सव आदि मनाये जाते हैं। इनमें भाग लेने के लिए बच्चे बहुत उत्सुक रहते हैं।

प्रश्न 4.
अमीना, हामिद का पालन – पोषण कैसे करती होगी?
उत्तर:
यह प्रश्न ईदगाह नामक कहानी पाठ से दिया गाय है। इसके लेखक मुंशी प्रेमचंद है। अमीना, हामिद को अपनी गोदी में सुलाती है। वह हामिद को बहुत प्रेम से देखा करती थी। वह अपनी असहायता से चिंतित थी। भीड़ में हामिद को अकेले भेजने पर डरती थी। घर में दाना तक न होने पर भी, हामिद को मेले में खरीदने के लिए तीन पैसे दिये। उसे अपने से भी.ज्यादा हामिद पर प्रेम था। वही उसके लिए माँ – बाप बन चुकी थी।

प्रश्न 5.
हामिद का चिमटा खरीदना कहाँ तक उचित है? – अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हामिद का चिमटा खरीदना उचित है। क्योंकि उसकी दादी बूढ़ी हो गयी है। तवे से रोटियाँ उतारते समय उसकी उँगलियाँ जल जाती थीं। इससे दादी को बहुत पीड़ा होती थी। उन्हें इस पीड़ा से बचाने के लिए ही हामिद ने चिमटा खरीदा।

प्रश्न 6.
ईद के दिन हामिद बहुत खुश था। क्यों?
उत्तर:
हामिद भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। उसके माँ – बाप बीमारी के कारण चल बसे थे। वह अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लालन – पालन में था। उससे कहा गया था कि उसके बाप’ रूपये कमाने गये हैं और माँ अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज है और प्यारी होती है। हामिद अपने मित्रों के साथ ईदगाह जाना चाहता था। इसलिए ईद के दिन हामिद बहुत खुश था।

प्रश्न 7.
प्रेमचंद के जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
प्रेमचंद का जन्म काशी में 31 जुलाई, 1880 को एक गरीब परिवार में हुआ। इनके बचपन का नाम धनपतराय श्रीवास्तव था। उन्हें उपन्यास सम्राट और कहानी सम्राट भी कहते हैं। गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्म भूमि, कायकल्प, प्रतिज्ञा और मंगल सूत्र आदि उपन्यास हैं। । पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि कहानियाँ हैं।

प्रश्न 8.
मेले में तरह – तरह की चीज़ों को देखकर भी हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर:
मेले में तरह – तरह की चीज़ों को देखकर भी हामिद ने चिमटा ही खरीद लिया । क्योंकि उन्हें अपनी दादी अमीना का ख्याल आता है कि जब वह रोटियाँ तवे पर से उतारती तब उसकी उंगलियाँ जल जाने लगीं। उसे देखकर वह नहीं रह और सह सका । उसका दिल कोमल है।

प्रश्न 9.
ईद के मेले में कौन – कौन सी चीजें बालकों के मन को छूगयी?
उत्तर:
ईद के मेले में भिश्ती, सिपाही वकील, धोबिन आदि खिलौने जो मिट्टी से बने हैं और लोहे से बने हैं वे बालकों के मन को छू गयी। उसी प्रकार खाने की चीज़ रेवडियाँ गुलाबजामुन, सोहन हलवा आदि छूगयी।

प्रश्न 10.
हामिद के स्थान पर दादी होती तो क्या खरीदती?
उत्तर:
हामिद के स्थान पर दादी होती तो हामिद के लिए जूते खरीदती । क्योंकि हामिद के पैरों में जूते नहीं हैं। जब वह बाहर चलता है तो उसके पैरों में चप्पल न होने के कारण पैरों में छाले पडते हैं ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 11.
हामिद के पास और ज्यादा पैसे होते तो क्या – क्या खरीदता?
उत्तर:
हामिद के पास और ज्यादा पैसे होते तो वह अपने लिए खिलौने, खाने के लिए मिठाइयाँ आदि अन्य लडकों की तरह खरीदता | इतना ही नहीं कि सिर पर पहनने सफ़ेद टोपी, पैरों के लिए जूते आदि भी खरीदता।

प्रश्न 12.
हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी ने क्या कहा?
उत्तर:
हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लिए मेले में तीन पैसों से चिमटा खरीद लाया । हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी ने पूछा कि यह चिमटा कहाँ से लाये हो? बालक हामिद ने जवाब दिया कि मैं इसे मोल कर लाया हूँ अम्मा । तब उसे दुख हुआ कि कुछ खाये न पिये हामिद दोपहर तक खाली पेट रहकर अपने लिए चिमटा लाया । अमीना का मन गदगद् हो गया और उसे दुआएँ दी।

प्रश्न 13.
चिमटे का दाम सुनकर हामिद का दिल क्यों बैठ गया?
उत्तर:
मेले में हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लिए लोहे की चीजों की दुकान में चिमटा खरीदना चाहा । उस के पास केवल तीन ही पैसे थे । दुकानदार से चिमटे का दाम पूछने पर उसने बताया कि चिमटे का दाम ‘छः पैसे हैं । इसलिए कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया ।

प्रश्न 14.
हामिद के स्थान पर आप होते तो दादी से कैसा व्यवहार करते?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे है। बूढ़ी दादी अमीना ही उसकी देखभाल करने लगी है। हामिद बडों के प्रति आदर भाव रखनेवाला अच्छा लडका है। अपनी दादी के प्रति वह बडी श्रद्धा दिखाता है। ऐसे हामिद के स्थान पर मैं होता तो दादी से नम्र व्यवहार करता। उस की हर बात मान लेता। उसके कहे अनुसार चलने की कोशिश करता। उसे किसी प्रकार का कष्ट न पहुँचाने का प्रयत्न करके | उसे खुश और सुंतष्ट रखता।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हामिद के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका हैं।
  • उसके माँ – बाप दोनों मर जाते हैं।
  • वह अपनी दादी अमीना का गोद में बढ़ता है।
  • उस में त्याग, सेवा, निस्वार्थ, बड़े बुजुर्गों के प्रति आदर भाव, स्नेह भाव, श्रद्धा भाव आदि भरपूर हैं।
  • वह अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लिए एक चिमटा खरीदता है।
  • उस में सद्भाव और विवेक भी है।

प्रश्न 2.
हामिद के ईदगाह जाने के विषय को लेकर अमीना क्यों परेशान थी?
उत्तर:

  • हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था।
  • हामिद के माँ – बाप मर गये थे। * वह गरीब लडका था।
  • वह बेसमझ लडका था। उसके सिर पर पुरानी फटी टोपी थी।
  • उसके पाँवों में जूते भी नहीं थे। मेला जाने तीन कोस पैदल चलना था।
  • उसके पैरों में छाले पड़ जायेंगे। गाँव के बच्चे अपने पिता के साथ जा रहे हैं।
  • हामिद का अमीना के सिवा कौन है? * भीड़ में बच्चा कहीं खोगया तो क्या होगा?
  • उपर्युक्त इन सारे अंशों के कारण अमीना परेशान थी ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 3.
अमीना का मन क्यों गद्गद् हो गया?
उत्तर:

  • हामिद बूढ़ी दादी अमीना के लिए मेले में तीन पैसों से चिमटा खरीदकर लाता है।
  • उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । उनके सारे दोस्त तरह – तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं।
  • हामिद अपनी दीदी अमीना रोटियाँ तवे से उतारते वक्त जलती उंगलियों को याद करके उसके लिए
  • चिमटा खरीदकर ले जाता है । * वह दुपहर तक खाली पेट रहता है । वह कुछ खाता – पीता तक नहीं ।
  • इसलिए अपने प्रति हामिद का प्यार, श्रद्धा, प्रेम और निस्वार्थ भावना को देखकर बूढी दादी अमीना का मन गद्गद् हो गया ।

प्रश्न 4.
मेले में कौन – कौन सी चीजें बिकती हैं?
उत्तर:

  • मेले में तरह – तरह की चीजें बिकती हैं।
  • मेले में खेलने खिलौने बिकती हैं । मिट्टी के खिलौने, लकडी के खिलौने, लोहे के खिलौने आदि कई प्रकार के खिलौने बिकती हैं।
  • इनके अलावा खाद्य पदार्थ जैसे रेवडियाँ, हलवा, तरह – तरह की मिठाइयाँ, गुलाबजामून आदि भी बिकती हैं।
  • मेले में इनके अलावा लोहे के सामान बेचनेवाले दूकान भी हैं जहाँ लोहे के सामान बिकते हैं ।
  • इनके अलावा बच्चों के लिए ‘हिमक्रीम’ (आईसक्रीम) भी बिकती है |

प्रश्न 5.
हामिद की निस्वार्थ भावना को कहानी के आधार पर बताइए ।
उत्तर:

  • हामिद भोला – भाला चार – पाँच साल का दुबला बालक है।
  • उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना है ।
  • बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, निस्वार्थ भावना, सेवा की प्रेरणा आदि हम हामिद में देख सकते हैं ।
  • हामिद में बड़ों के प्रति प्रेम तथा श्रद्धा के साथ – साथ नम्र भाव भी हैं ।
  • मेले में जब सारे दोस्त तरह – तरह के खिलौने खरीदते हैं और तरह – तरह की मिठाइयाँ खरीदकर खाते हैं तब हामिद उन्हें देखते भी ललचाता नहीं बल्कि अपने पास के तीन पैसों से बूढी दादी अमीना के लिए चिमटा खरीदकर ले जाता है ।
  • उसे ख्याल आता है कि उसकी बूढ़ी दादी अमीना जब तवे पर से रोटियाँ उतारती तब उसकी उंगलियाँ जल जाती है । इसे देख वह नहीं रह सकता और सह सकता ।
  • इससे हमें मालूम होता है कि हामिद में निस्वार्थ भावना है ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“नैतिक मूल्य भारतीय जीवन के प्रतिबिंब है।” ईदगाह कहानी के द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • भारतीय जीवन में नैतिक मूल्यों की महत्त्व है।
  • ईदगाह एक कहानी है। उसके लेखक प्रेमचंद है।
  • इस कहानी में एक छोटे से बालक हामिद के बारे में मार्मिक चित्रण है।
  • ईद के दिन हामिद ईदगाह जाता है।
  • दादी अमीना हामिद को तीन पैसे देती है।
  • हामिद मेले में मोल – तोल कर चिमटा खरीदता है।
  • हामिद को दादी की याद आती है।
  • दादी की उँगलियाँ जल जाती हैं तो वह देख नहीं पाता। – सहानुभूति, करुणा, त्याग आदि भावों से उसका दिल भरा हुआ है।
  • पोते के संस्कारों को देखकर दादी पुलकित हो जाती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
‘ईदगाह’ कहानी नैतिक मूल्यों का प्रतिबिंब है। सिद्ध कीजिए।
(या)
ईदगाह के मेले को दृष्टि में रखकर बताइए कि हामिद अपने साथियों से किस तरह अलग स्वभाव का लड़का है?
उत्तर:
उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी की सफल एवं असरदार कहानी है ईदगाह। यह आदर्शयुक्त, यथार्थवादी भावनाओं से भरपूर है। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास करना इस कहानी का खास आशय है। बडे बुजुर्गों के प्रति आदर भाव रखने पर जोर दिया गया है।

हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला – भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं। अपनी बूढी दादी अमीना की देखभाल वह करने लगा है। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।

आज ईद का दिन है। सारा वातावरण सुंदर और सुखदायी है। महमूद, मोहसिन ,नूरे, सम्मी हामिद के दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। हामिद भी ईद की खुशियाँ मना रहा है। हामिद भी ईदगाह जाना चाहता है तो अमीना उसे अकेले भेजने डरने लगती है। इस पर हामिद उसे जल्दी आने की बात कहकर उसे धीरज बँधाता है। तब अमीना उसे तीन पैसे देकर ईदगाह भेजने राजी होती है।

सब लडके तीन कोस की दूरी पर स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो मिठाइयों को ललचाई आँखों से देखता है, मगर चुप रह जाता है। बाद लोहे की दूकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं। चिमटे को देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। क्योंकि दादी के पास चिमटा नहीं है इसलिए रोज़ तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। वह सोचता है कि चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसके हाथ भी नहीं जलेंगे।

ऐसा सोचकर वह दुकानदार को तीन पैसे देकर चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मजाक उडाते हैं। इसकी परवाह न करके वह गर्व के साथ घर आकर दादी को चिमटा देता है तो पहले दादी नाराज़ होती है मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ जलती थी न इसलिए मैं इसे लिया लाया कहने पर उसका क्रोध प्रेम में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और वियेकगुण से उसका मन गदगद होता है। खुशी के आँसू बहाती हामिद को दुआएँ देती हैं।

इस तरह ईदगाह के मेले की इस घटना दृष्टि में रखकर हम कह सकते हैं कि हामिद छोटा है फिर भी विवेक में, प्रेम में अपने साथियों से अलग स्वभाव का लडका है।

प्रश्न 3.
निर्धन लोग ईद – त्यौहार कैसे मनाते हैं? ‘ईदगाह’ कहानी को दृष्टि में रखकर उत्तर दीजिये।
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार श्री प्रेमचंद है। इनका जन्म सन् 1880 में हुआ। इन्होंने एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की।

त्यौहार मानव जीवन में खुशी और सजगता लाते हैं। खुशियाँ बाँटने में धनी और निर्धन का भेद – भाव नहीं। लेकिन अपने – अपने स्थाई के अनुसार वे त्यौहार मनाते हैं।

ईद का मूलमंत्र यह है कि ईद केवल खुशी मनाने का नहीं बल्कि खुशियाँ बाँटने और लोगों को खुशी में शामिल करने का दिन है। खुशी में पूरे समाज विशेष रूप से उन लोगों को शामिल किया जाना ” चाहिए। जो इसे खुशी के रूप में मनाने में असमर्थ होते हैं। इसलिए ईदगाह कहानी में हामिद निर्धन होने पर भी अधिक प्रसन्न था।

ईद का त्यौहार माने नये कपडे पहनकर खुशबू लगाकर ईदगाह के लिए घर से निकलना, नमाज़ के बाद एक-दूसरे से गले मिलना, ईद की मुबारक बात देना, अपने परिवार और मित्रों के साथ सैर – सपाटे पर निकल जाना ईद के दिन की यह परंपरा वर्षा से नहीं। सदियों से चला आ रहा है। कहानी में भी हामिद नमाज़ के बाद अपने मित्रों से गले मिलकर, सैर – सपाटे पर निकले तो उसके मित्र तरह – तरह के खिलौने खरीदते हैं।

यह त्यौहार भाईचारे का प्रतीक है। सभी इस दिन गले मिलते हैं। शतृता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस दिन न कोई छोटा होता है न बडा, न कोई धनी होता है। और न निर्धन। इस दिन बच्चे अपने निर्धनता पर ख्याल नहीं रखते । लेकिन हामिद जैसे कुछ बच्चे अपने निर्धनता को ख्याल में रखकर खेल – तमाशों तथा झूले का आनंद लेना, खिलौने खरीदना और भांति – भांति की मिठाइयों का आनंद लेते हैं। नये वस्त्र सिलवाते हैं।

ईद भ्रातृभाव का त्यौहार है। ईद-उल-फ़ितर के दौरान नमाज़ पढ़ने के बाद मीठी सेवाइयाँ खाई जाती हैं। इसलिए हामिद की दादी घर में कुछ पकाने का सामान न होने से सेवाइयाँ लाने के बारे में सोचती है।

ईद के दिन हर मुसलमान ईदगाह जाने के पहले “फ़ित्रा “के रूप में एक निश्चित राशी अल्लाह के राह में खर्च करता है ताकि निर्धन व असहाय लोग भी ईद के खुशियों में शामिल हो सकें।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 4.
अपने मित्रों द्वारा तरह- तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदे जाने पर भी हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर:
अपने मित्रों द्वारा तरह – तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदे जाने पर भी हामिद ने चिमटा ही खरीदता है – क्योंकि हामिद की दादी के पास चिमटा नहीं है। जब तवे से रोटियाँ उतार थी तो हाथ जल जाते थे। अगर वह चिमटा खरीदकर दादी के लिए ले जाता, तो वह बहुत प्रसन्न होगी। उनकी उँगलियाँ .. भी नहीं जलेंगी। उसकी प्रशंसा करके उसे दुआएँ देगी। ऐसा सोचकर वह चिमटा खरीदा। हामिद के. अंदर त्याग, सद्भाव और विवेक, प्रेम जैसे गुण विद्यामान थे। बड़ों के प्रति आदर भाव भी था। इसिलिए । वह अपने साथियों को खिलौने खरीदते या मिटाइयाँ खरीदते देखकर भी उसका मन नहीं ललचाया है। बल्कि बह तीन पैसों से चिमटा खरीदता है, उसमें निस्वार्थ भाव था। इसिलिए वह चिमटा ही खरीदा।

प्रश्न 5.
दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को दर्शानेवाली कहानी के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या) अपनी
पाठ्यपुस्तक में से मानवीय मूल्यों को प्रतिबिंबित कहानी के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है । ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं । लडके सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं । हामिद भी ज़्यादा प्रसन्न है । वह भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका है । उसके माँ – बाप दोनों चल बसे ।

हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लालन – पोषण में रहता है । ईद का दिन होने के नाते हामिद आज बहुत प्रसन्न है । आज वह मेले के साथ ईदगाह जाना चाहता है । उसके पैरों में जूते तक नहीं । तीन कोस पैदल ही चलना पडता है । इसलिए दादी अमीना को बडा दुख हुआ ।

हामिद कैसा ठहर सकता है । वह ईदगाह की ओर चल पडा । उसके जेब में केवल तीन पैसे हैं । नमाज़ खत्म हो गयी । लोग आपस में गले मिल रहे हैं। सब मिठाई और खिलौनों के दूकानों पर धावा करने लगे।

हामिद के दोस्त मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते उसे ललचाने पर भी वह चुप रह गया । उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । वह लोहे की चीज़ों के दुकान के पास ठहर जाता है । उसे ख्याल आता है कि दादी के पास चिमटा नहीं है । तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं |

अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे-तो वह कितनी प्रसन्न होगी ? यह सोचकर हामिद तीन पैसों से चिमटा खरीदकर दादी को देने तैयार होता है । हामिद के दोस्तों ने उसका मज़ाक किया ।

अमीना चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है । वह प्रेम से गदगद हो जाती है । वह हामिद को दुआएँ देती है।

प्रश्न 6.
चिमटे के द्वारा प्रेमचंद ने दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को किस प्रकार दर्शाया?
उत्तर:
चिमटे के द्वारा प्रेमचंद ने दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को इस प्रकार दर्शाया :
रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है | ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं । लडके सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं । हामिद भी ज़्यादा प्रसन्न है । वह भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका है । उसके माँ – बाप दोनों चल बसे ।

हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लालन – पोषण में रहता है । ईद का दिन होने के नाते हामिद आज बहुत प्रसन्न है । आज वह मेले के साथ ईदगाह जाना चाहता है । उसके पैरों में जूते तक नहीं । तीन कोस पैदल ही चलना पडता है । इसलिए दादी अमीना को बडा दुख हुआ ।

हामिद कैसा ठहर सकता है । वह ईदगाह की ओर चल पडा | उसके जेब में केवल तीन पैसे हैं । नमाज़ खत्म हो गयी । लोग आपस में गले मिल रहे हैं । सब मिठाई और खिलौनों के दूकानों पर धावा करने लगे।

हामिद के दोस्त मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते उसे ललचाने पर भी वह चुप रह गया । उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । वह लोहे की चीज़ों के दुकान के पास ठहर जाता है । उसे ख्याल आता है कि दादी के पास चिमटा नहीं है | तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं ।

अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे-तो वह कितनी प्रसन्न होगी ? यह सोचकर हामिद तीन पैसों से चिमटा खरीदकर दादी को देने तैयार होता है । हामिद के दोस्तों ने उसका मज़ाक किया ।

अमीना चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है। वह प्रेम से गदगद हो जाती है । वह हामिद को दुआएँ देती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 7.
हामिद की निस्वार्थ भावना को पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ संवेदनशील थीं। हामिद चार – पाँच साल का भोली सूरत वाला बालक है। उसके माता – पिता इस दुनिया में नहीं है। उसका एक मात्र सहारा उसकी दादी है। जो कि बहुत ही गरीब है। ईद के दिन भी उसके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है। दादी बड़ी मुश्किल से तीन पैसे जुटा कर देती है हामिद को । ईदगाह जाकर सब बच्चे तरह – तरह के खिलौने, मिठाइयाँ आदि खरीदते हैं। हामिद का मन भी ललचाता है । किंतु वह तुरंत अपने मन को समझा लेता है कि ये मिट्टी के खिलौने हैं। जो गिरकर चकनाचूर हो जायेंगे और मिठाई खाने से क्षणिक खुशी मिलेगी। इससे कोई फायदा नहीं है। लोहे की दुकान पर चिमटों को देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। क्योंकि उसके घर में चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारते समय दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। उन्हें बहुत पीडा होती थी। दादी की पीड़ा को दूर करने के लिए उनकी खुशी के लिए ही हामिद ने तीन पैसे देकर चिमटा खरीदा। ताकि दादी को खुशी हो और सुख मिले।

दादी के प्रति निस्वार्थ, त्याग, सद्भावना, प्रेम, विवेक, आदर, श्रद्धा, संवेदनशील, कर्तव्य परायण आदि भावनाएँ हामिद में हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 1 बरसते बदल Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

10th Class Hindi Chapter 1 बरसते बदल Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 1)

प्रश्न 1.
मीटे गीत कौन गाती है?
उत्तर:
मीठे गीत कोयल गाती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 2.
प्यासी धरती पानी किससे माँगती है?
उत्तर:
प्यासी धरती पानी मेघों से माँगती है।

प्रश्न 3.
बादल प्रकृति की शोभा बढ़ाते हैं। कैसे?
उत्तर:
नीले गगन में काले-काले बादल छाये रहते हैं। ये बरसकर हमें पानी देते हैं। धरती पर स्थित सारी प्रकृति को जीवन दान मिलता है। हर जगह हरियाली छा जाती है। सब पानी के स्रोत भरकर सुंदर लगते हैं। प्राणिमात्र के जीवन में हर्ष उमड पडता है। सारा वातावरण खुशहाल हो शोभायमान लगता है। इस तरह बादल प्रकृति की शोभा बढाते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 2)

प्रश्न 1.
मेघ, बिजली और बूंदों का वर्णन यहाँ कैसे किया गया है?
उत्तर:
‘बरसते बादल’ कविता में कविवर पंतजी ने सावन के समय की प्राकृतिक चीजों का वर्णन किया है। वर्षा के समय घने काले मेघ आसमान में छाये झम – झम बरसते हैं। काले मेघों के बीच बिजली चम – चम चमकती है। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम गिरती हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 2.
प्रकृति की कौन – कौनसी चीजें मन को छू लेती हैं?
उत्तर:
सावन के समय की प्रकृति मनमोहक होती है। घुमडते बरसनेवाले घन घोर बादल, वर्षा की बूंदें, चमकनेवाली बिजली, बूंदों के रिमझिम स्वर, बहती जल धाराएँ, पेड़ – पौधे, आदि प्रकृति की चीजें मन को छू लेती हैं।

प्रश्न 3.
तृण – तृण की प्रसन्नता का क्या भाव है?
उत्तर:
धरती पर वर्षा के होने से पानी की धाराएँ बहती हैं। इससे रज के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पडते हैं। वे खुशी से पुलकित हो झूमते हैं। धरती पर हरियाली छा जाती है। संसार के चारों ओर आनंद और उल्लास होता है। तृण – तृण की प्रसन्नता का यही भाव है।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
सावन के महीने में वर्षा होती है। वर्षा से पानी मिलता है। धरती पर स्थित प्राणिमात्र को जीवन दान मिलता है। सारी प्रकृति में सब ओर हरियाली फैलती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूटते हैं। खेतों में नदी, नाले भर जाते हैं | फसलें उगती हैं। सब प्राणी खुशी से विभिन्न स्वरों में अपना आनंद प्रकट करते हैं । इस तरह कह सकते हैं कि धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा ही है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 2.
घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
घने काले बादल सावन के महीने में आसमान में छाये रहते हैं। विविध आकारों में विश्रृंखलता से मंडराते हैं। भीषण ध्वनि करते वे भयानक होते हैं। उनके बीच बिजली चमक उठती है। इनकी शोभा देखनेलायक होती है। ठंडी बहार के छूते ही वे मूसलधार वर्षा देते हैं। प्रकृति में नूतन शोभा नज़र आती है। जन जीवन को आनंदमय बनाते हैं।

आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए।

प्रश्न 1.
हैं झम – झम बरसते झम – झम मेघ के सावन।
उत्तर:
झम – झम – झम – झम मेघ बरसते हैं सावन के।

प्रश्न 2.
गगन में गर्जन घुमड़ – घुमड़ गिर भरते मेघा
उत्तर:
घुमड – घुमड गिर मेघ गगन में भरते गर्जन।

प्रश्न 3.
धरती पर झरती धाराएँ पर धाराओं।
उत्तर:
धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

इ) नीचे दिये गये भाव की पंक्तियाँ लिखिए।

प्रश्न 1.
बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है। .
उत्तर:
चम – चम बिजली चमक रही रे उर में घन के, थम – थम दिन के तम में सपने जगते मन के।

प्रश्न 2.
मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट रहे हैं।
उत्तर:
रज के कण – कण में तृण – तृण को पुलकावलि थर।।

प्रश्न 3.
कवि चाहता है कि जीवन में सावन बार – बार आयें और सब मिलकर झूलों में झूलें।
उत्तर:
आओ रे सब मुझे घेर कर गाओ सावन। इंद्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन।।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

ई) पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बादल और बूंदें, बंद किये हैं बादल ने
अंबर के दरवाज़े सारे, नहीं नज़र आता है सूरज ना कहीं चाँद – सितारे ?
ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों ने भी पंख पसारे,
हो प्रसन्न धरती के वासी, नभ की ओर निहारे॥

1. इसने अंबर के दरवाज़े बंद कर दिये हैं –
अ) आकाश
आ) सूरज
इ) चाँद
ई) बादल
उत्तर:
ई) बादल

2. पंख किसने पसारे हैं?
अ) चिड़िया
आ) मौसम
इ) धरती
ई) सितारे
उत्तर:
अ) चिड़िया

3. पद्यांश में आया युग्म शब्द है –
अ) बादल – अंबर
आ) सूरज – चाँद
इ) चाँद – सितारे
ई) धरती – वासी
उत्तर:
इ) चाँद – सितारे

4. धरती के लोग किस ओर निहार रहे हैं?
अ) चिड़िया
आ) नभ
इ) बादल
ई) चाँद
उत्तर:
आ) नभ

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

5. इस कविता का विषय है –
अ) प्रकृति
आ) सूरज
इ) तारे
ई) अंबर
उत्तर:
अ) प्रकृति

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे?
उत्तर:
वर्षा सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है। वर्षा से ही संसार का चक्र चलता है। बादल वर्षा के रूप में बरसकर पानी देते हैं। धरती के सब भूभागों में पानी जमा रहता है। यह पानी पेय जल, खाना, दाना, बिजली आदि अनेक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। प्रकृति में हरियाली इसीसे व्याप्त होती है । वर्षा के बिना धरती पर प्राणिमात्र का जीवन यापन असंभव है। अतः कह सकते हैं कि वर्षा सभी प्राणियों के जीवन का आधार है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु सदा से सबकी प्रिय ऋतु रही है। आसमान में फैले काले, घनघोर बादल बरसते हैं। बिजली की चकाचौंध चमक होती है। वर्षा की बूंदें रिमझिम बरसती हैं। पानी की धाराओं से धरती पुलकित होती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पड़ते हैं। पेड – पौधे हरियाली से झूमते हैं। पशु – पक्षी, मानव और हर प्राणी आनंद विभोर हो जाते हैं। विभिन्न जीवों के आनंद स्वरों से सारी प्रकृति मनमोहक होती है।

आ) ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
‘बरसते बादल कविता के आधार पर प्रकृति का वर्णन कीजिए।
(या)
‘बरसते बादल कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
पंतजी ने वर्षा ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य का संदर चित्रण किया है। अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
‘बरसते बादल’ कविता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
कवि का नाम : श्री सुमित्रानंदन पंत
जीवनकाल : 1900 – 1977
रचनाएँ : वीणा, ग्रंथि, पल्लव आदि।
पुरस्कार : ज्ञानपीठ (विवंबरा) साहित्य आकादमी, सोवियत रूस।
सारांश : आधुनिक हिंदी के विख्यात कवि हैं श्री सुमित्रानंदन पंतजी। प्रकृति सौंदर्य के वर्णन में आप सुकुमार और बेजोड कवि माने जाते हैं। वीणा, ग्रंथि, पल्लव, ग्राम्या, युगांत आदि आपके प्रसिद्ध काव्य संकलन हैं। “चिदंबरा” काव्य रचना के लिए आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।

“बरसते बादल” कविता में पंतजी ने वर्षा ऋतु का सुंदर और सजीव चित्रण किया है।

पंतजी कहते हैं कि वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु रही है। उसमें भी सावन का महीना अधिक सुंदर और मनभावन होता है। सावन की वर्षा सबका मन मोहती है।

सावन के मेघ झम – झम बरसते हैं। वर्षा की बूंदें पेडों से छनकर छम – छम आवाज़ करती धरती पर गिरती हैं। मेघों के हृदय में बिजली चम – चम चमकती है। दिन में भी वर्षा के कारण अंधेरा छा जाता है। लोगों के दिलों में सपने जगने लगते हैं।

वर्षा के बरसने पर दादुर टर – टर आवाज़ करते हैं। झींगुर झींझी आवाज़ देते हैं। मोर म्यव – म्यव करते नाचते हैं। पपीहे पीउ – पीउ करके कूकते हैं। सोनबालक पक्षी गीली – खुशी से आह्वान करते हैं। आसमान पर बादल घुमडते गरजते हैं। ..

रिमझिम बरसनेयाली बूंदों के स्वर हम से कुछ कहते हैं। अर्थात् मन खुश करते हैं। उनके छूते ही शरीर के रोम सिहर उठते हैं। धरती पर जल की धाराएँ झरती हैं। इससे मिट्टी के कण – कण में कोमल अंकुर फूट पडते हैं। अर्थात् मिट्टी का हर कण अतिप्रसन्न लगता है।

वर्षा की धाराओं के साथ कवि का मन झूलने लगता है। वे लोगों को आमंत्रित करते हैं कि आप सब आइए मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए। हम सब लोग इंद्रधनुष के झूले में झूलने का आनंद लें। यह कामना करें कि मनभावन सावन हमारे जीवन में बार – बार आये।

विशेषता : इस कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण अंकित किया है। इस कविता से संवेदनशीलता का विकास होता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

इ) प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी-सी कविता लिखिए।
उत्तर:
ये नदियों की कल कल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती हैं हम से
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हम से ।।

ई) ‘फिर – फिर आये जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों कहा गया होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। यह ऋतुओं की रानी कहलाती है। सावन के आने से प्रकृति रमणीय होती है। प्रकृति का कण – कण अति प्रसन्न दिखता है। पशु – पक्षी, पेड – पौधे मानव यहाँ तक कि धरती के सभी प्राणी, धरती तक खुशी से नाच उठते हैं। प्रत्येक जीवन खुशी से गीत गाने लगता है। सावन के समय बरसनेवाली वर्षा का पानी सबके जीवन का आधार है। प्राणिमात्र के जीवन यापन के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण है। इसीलिए कविवर पंतजी ने मनभावन सावन को बार – बार आने के लिए कहा होगा।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. तरु, गगन, घन (प्रत्येक शब्द का वाक्य प्रयोग करते हुए पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
तरुः – हमें तरु फूल और फल देते हैं।
गगन – हवाई जहाज़ गगन में उड़ रहा है।
घनः – आसमान में काले घन छाये हुये हैं।

पर्याय शब्द
तरु – पेड, पादप, वृक्ष
गगन – आकाश, आसमान, नभ
घन – बादल, मेघ

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

2. साक्न, सपना, सूरज (एक-एक शब्द का तत्सम रूप लिखिए।)
उत्तर:
तत्सम रूप
सावन – श्रावण सपना – स्वप्न
सूरज – सूर्य

3. गण, वारि, चंद्र (एक-एक शब्द का तद्भव रूप लिखिए।)
उत्तर:
तदभव रूप
गण – गन
वारि – बारि
चंद्र – चाँद

4. चम – चम, तृण – तृण, फिर – फिर (पुनरुक्ति शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
चम – चम = बिजली चम – चम चमक रही है।
तृण – तृण = तृण – तृण पुलकित हो रहा है।
फिर – फिर = सावन फिर – फिर आता तो कितना अच्छा होगा।

आ) इन्हें समझिए और सूचना के अनुसार कीजिए।

1. धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर। (अंतर स्पष्ट कीजिए।)
उत्तर:
यहाँ पंत जी ने “धारा” शब्द को दो. बार प्रयोग किया हैं। यह संज्ञा शब्द है। इसका बहुवचन रूप ‘धाराएँ’ है। इसके साथ “पर” कारक जोडने से “धाराएँ” शब्द रूपांतरित होकर “धाराओं” बन गया है। इस प्रकार के वर्णन से वाक्य का सौंदर्य बढ़ता है।

(अंतर स्पष्ट कीजिए।)
“झूले” शब्द का मूल रूप झूला है। यह संज्ञा शब्द है। इसके साथ में “में” कारक के जोडने से झूले में रूपांतरित हो गया है। “झूलें” शब्द तो ‘झूलना’ क्रिया का रूपांतरण है।

(रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।)
संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुंलिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।
एक शब्द में लिखिए।)

मनभावन
(समास पहचानिए।)
द्वंद्व समास
द्वंद्व समास
खेलते – कूदते बच्चे तंदुरुस्त रहते हैं।
बहते पानी में गंदगी नहीं रहती है।
उडती पंछी वर्षा में भीग गयी है।
रोती बच्ची माँ की गोद पहुंची।
हँसते और खिलते फूलों से उद्यान भरा है।

झम-झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के,
छम-छम-छम गिरती बूंदें तरुओं से छन के।

अलंकार शब्द का अर्थ है – आभूषण। किसी बात को साधारण ढंग से न कहकर चमत्कार व सौंदर्यपूर्ण ढंग से कहना ही अलंकार है।

इस कविता में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग हुआ है। जब वाक्य में कोई अक्षर या शब्द बार – बार प्रयोग होता है तो वहाँ वाक्य का ध्वन्यात्मक सौंदर्य बढ़ जाता है। इस प्रकार का काव्य – सौंदर्य अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

परियोजना कार्य

वर्षा, बादल, नदी, सागर, सूरज, चाँद, झरने आदि में किसी एक विषय पर प्रकृति वर्णन से जुड़ी कविता का संग्रह कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।

चाँद

चम – चम – चम – चम चंदा चमके
तारे चमके झिलमिल।
आओ – आओ खेले हिल मिल
आज – चाँदनी में हम – सब ।।
ठंडी – ठंडी हवा बह रही
लोरी – सी कुछ गाती।
अभी नहीं सोयेगा कोई
नींद किसे है आती ।।
देखो धीमे – धीमे झूमीं
फूलों के ये पाँखें।

जुही, चमेली चमकी जैसे
बगिया की सौ आँखें।।
खूब भरी है नदी दूध हो
दूध भरा है झरना।
अच्छा लगता आज सभी को
दूर – दूर तक फिरना।
अरे चाँद, तुम कौन बताओ
चाँदी की थाली – से।
प्यारे तारे, झरे फूल से
बोलो, किस डाली से ॥

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

झरना

कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
गुनगुनी धूप, रेत की चादर
माता के आंचल में छुपाकर
जैसे बच्चा सो रहा है।
कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
कलख करते पंछी गाते,
तोता मैना गीत सुनाते
मेरा भी मन डोल रहा है।
कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
नीला अंबर, मीठा पानी,
प्रकृति कहे सुनो कहानी
जग अपने पट खोल रहा है
कल – कल करता झरना बहता।
कानों में रस घोल रहा है।

बरसते बदल Summary in English

Introduction of the lesson:
Rainy season is always endearing to all. It is worth watching that the beauty of a rainy day. The surrounding nature, flora and fauna, human beings, birds and the Mother Earth sway with ecstasy. This beautiful expression is described here.

Shravana clouds are raining. Rain drops are falling on the branches of trees. Flashes of lightnings are occurring from the hearts of clouds. Though it is a daytime with sunshine, it is dark because of cloudy sky and so dreams are awakening in everybody’s hearts.

Frogs are croaking. Crickets are screaming. Peacocks are dancing beautifully. Swallows are staring at the clouds. Water birds are flying happily making cries. The clouds are spreading over the sky making thundering sounds.

Raindrops are telling something. On touching them, we become horrent. It is raining with flows. Every particle in the earth is startling and tender sprouts are coming out of the earth.

My heart is rocking holding the flows of rain. Come ……. encircle me and sing the songs of Shravana. Let’s go up together in the swing of rainbow. Let’s welcome Shravana into our lives which enlivens and enthralls our hearts again and again.

बरसते बदल Summary in Telugu

ఝమ్ – ఝమ్ – ఝమ్ – ఝమ్ శ్రావణ మేఘాలు వర్షిస్తున్నాయి. చెట్ల కొమ్మలపై ఛమ్ – ఛమ్ – ఛమ్ అంటూ వర్షపు చినుకులు (బిందువులు) పడుతున్నాయి. మేఘాల నుండి (మేఘపు హృదయాల) విద్యుత్ మెరుపులు చమ్ – చమ్ మెరుస్తున్నాయి. ఎండ ఉన్న పగలు అయినప్పటికీ మేఘావృతమై యుండుటవలన కలిగిన చీకటిలో అందరి మనస్సుల్లో స్వప్నాలు జాగృతమవుతున్నాయి.

ఈ కప్పలు టర్ టర్మంటు అరుస్తున్నాయి. కీచురాళ్ళు కీచు కీచుమంటూ ధ్వనిస్తున్నాయి. నెమళ్ళు మ్యవ్ – మ్యవ్ మంటూ నృత్యం చేస్తున్నాయి. పీవు, పీవుమంటు చాతక పక్షులు మేఘాల వంక చూస్తున్నాయి. జలపక్షులు ఆర్ధ సుఖంతో ఎగురుతూ ఆక్రందన చేయుచున్నాయి. మేఘాలు గగనతలంలో గర్జన చేస్తూ ఆకాశాన్ని కమ్ముకున్నాయి.

రిమ్- జిమ్ – రిమ్ – జిమ్ అంటూ వర్షపు చినుకులు ఏదో చెబుతున్నాయి. వాటిని తాకితే వెంట్రుకలు నిక్కబొడుచు కుంటున్నాయి. ధారలు ధారలుగా వర్షం భూమిపై కురుస్తోంది. మట్టిలోని అణువణువు పులకరించి పోగా నేల నుండి కోమలమైన మొక్కల మొలకలు చిగురిస్తున్నాయి.

వర్షపు ధారలను పట్టుకొని నా మనస్సు ఊగుతోంది. రండి అందరూ నన్ను చుట్టుముట్టి శ్రావణ గీతాలను ఆలపించండి. ఇంద్రధనుస్సు ఊయల ఊపులలో మనమందరం కలసి ఊగుదాం. మన జీవితంలోకి మళ్ళీ మళ్ళీ మనస్సును ఆహ్లాదపరచే
శ్రావణం రావాలి.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
तृण – तृण की प्रसन्नता का क्या भाव है?
उत्तर:
धरती पर वर्षा के होने से पानी की धाराएँ बहती हैं। इससे रज के कण – कण से कोमल अंकुर फूट पडते हैं। वे खुशी से पुलकित हो झूमते हैं। धरती पर हरियाली छा जाती है। संसार के चारों ओर आनंद और उल्लास होता है। तृण – तृण की प्रसन्नता का यही भाव है।

प्रश्न 2.
धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
सावन के महीने में वर्षा होती है। वर्षा से पानी मिलता है। धरती पर स्थित प्राणिमात्र को जीवन दान मिलता है। सारी प्रकृति में सब ओर हरियाली फैलती है। मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूटते हैं। खेतों में नदी, नाले भर जाते हैं। फसलें उगती हैं। सब प्राणी खुशी से विभिन्न स्वरों में अपना आनंद प्रकट करते हैं । इस तरह कह सकते हैं कि धरती की शोभा का प्रमुख कारण वर्षा ही है।

प्रश्न 3.
वर्षा से प्रकृति की सुंदरता बढ़ती है। कैसे?
उत्तर:
आसमान में काले बादल छा जाते हैं।

  • वर्षा की बूंदें तरुओं पर गिरते हैं। वह दृश्य बड़ा रमणीय है।
  • बिजली आसमान के हृदय में चम – चम चमकती है। इस तरह वर्षा से प्रकृति की सुंदरता बढ़ती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 4.
वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है। क्यों?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से वर्षा ऋतु सबकी प्रिय ऋतु है :

  • वर्षा के समय आसमान को घने बादल घेर लेते हैं ।
  • बादलों के उर में से बिजली चमक उठती है।
  • मेघों के टकराने से मेघ गर्जन भी निकलता है ।
  • आसमान में इन्द्रधनुष भी निकलता है । थम-थमाते दिन में भी अंधेरा फैल जाता है |

प्रश्न 5.
वर्षा की कमी या अधिकता हम पर कैसा प्रभाव डालती है?
उत्तर:

  • सारी प्रकृति पर वर्षा का प्रभाव बहुत अधिक है।
  • वर्षा की कमी के कारण खेत, तालाब, नाले, और नदी सब सूख जाते हैं।
  • पीने का पानी की भी कमी होता । यदि वर्षा अधिक हो तो बाढ़ निकलते।
  • खेत सड जाते | घर – गाँव डूब जाते।

प्रश्न 6.
वर्षा के समय सभी प्राणी पुलकित होते हैं । वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्षा के समय सभी प्राणी पुलकित होते हैं। इस कविता में कवि ने खासकर कुछ जीवों का वर्णन किया है। बारिश के मौसम में दादुर टर – टर करते हैं। झींगुर झन – झन बजते हैं। मोर म्यव – म्यव करते हैं। चातक पीऊ – पीऊ बोलते हैं। सोन बालक जल पक्षी आर्दता का सुख पाकर क्रंदन करता है।

प्रश्न 7.
वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता बढ़ती है। कैसे ?
उत्तर:
पेड – पौधे हरे – भरे होकर फल – फूलों से लद जाते हैं। हर तरफ़ हरियाली छा जाती है। फुलवारी महकने लगती है। पक्षी भी पेड़ों के पास आकर चहचहाने लगते हैं। खेत फसलों से लहलहाने लगते हैं। नदी – नाले सारे के सारे पानी से भर जाते हैं। मछलियाँ मस्त होकर नृत्य करने लगती हैं। मनुष्यों में दुगुना उत्साह भर जाता है। इस प्रकार वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता बढ़ती हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 8.
बरसते बादलों को देखकर किसान क्यों प्रसन्न होते हैं?
उत्तर:
नीलाकाश में काले – काले बादल छाये रहते हैं। ठंडी हवा लगते ही वे पानी बरसते हैं। बरसते बादलों को देखकर किसान प्रसन्न होते हैं। किसान लोग खेती बाडी करके आवश्यक खाद्य पदार्थ पैदा करते हैं। खेती बाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है। वर्षा के होते ही किसान खेत जोत कर फसल उगाते लगते हैं। सिंचाई के लिए भी पानी चाहिए। बीज बोने से लेकर फसल उगने तक पानी की आवश्यकता है। इसलिए ऐसा महत्वपूर्ण पानी बरसनेवाले मेघों को देखकर किसान बहुत प्रसन्न होते हैं।

प्रश्न 9.
आपकी प्रिय ऋतु क्या है ? क्यों?
उत्तर:

  • मेरी प्रिय ऋतु वर्षा ऋतु है । वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु है ।
  • वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है |
  • पेड़ – पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी इस ऋतु में खुशी से झूम उठती है ।
  • आसमान में निकले इंद्रधनुष, काले – काले बादल, बादलों से उत्पन्न होनेवाली बिजली आदि इस ऋतु में प्रकृति की शोभा बढाते हैं । इस ऋतु में सर्वत्र हरियाली मन मोह लेती है ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
सुमित्रानदनं पंत के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या)
पंत जी प्रकृति के बेजोड कवि हैं। उनके बारे में आप क्या जानते हैं?
(या)
प्रकृति वर्णन में बेजोड कवि सुमित्रानंदन पंतजी का परिचय दीजिए।
(या)
कवि “सुमित्रानंदन पंत” के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या)
उत्तर:

  • प्रकृति के बेजोड कवि माने जाने वाले सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में अल्मोडा में हुआ।
  • साहित्य लेखन के लिए इन्हें ‘साहित्य अकादमी’, ‘सोवियत रूस’ और ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ दिया गया।
  • इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, युगांत, ग्राम्या, स्वर्णकिरण, कला और बूढ़ा चाँद तथा चिदंबरा आदि।
  • इन्हें चिदंबरा काव्य संकलन पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • इनका निधन सन् 1977 में हुआ।

प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु के प्राकृतिक सौंदर्य पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु में प्रकृति बहुत सुंदर लगती है। चारों ओर हरियाली ही हरियाली रहती है। वर्षा की पहली बूंद जब धरती को चूमती है, तब उसका सुंगध वर्णनातीत होता है। वर्षा में खेलकर बच्चे पुलकित होते हैं। कलियाँ खिलती हैं।

वर्षा के कारण हर गली में नदियाँ बहती हैं। उन नदियों में बच्चे कागज़ की नावें छोडते हैं। वर्षा के कारण जन-जन का मन उल्लास से भर जाता है। पेडों पर नये-नये पत्ते आते हैं और नया – नया सुंगध फैलाते हैं। वर्षा ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 3.
सुमित्रानंदन पंतजी को प्रकृति सौंदर्य चित्रण का बेजोड़ कवि कहा गया है। “बरसते बादल” कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
पंतजी ने “बरसते बादल” कविता में सुंदर, मधुर शब्दों का प्रयोग किया है। जिस प्रकार आभूषण नारी की सुंदरता को बढ़ा देते हैं। उसी प्रकार पंतजी ने शब्द रूपी आभूषणों से कविता को सजाकर प्रकृति के सौंदर्य को दुगुना कर दिया है। कविता में टर – टर ,कण – कण, तृण – तृण, म्यव – म्यव, पीउ – पीउ शब्द के प्रयोग से, तो कहीं अर्थ के चमत्कार से (थम – थम दिन के तम में) तो कहीं शब्द – अर्थ दोनों के चमत्कार से (झम – झम – झम मेघ) प्रकृति की सुंदरता का अद्भुत चित्रण किया है। इस प्रकार अन्य कोई भी कवि प्रकृति सौंदर्य का चित्रण करने में असमर्थ है। इसीलिए पंतजी को प्रकृति सौंदर्य चित्रण का बेजोड़ कवि कहा गया है।

प्रश्न 5.
सावन में पेड़ – पौधे, पशु – पक्षी और मनुष्य खुशी से झूम उठते हैं। कारण बताइए।
उत्तर:
वर्षा होने पर ही पानी मिलता है। हर प्राणी.को जीवन जीने के लिए पानी ज़रूरी है। रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरी करने के लिए भी पानी अत्यंत आवश्यक है। जैसे – प्यास बुझाने के लिए, हाथ – मुँह धोने के लिए, नहाने – धोने के लिए, कारखानों के लिए, गृह – निर्माण के लिए, बिजली के उत्पादन के लिए, आग बुझाने के लिए, खेती के लिए, यहाँ तक कि पानी बरसने के लिए भी पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है – वर्षा और सिर्फ वर्षा।

प्रश्न 5.
वर्षा के कारण प्रकृति में कौन – कौन से परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
वर्षा के कारण प्रकृति में ये परिवर्तन होते हैं – आसमान में काले – काले बादल छा जाते हैं । थम – थमाते दिन में भी अंधेरा फैल जाता है । मेघों के टकराने से बिजली चमक उठती है । मेघों से गर्जना निकलती है । वर्षा के कारण प्रकृति में हरियाली छा जाती है । वर्षा के कारण धरती की शोभा बढती है । वर्षा के दिनों में मनमोहने वाला इन्द्रधनुष भी निकलता है ।

प्रश्न 6.
अधिक वर्षा के कारण किस प्रकार के नुकसान हो सकते हैं?
उत्तर:

  • अधिक वर्षा के कारण अनेक प्रकार के नुकसान होते हैं – जैसे
  • खेत सढ़ जाते हैं | इससे फसल खराब हो जाते हैं । अधिक वर्षा के कारण बाढ आता है ।
  • बाढ के कारण रवाना एवं यातायात की स्थिति खराब हो जाती है ।
  • घर – मकान आदि डूब जाते हैं । इसलिए लाखों लोग निराश्रय हो जाते हैं ।
  • साग – सब्जी, तरकारियाँ आदि नष्ट हो जाते हैं । जिससे खाद्य पदार्थों की कमी हो जाती है ।
  • तालाब, नदी, नालें आदि एकत्रित हो जाते हैं |

प्रश्न 7.
सारी प्रकृति वर्षा पर निर्भर है । कैसे?
उत्तर:
सारी प्रकृति वर्षा पर निर्भर है । वर्षा से प्रकृति सुंदर लगती है । वर्षा से प्रकृति में हरियाली व्याप्त होती है । वर्षा के कारण तालाब, नाल, नदियाँ आदि पानी से भरे रहते हैं । प्रकृति में नयी शोभा आती है। पीने के लिए और खेतीबाडी के लिए पानी इकट्ठा किया जाता है । इसलिए हम कह सकते हैं कि सारी प्रकृति वर्षा पर निर्भर है।

प्रश्न 8.
वर्षा प्राणियों के लिए वरदान है । क्यों?
उत्तर:
वर्षा प्राणियों के लिए वरदान है । पानी के बिना हम जीवित नहीं रह सकते । वर्षा हमारे जीवन का आधार है । पशु-पक्षी और मनुष्य एवं प्रकृति वर्षा से पुलकित होते हैं । ये सब जीवन के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। हमारा फ़सलों भी वर्षा के कारण ही उगता है । इसलिए हम कह सकते हैं कि वर्षा प्राणियों के लिए वरदान है ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 9.
वर्षा से क्या – क्या लाभ हैं?
उत्तर:
वर्षा से हमें कई लाभ हैं । जैसे –

  • वर्षा से पीने का पानी इकट्ठा किया जा सकता है । वर्षा से खेतीबाडी की जाती है ।
  • वर्षा से सूरज का तापमान दूर किया जा सकता है ।
  • वर्षा पशु-पक्षी और मनुष्यों का जीवन आधार है ।
  • पेड़ – पौधों के लिए भी वर्षा आधार है।
  • वर्षा के कारण ही नदियाँ जीव नदियों के रूप में बहती हैं |
  • वर्षा के पानी को बाँधों में इकट्ठा करके बिजली पैदा की जा सकती है ।

प्रश्न 10.
मानव जीवन में वर्षा का क्या महत्व है?
उत्तर:
मानव जीवन में वर्षा का महत्व बहुत अधिक है । वर्षा के बिना सारी प्रकृति निर्जीव तथा सूनी लगती है।

  • वर्षा से हमें कई लाभ हैं । जैसे –
  • वर्षा से पीने का पानी इकट्ठा किया जा सकता है।
  • वर्षा से खेतीबाडी की जाती है ।
  • वर्षा से सूरज का तापमान दूर किया जा सकता है ।
  • वर्षा पशु-पक्षी और मनुष्यों का जीवन आधार है । पेड़ – पौधों के लिए भी वर्षा आधार है।
  • वर्षा के कारण ही नदियाँ जीव नदियों के रूप में बहती हैं।
  • वर्षा के पानी को बाँधों में इकट्ठा करके बिजली पैदा की जा सकती है ।

प्रश्न 11.
वर्षा को देखकर सभी प्राणी पुलकित हो जाते हैं । क्यों?
उत्तर:
वर्षा प्रकृति में नयी शोभा लाती है । वर्षा के कारण प्रकृति हरी – भरी रहती है | चारों ओर हरियाली छा जाती है । पशु – पक्षी वर्षा को देखकर संतोष से उछल – कूद पडते हैं । ग्रीष्म ऋतु के कारण अब तक जो ताप को पशु – पक्षी और सारे मनुष्य सह लिये हैं । वे अब वर्षा को देखकर अपने ताप को शांत करने पुलकित हो जाते हैं।

प्रश्न 12.
वर्षा के कारण प्रकृति में कौन – कौन से परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
वर्षा के कारण प्रकृति में ये परिवर्तन होते हैं – आसमान में काले – काले बादल छा जाते हैं । थम – थमाते दिन में भी अंधेरा फैल जाता है | मेघों के टकराने से बिजली चमक उठती है | मेघ गर्जना निकलता है। वर्षा के कारण प्रकृति में हरियाली छा जाती है । वर्षा के कारण धरती की शोभा बढ़ती है । वर्षा के दिनों में मनमोहने वाले इंद्रधनुष भी निकलता है।

प्रश्न 13.
कवि जीवन में सावन को बार – बार क्यों आमंत्रित करते हैं ?
उत्तर:
प्रायः सभी लोग सावन को बार – बार आना बहुत पसंद करते हैं ।

  • सावन के ऋतु में ही वर्षा का आरंभ होता है |
  • वर्षा ऋतु में पाकृतिक रमणीयता सुंदर होती है ।
  • पेड – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से इस ऋतु में झूम उठती है ।
  • सावन मन को भाता है।
  • इसलिए सभी लोग सावन को बार – बार आना बहुत पसंद करते हैं । उसी प्रकार कवि भी जीवन में सावन को बार – बार आमंत्रित करते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 14.
खेतीबाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है – इस पर अपने विचार प्रकट कीजिए ।
उत्तर:

  • खेतीबाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है ।
  • वर्षा के बिना खेतीबाडी करना असंभव है | भारत कृषि प्रधान देश है ।
  • खेतीबाडी ही भारतीयों के मुख्य जीवन आधार है।
  • फसल उगने के लिए पानी की आवश्यकता है ।
  • पानी के बिना सिंचाई नहीं होती । पानी का मुख्य आधार वर्षा ही है ।
  • भारत में वर्षा के पानी को इकट्ठा करके नालों के द्वारा सिंचाई हो रही है ।
  • बीज बोने से लेकर फसल उगने तक खेतीबाडी के लिए वर्षा की आवश्यकता है ।

प्रश्न 15.
वर्षा के अभाव में प्राणि – जगत की स्थिति कैसी होती है ? (होगी)
उत्तर:

  • वर्षा के अभाव से प्राणि जगत की स्थिति बहुत बुरी होती है ।
  • वर्षा के अभाव से अकाल उत्पन्न होता है | सबकी प्यास बुझाना मुश्किल हो जाता है ।
  • पशु – पक्षी, सकल जीव, मनुष्य जगत यहाँ तक कि पृथ्वी भी पानी के मारे सूख जाते हैं ।
  • फ़सल की स्थिति बहुत बुरी होती है ।
  • तालाब, नालें, नदियाँ, झील, झरने आदि सब सूख जाते हैं ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ – दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
पंत जी प्रकृति सौंदर्य के चित्रण में बेजोड कवि है | बरसते बादल पाठ के द्वारा सिद्ध कीजिए।
(या)
वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता दर्शनीय होती है। ‘बरसते बादल’ पाठ के आधार पर इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
“बरसते बादल” नामक कविता के कवि हैं श्री सुमित्रानंदन पंत । प्रस्तुत इस कविता पाठ में आप बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम उत्पन्न कराते हैं । इस कविता में प्रकृति का रमणीय तथा सुंदर चित्रण है।

वर्षा ऋतु हमेशा से सबकी प्रिय ऋतु रही है । वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है। पेड़ – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती है ।

सावन (श्रावण) के मेघ आसमान में झम – झम – झम बरसते हैं । बूंदें छम – छम पेडों पर गिरती हैं। चम – चम बिजली चमक रही है । जिसके कारण अंधेरा होने पर भी उजाला है ।

दादुर टर – टर करते रहते हैं । झिल्ली झन – झन बजती है मोर म्यव – म्यव नाच दिखाते हैं । चातक के गण “पीउ” “पीउ” कहता मेघों की ओर देख रहे हैं । आर्द सुख से क्रंदन करते सोनबालक उड़ते हैं । मेघ गगन में गर्जन करते घुमड – घुमड़ कर गिर रहे हैं ।

वर्षा की बूंदों से रिमझिम – रिमझिम का स्वर निकल रहा है । उन्हें छूने पर किसी भेद के बिना सबके रोम सिहर उठते हैं । वर्षा की धाराओं पर धाराएँ धरती पर झरती हैं । इस कारण मिट्टी के कण – कण से तृण – तृण (कोमल अंकुर) फूट रहे हैं ।

कवि कहते हैं कि वर्षा की धाराओं को पकडने से उसका मन झूलता है । वह सबको संबोधित करते हुए कहते हैं कि उसे घेर ले और सावन के गीत गालें । इंद्रधनुष के झूले में सब मिलकर झूलें । अंत में कवि यह सावन जीवन में फिर – फिर आकर मनभावन करने के लिए कहते हैं ।

इसलिए इस कविता के सारांश के आधार पर हम कह सकते हैं कि पंतजी प्रकृति सौंदर्य चित्रण में बेजोड कवि हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 2.
“सुमित्रानंदन पंतजी प्रकृति चित्रण में बेजोड़ कवि हैं।” – बरसते बादल कविता के द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:

  • सुमित्रानंदन पंत हिंदी के राष्ट्र कवि हैं।
  • वे प्रकृति चित्रण के बेजोड़ कवि माने जाते हैं।
  • आसमान में बादल झम – झम बरसते हैं। छम – छम – छम बूंदें पेड़ों से गिरते हैं।
  • बिजली आसमान के हृदय में चमक रही है।
  • उस समय दिन में अंधेरा होता है। हृदय के सपने जग जाते हैं।
  • सावन के मौसम में दादुर टर – टर करते हैं। झिल्ली – झींगुर बजने लगते हैं।
  • मोर म्यव – म्यव करते हैं, चातक गण पीऊ – पीऊ कहते हैं।
  • आसमान में मेघ घुमड – घुमड कर गर्जन करते हैं।
  • रिमझिम – रिमझिम पानी बरसाता है, वर्षा की बूंदें ज़मीन पर गिरते हैं।
  • वर्षा की बूंदें शरीर पर पड़ते ही रोम सिहर उठते हैं। – रज के कण – कण में तृण – तृण पुलकित हो जाते हैं।
  • वर्षा की धारा देखकर कवि का मन झूलता है।
  • सब लोग मिलकर सावन के गीत गाते हुए सावन का आहवान करते हैं।

प्रश्न 3.
कवि बार – बार अपने जीवन में सावन के आने की कामना कर रहा है। क्यों?
उत्तर:
कवि चाहते हैं कि जीवन में सावन बार-बार आये और सब मिलकर झूलों में झूलें। क्योंकि वर्षा ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है। पेड – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती हैं।

वर्षा की धाराओं के कारण मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट कर तृण बन जाते हैं। उस वर्षा के पानी को पाकर सभी का मन झूलने लगता है। कवि कहते हैं कि इन्द्रधनुष को झूला बनाकर हम सब मिलकर आकाश में झूलना चाहते हैं। ऐसी सुंदर – सुंदर घटनाओं के कारण से कवि फिर – फिर वर्षा ऋतु का आगमन करना चाहते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 1 बरसते बदल

प्रश्न 4.
बादलों के बरसने से सभी प्राणी प्रसन्नता क्यों प्रकट करते हैं?
उत्तर:
बरसते बादल कविता के कवि श्री सुमित्रानंदन पंत है। इन्हें चिदंबरा काव्य संकलन पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। प्रकृति का हर प्राणी पानी के बिना रह नहीं सकता।
  • पशु – पक्षी और मनुष्य एवं प्रकृति वर्षा से पुलकित होते हैं।
  • वर्षा के कारण प्रकृति हरी – भरी रहती है। पशु – पक्षी वर्षा को देखकर संतोष से उछल – कूद पडते हैं।
  • ग्रीष्म ऋतु के कारण अब तक जो ताप को पशु – पक्षी और सारे मनुष्य सहलिये हैं, वे अब वर्ष को देखकर अपने – अपने ताप को शांत करने पुलकित हो जाते हैं।
  • वर्षा के कारण दादुर, झिल्ली, मोर, चातक और सोनबालक आदि जीव जाति आनंद से पुलकित होते
  • वर्षा से पेड – पौधे अपने थकावट को दूर करने के लिए आनंद से झूम उठते हैं।
  • वर्षा से पृथ्वी, तालाबें, नदियाँ, झील, झरने आदि प्रसन्नता से अपने सूखेपन को बदल लेते हैं।
  • सभी प्राणी अपने – अपने प्यास बुझाने के लिए बादलों के बरसने को प्रसन्नता से निमंत्रण करते हैं।